देखिए कैसे, डोकलाम और ब्रिक्स के बाद रिश्तों के नए पड़ाव की ओर बढ़ रहे हैं भारत-चीन
बीजिंग। भारत और चीन के बीच लंबे समय तक चला डोकलाम गतिरोध अब खत्म हो चुका है और ब्रिक्स 2017 सम्मेलन में भी दोनों देशों ने विवाद खत्म कर आपसी सहयोग के साथ आगे बढ़ने की सहमति जताई थी। इस बीच चीन में मौजूद भारत के राजदूत विजय गोखले ने जो बातें बताई है, उससे लगता है कि दोनों देश विवाद से दूरी बनाकर दोस्ती के लिए एक नए पड़ाव की ओर बढ़ना चाहते हैं। दोनों देश दोस्ती के नए आयाम स्थापित कर विकास की ओर बढ़ना चाहते हैं।
डोकलाम विवाद को खुद निपटाना चाहता था चीन
विजय गोखले के अनुसार, वे 27 अगस्त को वे हॉन्ग कॉन्ग में थे और उस दौरान बीजिंग से कॉल आया कि वे जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी राजधानी पहुंचे। डोकलाम विवाद खत्म करने का यह पहला स्पष्ट संकेत दिखाई दिया था। गोखले ने बताया कि डोकलाम पर चीन अधिकारियों के साथ रात को 2 बजे चर्चा शुरू हुई जो तीन घंटे तक चली। इस चर्चा में दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति बनीं, जो दो पड़ोसी मुल्कों के साथ एक नई शुरूआत जैसा प्रतित हो रहा था।
आपसी समझौते से खत्म हुआ विवाद
अगले दिन दोनों सरकारों ने आपसी सहमति से डोकलाम गतिरोध को खत्म करने का ऐलान किया। हिमालय पर दोनों देशों के बीच दशकों से अब तक का यह सबसे बूरा विवाद था, जहां दोनों देशों ने द्विपक्षीय समझौते के तहत इस विवाद को यहीं खत्म कर विकास पर जोर देने का मन बनाया। सरकार के बड़े सूत्रों की मानें तो दोनों देशों के बीच यह बहुत बड़ा समझौता था। यही कारण था कि इस प्रकार के गतिरोध को खत्म करने के लिए ब्रिक्स में सकारात्मक बातचीत का आधार रखा गया।
साइनो-इंडियन नए रिश्तों की ओर
डोकलाम समझौते के बाद चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने कहा था कि साइनो-इंडियन रिश्ता पटरी से नहीं उतरा है। वांग ने कहा कि साइनो-इंडियन का विकास ही विश्व के भविष्य का प्रतिनिधित्व करता है। दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग ही एकमात्र विकल्प है और साइनो-इंडियन दोनों सही दिशा में जा रहे हैं। पीएम मोदी ने डोकलाम विवाद पर सही तरीका अपनाते हुए ना सिर्फ पार्टी बल्कि संघ परिवार को भी इस मुद्दे से अलग रहने को कहा था, ताकि विवाद और ना बढ़े। चीनी सरकार और उनके मीडिया की तरफ युद्ध जैसी बयानबाजी के बाद भी भारत ने संयम दिखाते हुए माना कि बातचीत एकमात्र रास्ता जिसे निपटा जा सकेगा और आखिरकार वही हुआ।