एलओसी पर पाकिस्तानी घुसपैठ रोकने के लिए भारत चीन के साथ करेगा 'हैंड इन हैंड' अभ्यास
नई दिल्ली। भारत चीन के साथ अपने सैन्य संबंधों को मजबूती देने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। 29 सितम्बर को पीओके मे सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से सीमा पर हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। ऐसे में भारत ऐसा कोई भी कूटनीतिक कदम चूकना नहीं चाहता, जिससे कि नुकसान हो।
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पुणे में होगा एचआईएच अभ्यान
अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स आॅफ इंडिया के मुताबिक, भारत और चीन ने इसी साल पहली बार उत्तरी लद्दाख और सिक्किम की 4,057 किलोमीटर की विवादित एलएसी यानी लाइन आॅफ एक्चुअल कंट्रोल पर टैक्टिकल एक्सरसाइज को अंजाम दिया था। ये दोनों देश आगामी 15 से 27 नवंबर तक महाराष्ट्र के पुणे में एचआईएच यानी 'हैंड इन हैंड' सैन्य अभ्यास करेंगे।
चीन नहीं रहा है वफादार
भारत ने यह कदम चीन की 'बेवफाई' के बावजूद उठाया है। आपको बता दें कि चीन ने पहले एनएसजी में भारत की एंट्री रोकी और फिर उसके बाद मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने पर भी समर्थन नहीं दिया।
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170 आर्मी टुकड़ियां लेंगी हिस्सा
सूत्रों की मानें तो दोनों देशों के बीच यह हैंड इन हैंड का 6वां सत्र होगा। इसमें हाल ही में अपग्रेड हुई तिब्बत मिलिटरी कमांड (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) की 170 टुकड़ियां हिस्सा लेंगी।
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घुसपैठियों से निबटने की तकनीक
चीन ने कई मौकों पर भारत का साथ नहीं दिया है, इसके बावजूद भारत हाई लेवल मीटिंग के बढ़ावा दे रहा है। पुणे का अभ्यान सीमापार से आतंकवादियों की घुसपैठ से निबटने की ओर कदम होगा। चीन जहां इस्लामिक स्टेट की घुसपैठ से परेशान है तो वहीं भारत में पाकिस्तानी घुसपैठ करते हैं।
एलओसी और एलएसी में है यह अंतर
पाकिस्तानी बॉर्डर की एलओसी और चीनी बॉर्डर की एलएसी के हालात में काफी अंतर है। एलओसी पर फायरिंग अमूमन होती ही रहती है जबकि एलएसी पर कई दशकों से एक भी गोली नहीं चली है।
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पहले भी हो चुका है यह अभ्यास
हालांकि, चीनी सेना के भारत में घुसपैठ करने के मामले प्रकाश में आते रहे हैं। इस वर्ष भी ऐसी कुल 200 घटनाएं दर्ज हुईं। 'हैंड इन हैंड' के पहले दो सत्र 2007 और 2008 में हुए थे। 2009-10 में इसे बंद कर दिया गया। वर्ष 2013 से फिर से इसकी शुरुआत हुई।