UNSC में भारत ने चीन को बुरी तरह से धोया, आतंकवादी मक्की पर तीखे सवाल सुनकर सकपकाया ड्रैगन
भारत ने आतंकवाद को लेकर चीन के दोहरे रवैये को सदस्य देशों के सामने उठाते हुए कहा कि, दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों के खिलाफ भी जो सबूत आधारिक प्रस्ताव लाए जाते हैं, उन्हें होल्ड पर डाल दिया जाता है।
न्यूयॉर्क, अगस्त 10: यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल यानि यूएनएससी में भारत के तीखे तेवर को देखकर ड्रैगन बुरी तरह से सकपका गया है। चीन पर कटाक्ष करते हुए भारत ने यूएनएससी की बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर चीन को बुरी तरह से धोया है और चीन की अध्यक्षता में चल रही बैठक के दौरान भारत ने कहा कि, 'ये काफी खेदजनक है कि, तमाम सबूतों के रहते हुए और सबूतों के आधार पर पेश किए गये प्रस्ताव को देखने के बाद भी दुनिया के कुछ सबसे कुख्यात आतंकवादियों को ब्लैकलिस्ट करने में दोहरा रवैया अपनाया जाता है।' भारत का इशारा साफ तौर पर चीन की तरफ था, जिसने यूएनएससी में चीन की पोल खोलकर रख दी है।
भारत ने चीन को धोया
भारत ने आतंकवाद को लेकर चीन के दोहरे रवैये को सदस्य देशों के सामने उठाते हुए कहा कि, दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों के खिलाफ भी जो सबूत आधारिक प्रस्ताव लाए जाते हैं, उन्हें होल्ड पर डाल दिया जाता है, जिसकी वजह से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता सर्वकालिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया है। आपको बता दें कि, इसी साल जून महीने में संयुक्त राष्ट्र के एक स्थायी सदस्य चीन ने अपने दोस्त पाकिस्तान में मौजूद दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को ब्लैकलिस्ट करने वाले प्रस्ताव को 1267-अलकायदा प्रस्ताव के तहत, जिसके तहत आतंकवादियों को प्रतिबंधित किया जाता है, उसपर होल्ड लगा दिया था। इस प्रस्ताव को भारत और अमेरिका की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कायदा प्रतिबंध समिति में संयुक्त तौर पर पेश किया गया था, जिसपर चीन ने वीटो कर दिया था और प्रस्ताव गिर गया था। भारत ने चीन के इस रवैये पर गंभीर सवाल उठाए हैं। (तस्वीर- आतंकवादी मक्की)
'खत्म होनी चाहिए ये प्रथा'
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को कहा कि, बिना कोई कारण बताए लिस्टिंग अनुरोधों पर रोक लगाने और ब्लॉक करने की प्रथा समाप्त होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि, "प्रतिबंध समितियों के प्रभावी कामकाज के लिए उन्हें अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और उद्देश्यपूर्ण बनने की आवश्यकता है। बिना कोई औचित्य बताए लिस्टिंग अनुरोधों पर रोक लगाने और ब्लॉक करने की प्रथा समाप्त होनी चाहिए।" (तस्वीर- रुचिरा कंबोज, भारत की यूएनससी में स्थाई सदस्य)
इस महीने चीन कर रहा है अध्यक्षता
आपको बता दें कि, यूएनएससी की अध्यक्षता इस महीने चीन कर रहा है और पिछले साल अगस्त में भारत ने इसकी अध्यक्षता की थी और इस साल दिसंबर महीने में यूएनएससी की अध्यक्षता एक बार फिर से भारत के पास आने वाली है। मंगलवार को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक के दौरान 'आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा' के मुद्दे पर बोलते हुए काम्बोज ने कहा कि, "यह सबसे खेदजनक है कि वास्तविक और साक्ष्य-आधारित लिस्टिंग प्रस्ताव दुनिया के कुछ सबसे कुख्यात आतंकवादियों से संबंधित मामलों को ताक पर रखा जा रहा है।" उन्होंने कहा कि, "दोहरे मानकों और निरंतर राजनीतिकरण ने प्रतिबंध व्यवस्था की विश्वसनीयता को अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया है। हमें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ इस सामूहिक लड़ाई की बात आने पर यूएनएससी के सभी सदस्य एक साथ एक स्वर में अपनी आवाज जारी कर सकते हैं।
कौन है आतंकवादी मक्की
आपको बता दें कि, अब्दुल रहमान मक्की अमेरिका द्वारा नामित आतंकवादी और लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख का साला है, जो 26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद है। यह पता चला था कि, नई दिल्ली और वाशिंगटन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 आईएसआईएल और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत मक्की को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने का एक संयुक्त प्रस्ताव रखा था लेकिन बीजिंग ने अंतिम समय में इस प्रस्ताव पर रोक लगा दी थी। इससे पहले भी, चीन, इस्लामाबाद के एक सदाबहार मित्र ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को ब्लैकलिस्ट करने को लेकर भारत या सहयोगी देशों द्वारा पेश किए गये प्रस्ताव को रोक चुका है।
मई 2019 में मिली थी बड़ी जीत
आपको बता दें कि, इससे पहले मई 2019 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बड़ी कूटनीतिक जीत उस वक्त हासिल की थी, जब वैश्विक निकाय ने पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को "वैश्विक आतंकवादी" के रूप में नामित कर दिया था। नई दिल्ली की तरफ से यूएनएससी में मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने के लिए करीब 10 साल पहले यूएनएससी में प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे चीन पहले कई बार रोक चुका था। आपको बता दें कि, यूएनएससी का स्थाई सदस्य होने के नाते चीन के पास वीटो का अधिकार है, और चीन पाकिस्तानी आतंकवादियों को अकसर बचाता रहा है। चीन एकमात्र सदस्य देश है, जिसने मक्की को आतंकवादियों के ब्लैकलिस्ट में डालने पर वीटो अधिकार का इस्तेमाल किया था। इस समिति के सभी प्रस्ताव सर्वसम्मित से लिए जाते हैं।
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