UN में बोले अकबरुद्दीन, लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों का हथियार बना सोशल मीडिया
न्यूयॉर्क। यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने एक बार फिर आतंकवाद पर भारत का रुख दुनिया के सामने रखा है। अकबरुद्दीन ने आतंकी संगठनों के बीच बढ़ते सोशल मीडिया के प्रयोग की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाए बिना इसे हरा पाना मुश्किल होगा। उन्होंने आतंकवाद को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया है और कहा कि टेरर से जुड़े अपराधों का सामना करने के लिए सबको एकजुट होना होगा।
क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिशें
अकबरुद्दीन, यूएन और शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के एक कार्यक्रम में मौजूद थे। अकबरुद्दीन ने कहा है कि यूएन की तरफ से नॉमिनेट आईएसआईएल, अल-शबाब, अल-कायदा, बोको हराम, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन सीमा पार से मिल रही आर्थिक मदद, प्रचार और आतंकी भर्तियां कर पूरे इलाके को अस्थिर करने में लगे हुए हैं। इन आतंकियों पास साइबर स्पेस और सोशल मीडिया के कई साधन भी हैं जिनका ये संगठन खतरनाक तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उन्होंने एससीओ की अहमियत का जिक्र भी किया। उन्होने कहा कि एससीओ का क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढांचा आतंकवाद और ड्रग्स के खिलाफ समन्वित कार्रवाई के लिए एक उपयोगी तंत्र है। अकबरुद्दीन कहा कि भारत बिना किसी दोहरे मापदंड के आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के नजरिए को आगे बढ़ाने की अपील की है। अकबरुद्दीन के मुताबिक अपराधियों ने आतंकियों के साथ मिलकर मादक पदार्थों की तस्करी, हथियारों से निपटने, लूटी गई पुरावशेषों की बिक्री, मनी लॉन्ड्रिंग के लिए आतंकियों से हाथ मिलाया है।