श्रीलंका ने भारत-चीन सीमा विवाद पर दिया बयान, पीएम राजपक्षे बोले-किसी का पक्ष नहीं लेंगे
कोलंबो। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने भारत-चीन सीमा विवाद पर बड़ा बयान दिया है। राजपक्षे, जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है, उन्होंने कहा है कि भारत और चीन दोनों ही श्रीलंका के अच्छे संबंध हैं। दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद में उनका देश किसी का पक्ष नहीं लेगा और खुद को इससे दूर रखेगा। आपको बता दें कि यह राजपक्षे का ही कार्यकाल था जब चीन की परमाणु पनडुब्बी श्रीलंका पहुंची थी और फिर हम्बनटोटा पोर्ट को लीज पर दे दिया गया। मगर पिछले वर्ष फिर से देश की कमान संभालने के बाद उनके तेवर भारत के लिए बदल गए हैं।
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नेहरु के पंचशील सिद्धांतों का जिक्र
भारतीय मीडिया से बात करते हुए पीएम राजपक्षे ने श्रीलंका से चीन के रिश्तों से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा- 'श्रीलंका गुट-निरपेक्ष विदेश नीति को ही अमल में लाना जारी रखेगा। चीन और भारत दोनों ही हमारे करीबी दोस्त हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'जवाहर लाल नेहरू और चीनी पीएम झोऊ एनलाई ने पंचशील सिद्धांतों को आगे बढ़ाया था जिसमें- क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता, गैर-आक्रमण नीति, एक- दूसरे के निजी मामलों में हस्तक्षेप न करना, समानता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व जैसे मूल्य शामिल हैं। श्रीलंका सभी भी इन सिद्धांतों पर भरोसा करता है और आगे भी इन्हीं के मुताबिक विदेश नीति जारी रहेगी।'
पीएम मोदी ने की राजपक्षे से फोन पर बात
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अपने श्रीलंकन समकक्ष महिंदा राजपक्षे से बातचीत की थी। पीएम मोदी ने राजपक्षे को श्रीलंकाई संसद में 50 वर्ष पूरे करने पर बधाई भी दी। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका के विकास में महिंदा राजपक्षे के योगदान और उनके लंबे राजनीति करियर का उल्लेख करते हुए उन्हें भविष्य के लिये भी शुभकामनाएं दी।' इसके साथ ही मोदी ने श्रीलंका में तमिल मूल के एक प्रमुख नेता अरूमुगन थोंडामन के निधन पर शोक संवेदना प्रकट की। राजपक्षे से बात करते हुए पीएम मोदी ने भारत और श्रीलंका के बीच गठजोड़ को आगे बढ़ाने में थोंडामन की भूमिका को याद किया। दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी के प्रभाव और इसके आर्थिक प्रभावों पर भी चर्चा की है।