यमन में भूखों के मुंह से खाना छीन रहे हैं विद्रोही
सोमवार को समाचार एजेंसी एपी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि युद्ध में शामिल सभी पक्ष राहत सामग्री में घोटाला कर रहे हैं. इसे ज़रूरतमंदों तक पहुंचने से रोका जा रहा है और लड़ाकों तक पहुंचाया जा रहा है या फ़ायदे के लिए बाज़ार में बेचा जा रहा है.
यमन में राहत सामग्री पहुंचा रहे विश्व खाद्य कार्यक्रम ने हूती विद्रोहियों से कहा है कि वो अपने कब्ज़े वाले इलाक़ों में ज़रूरतमंदों तक खाद्य सामग्री पहुंचने दें.
संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी के एक सर्वे के मुताबिक़ राजधानी सना के लोगों तक उनके हुस्से की ज़रूरी राहत सामग्री नहीं पहुंच सकी है.
एजेंसी का कहना है कि जिन इलाक़ों में खाद्य सामग्री बांटी जा रही थी वहां से इसे ज़बरदस्ती हटाकर या तो खुले बाज़ार में बेचा जा रहा है या फिर उन लोगों को दिया जा रहा है जो इसके सही हक़दार नहीं है.
हूती विद्रोहियों ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया दिए बिना कहा है कि वो राहत सामग्री का रास्ता नहीं बदल रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ यमन में दो करोड़ लोग खाद्य संकट झेल रहे हैं और इनमें से एक करोड़ को ये भी नहीं मालूम कि उन्हें अगले वक़्त का खाना मिल पाएगा भी या नहीं.
यमन 2015 में शुरू हुए गृहयुद्ध के बाद से बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है.
राहत सामग्री बांटने में गड़बड़ी
हूती विद्रोहियों के देश के अधिकतर पश्चिमी हिस्सों पर नियंत्रण करने और सऊदी अरब समर्थित राष्ट्रपति अब्दूरब्बू मंसूर हादी को देश छोड़कर भागने पर मजबूर करने के बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले सैन्य गठबंधन ने यमन के युद्ध में हस्तक्षेप किया था. इसके बाद से यमन के हालात और बिगड़ते होते चले गए.
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ अब तक की लड़ाई में कम से कम 6,800 आम नागरिक मारे गए हैं और 10,700 से अधिक घायल हुए हैं.
इसके अलावा दसियों हज़ार नागरिकों की मौत ऐसे कारणों से हुई है जिन्हें रोका जा सकता था. इनमें कुपोषण, बीमारी और भुखमरी शामिल हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि हाल के महीनों में की गई समीक्षा में खाद्य सामग्री के बंटवारे में गड़बड़ी सामने आई है. राजधानी सना के खुले बाज़ार में राहत सामग्री बिकने की रिपोर्टें भी आ रहीं थीं.
एजेंसी के मुताबिक़ खाद्य सामग्री बांटने के काम में सहायता कर रही कम से कम एक एजेंसी घोटाला कर रही थी. ये संस्था हूती विद्रोहियों के शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी हुई है.
एक बयान में डब्ल्यूपीएफ़ के कार्यकारी निदेशक डेविड बीसले ने कहा, "ये भूखे लोगों के मुंह से खाना चुराने जैसा है."
डेविड बीसले का कहना है "ऐसे समय में जब पर्याप्त खाना ना होने से यमन में बच्चे भूख से मर रहे हैं, ये घिनौना अत्याचार है. ये आपराधिक व्यवहार तुरंत रुकना चाहिए."
डब्ल्यूपीएफ़ का कहना है कि उसके पर्यवेक्षकों ने लॉरियों के खाद्य सामग्री चुराने और खुले बाज़ार में बेचने की तस्वीरें ली हैं.
जांच में ये भी पता चला है कि लाभार्थियों में फ़र्ज़ी नाम भी जोड़े जा रहे हैं और ग़लत पतों पर भी सामग्री पहुंचाई जा रही है.
कुछ सामग्री ऐसे लोगों को दी जा रही है जो उसके हक़दार नहीं है और कुछ को बाज़ार में बेचा जा रहा है.
हूती विद्रोहियों के चेतावनी देते हुए डेविड बीसले ने कहा है यदि तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो संस्था के पास सामग्री में घोटाला करने वालों के साथ काम रोकने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा.
सोमवार को समाचार एजेंसी एपी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि युद्ध में शामिल सभी पक्ष राहत सामग्री में घोटाला कर रहे हैं. इसे ज़रूरतमंदों तक पहुंचने से रोका जा रहा है और लड़ाकों तक पहुंचाया जा रहा है या फ़ायदे के लिए बाज़ार में बेचा जा रहा है.
13 दिसंबर को विद्रोही और यमन सरकार, संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्तता में हुई शांति वार्ता में हुदैदा शहर में संघर्षविराम करने के लिए तैयार हो गए थे.
लाल सागर के तट पर बसा ये शहर राहत सामग्री पहुंचाने के लिए बेहद अहम माना जाता है.