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सावधान: बीते 46 साल में दुनिया के दो-तिहाई वन्यजीव खत्म हो गए, WWF की रिपोर्ट

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नई दिल्ली- सिर्फ चार दशकों से कुछ ज्यादा वक्त में ही दुनिया में वन्यजीवों की जनंख्या में औसतन 68 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ने बुधवार को जारी एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में यह चेतावनी भरी जानकारी दी है। रिपोर्ट में वन्यजीवों की जनसंख्या में आई इतनी बड़ी गिरावट की मुख्य वजह इंसानी गतिविधियों को बताया गया है। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि अगर जल्द कदम उठाए जाएं तो यह स्थिति बदल भी सकती है, नहीं तो आने वाले दशकों और सदियों में 10 लाख से ज्यादा और प्रजातियां हमेशा के लिए विलुप्त हो जा सकती हैं।

46 साल में दुनिया से गायब हो गए 68% वन्यजीव

46 साल में दुनिया से गायब हो गए 68% वन्यजीव

दी लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2020 के मुताबिक 1970 से 2016 के बीच 4,392 प्रजातियों की जनसंख्या में बहुत ज्यादा कमी दर्ज की गई है। वन्यजीवों की 64 फीसदी या दो-तिहाई आबादी इन वर्षों में विलुप्त हो चुके हैं। इन प्रजातियों में स्तनधारियों से लेकर,पक्षियां, मछलियां, सरीसृप और उभचर प्राणी शामिल हैं। रिपोर्ट की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि इन 46 वर्षों में जिस रफ्तार से वन्यजीव धरती से गायब हुए हैं, उतने पिछले लाखों वर्षों में कभी नहीं हुए। दुनिया के जो इलाके वन्यजीवों के लिए सबसे खतरनाक साबित हुए हैं, उनमें लैटिन अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र शामिल हैं, जहां औसतन 94 फीसदी वन्यजीव इसी दौरान खत्म हुए हैं।

इंसानी जरूरतों ने वन्यजीवन को तबाह कर दिया

इंसानी जरूरतों ने वन्यजीवन को तबाह कर दिया

वन्यजीवों की जनसंख्या कम होने की मुख्य वजह इंसानी जरूरतों को पूरा करने के लिए चारागाहों, सवाना, जंगलों और वेटलैंड के मूल रूप को बदलना, वन्यजीवों का अत्यधिक शोषण, मूल-प्रजातियों से अलग प्रजातियों की शुरुआत और जलवायु परिवर्तन बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका में 65 फीसदी, एशिया-पैसिफिक में 45 फीसदी, उत्तरी अमेरिका में 33 फीसदी और यूरोप एवं सेंट्रल एशिया में 24 फीसदी वन्यजीव कम हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मनुष्यों की वजह से पृथ्वी की 75 फीसदी बर्फ-रहित भूमि प्रभावित हुई है।

दुनिया की 10 लाख प्रजातियों पर खतरा

दुनिया की 10 लाख प्रजातियों पर खतरा

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के अनुसार इकोसिस्टम तबाह होने से अब दुनिया की करीब 10 लाख प्रजातियां खतरे में पड़ चुकी हैं। इनमें 5,00,000 स्तनधारी और पेड़ हैं, जबकि 5,00,000 कीट-पतंग हैं, जिनके आने वाले दशकों और शताब्दियों में समाप्त होने की आशंका है। हालांकि, रिपोर्ट में यह उम्मीद भी जताई गई है कि गिरावट के इस ट्रेंड को रोका जा सकता है, अगर तत्काल कदम उठाए जाएं। हम किस तरह का उत्पादन करते हैं और कैसे खाते हैं, इसमें बदलाव से भी अंतर आ सकता है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण करके और प्रकृति की रक्षा करके भी बदलाव लाया जा सकता है।

औसतन 4 फीसदी सालाना कम हो रहे हैं फ्रेशवॉटर के जीव

औसतन 4 फीसदी सालाना कम हो रहे हैं फ्रेशवॉटर के जीव

विशेषज्ञों की कहना है कि औद्योगिक क्रांति के बाद से दुनिया में 85 फीसदी वेटलैंड समाप्त हो चुके हैं। फ्रेशवॉटर में रहने वाले स्तनधारी, पक्षियां, सरीसृप और उभयचर 1970 के बाद से औसतन 4 फीसदी सालाना के दर से कम होते गए हैं। इसे सबसे आश्चर्यजनक और चिंताजनक गिरावट माना गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक 21वीं सदी के लाइफस्टाइल को पूरा करने के लिए हम पृथ्वी की जैव क्षमता का कम से कम 56 फीसदी ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। (तस्वीरें सौजन्य-सोशल मीडिया)

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English summary
In the past 46 years, humans have destroyed 68 percent of the world's wildlife, WWF reports
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