किस हाल में हैं अमरीका में क़ैद 52 अवैध प्रवासी भारतीय
अमरीका में कथित तौर पर अवैध रूप से प्रवेश करने वाले परिवारों को विभाजित करने और उन्हें गिरफ़्तार करने की नीति की सख़्त आलोचना के बीच ये ख़बर आई है कि गिरफ़्तार होने वाले हज़ारों लोगों में 52 भारतीय भी हैं.
उन्हें हाल में ही ओरेगन के शेरिडन इलाक़े की एक जेल में लाया गया और कई दूसरे क़ैदिओं के साथ रखा गया जिनमें बांग्लादेश और नेपाल के नागरिक भी शामिल हैं.
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की इस विवादास्पद नीति के अनुसार
अमरीका में कथित तौर पर अवैध रूप से प्रवेश करने वाले परिवारों को विभाजित करने और उन्हें गिरफ़्तार करने की नीति की सख़्त आलोचना के बीच ये ख़बर आई है कि गिरफ़्तार होने वाले हज़ारों लोगों में 52 भारतीय भी हैं.
उन्हें हाल में ही ओरेगन के शेरिडन इलाक़े की एक जेल में लाया गया और कई दूसरे क़ैदिओं के साथ रखा गया जिनमें बांग्लादेश और नेपाल के नागरिक भी शामिल हैं.
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की इस विवादास्पद नीति के अनुसार अमरीका में अवैध रूप से घुसने वाले गिरफ़्तार करके जेल में क़ैद किए जा रहे हैं. लेकिन उनके बच्चे केंद्रीय और राज्य सरकारों के कैम्पों में रखे जा रहे हैं. इस नीति पर अमरीका में खूब बहस छिड़ गई है. इसे बर्बरता कहा जा रहा है. पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की पत्नी लौरा बुश ने इस नीति को दिल तोड़ देने वाला बताया.
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हालांकि अब अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने आख़िरकार अवैध प्रवासियों को उनके बच्चों से अलग न किए जाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. उन्होंने वादा किया है कि अब प्रवासी परिवार एकसाथ रह सकेंगे.
अवैध तौर पर अमरीका में प्रवेश करने और वहां राजनीतिक शरण लेने वालों में दक्षिण अमरीकी देशों के नागरिक सबसे अधिक संख्या में हैं. भारत, बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान के नागरिकों की संख्या पहले के मुक़ाबले में बहुत कम है, लेकिन अब भी ये संख्या हज़ारों में है.
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भारत सरकार ने नहीं दी प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ पिछले साल 7,000 भारतीयों ने अमरीका में सियासी पनाह के लिए अप्लाई किया था.
ओरेगन की मीडिया के अनुसार स्थानीय डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और नामी स्थानीय नागरिक इन गिरफ़्तारियों पर काफ़ी नाराज़ हैं क्योंकि उनके अनुसार सरकार इन क़ैदियों के बच्चों को उन से अलग करके कहीं दूर अलग-अलग कैम्पों में रख रही है. पूरे अमरीका में ऐसे बच्चों की संख्या 2,000 के क़रीब है. लेकिन इसकी कोई जानकारी नहीं है कि क्या इस संख्या में भारतीय बच्चे भी शामिल हैं.
भारत सरकार की तरफ़ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. भारतीय विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया, लेकिन इस ख़बर पर कोई जवाब नहीं आया कि अवैध रूप से अमरीका प्रवेश करने वालों में 52 भारतीय भी हैं.
लोकल मीडिया ने ओरेगन के सियासी नेताओं के हवाले से बताया कि भारतीय नागरिकों में हिंदी और पंजाबी बोलने वाले सबसे अधिक हैं. कहा जाता है कि वो भारत में अपने ख़िलाफ़ कथित रूप से होने वाले भेदभाव के कारण देश छोड़ कर भागे और अमरीका पहुंचे.
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भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल परिवार को अलग रखने वाली इस नीति के ख़िलाफ़ आगे-आगे रहीं.
उनके अनुसार क़ैद किए गए लोगों में अधिकतर राजनीतिक शरण हासिल करने वाले लोग हैं और एक स्थानीय जेल के दौरे के बाद उन्होंने कहा था कि क़ैदियों में महिलाओं की संख्या अधिक है जो अपने बच्चों से अलग होने के कारण बुरे हाल में हैं.
ओरेगन के कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के चार सदस्यों ने, जो सभी डेमोक्रेट थे, शनिवार को हिरासत केंद्र का दौरा किया और कहा कि वो काफी दुखी और ग़ुस्से में हैं.
उस मुलाकात में क़ैदियों ने राजनेताओं को बताया था कि वे दिन में 22 से 23 घंटे बंद कमरे में रहते हैं और एक सेल में तीन लोग बंद रखे जा रहे हैं.
उनके मुताबिक़ वकील से बात करना असंभव है. तब उन्होंने नेताओं से अपनी पत्नियों और बच्चों के प्रति चिंता जताई थी.