तस्वीरों में: शरणार्थी कैंप में ऐसी है ज़िंदगी
ये लोग वहां के शरणार्थी शिविरों में ज़िंदगी बसर कर रहे हैं. टॉमी ट्रेन्कार्ड इन कैंपों में पहुंचे और वहां मौजूद चीज़ों को कैमरे में कैद किया.
टॉमी की ये तस्वीरें शरणार्थी कैंपों में ज़िंदगी की झलक पेश करती हैं.
टॉमी कहते हैं, "संकट के शुरुआती दिनों में यहां ज़िंदगी मुश्किल थी. लेकिन धीरे-धीरे यहां रहने वाले शरणार्थियों के हालात सुधारने लगे."
दक्षिण सूडान में 2013 के दौरान गृह युद्ध शुरू हुआ था. तब से वहां के 10 लाख से ज़्यादा लोग सीमा पार कर पड़ोसी देश युगांडा पहुंच चुके हैं.
ये लोग वहां के शरणार्थी शिविरों में ज़िंदगी बसर कर रहे हैं. टॉमी ट्रेन्कार्ड इन कैंपों में पहुंचे और वहां मौजूद चीज़ों को कैमरे में कैद किया.
टॉमी की ये तस्वीरें शरणार्थी कैंपों में ज़िंदगी की झलक पेश करती हैं.
टॉमी कहते हैं, "संकट के शुरुआती दिनों में यहां ज़िंदगी मुश्किल थी. लेकिन धीरे-धीरे यहां रहने वाले शरणार्थियों के हालात सुधारने लगे."
शरणार्थियों के प्रति युगांडा की नीति दूसरे देशों के लिए मिसाल है.
"हर परिवार को खेती करने के लिए ज़मीन का टुकड़ा दिया गया है. वो मुफ्त में देश में व्यापार कर सकते हैं. यहां के शरणार्थी कैंपों में रहने वालों की ज़िंदगी काम करते हुए, खाना बनाते हुए, खेती, खेल-कूद और ना खत्म होने वाले इंतज़ार में बीतती है."
शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शरणार्थियों के स्वदेश लौटने की उम्मीदें बढ़ गई हैं.