इथोपिया में कंपनी ने नहीं दी तनख़्वाह, 7 कर्मचारियों की जान आफ़त में
बंधक बनाए गए दो और कर्मचारियो ने भी 28 नवंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई थी.
उन्होंने लिखा, "हम सात कर्मचारियों को बीते 6 दिनों से स्थानीय कर्मचारियों ने बंधक बनाया गया है. उन्हें तनख़्वाह नहीं मिली है. कृपया हमें बचाइये."
अफ्रीकी देश इथियोपिया में तनख़्वाह न मिलने से नाराज़ स्थानीय लोगों ने सात भारतीय नागरिकों को बंधक बना लिया है.
ये मामला भारतीय कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर लीज़िंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज़ (आईएलएफ़एस) ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क इंडिया लिमिटेड (आईटीएनएल) और स्पेन की कंपनी एल्सामेक्स एसए के साझा उपक्रम आईटीएलएल-एल्सामेक्स से जुड़ा है.
इस नई कंपनी ने इथियोपियाई सरकार के साथ 2016 में देश में 160 किलोमीटर की सड़क बनाने का क़रार किया था. इस सड़क के ज़रिए ओरोमिया के नेकेम्टी और अमहारा के बूरे शहरों को जोड़ने की योजना थी.
सड़क निर्माण के काम के लिए कंपनी इथियोपियाई सड़क प्राधिकरण के साथ मिल कर अप्रैल 2016 से काम कर रही थी.
आईएलएंडएफएस सरकारी क्षेत्र की कंपनी है और इसकी कई सहायक कंपनियां हैं. इसे नॉन बैंकिंग फ़ाइनेंस कंपनी यानी एनबीएफसी का दर्जा हासिल है.
भारतीय कंपनी के लोगों को बंधक बनाने वाले भी इसी कंपनी के लिए काम करते थे और तीन महीने से तनख्वाह नहीं मिलने के कारण नाराज़ थे.
बताया जा रहा है कि इन स्थानीय लोगों को सिक्योरिटी सर्विस के लिए नौकरी पर रखा गया था. कंपनी की तरफ से अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकिरी के अनुसार मामले को सुलझाने के लिए मंत्रालय इथियोपियाई सरकार से बात कर रही है.
कंपनी में बतौर सब-कॉन्ट्रेक्टर काम कर चुके हाब्टामू कालायू ने बीबीसी को बताया कि कंपनी ने पांच महीने पहले ही खुद को दिवालिया घोषित कर काम रोक दिया था.
हाब्टामू का कहना है कि बीते पांच महीनों से स्थानीय कर्मचारियों और सब-कॉन्ट्रेक्टरों को तनख़्वाह नहीं दी गई है.
कंपनी में बतौर मानव संसाधन प्रबंधक काम कर रहे अमन तेशफ़ाये कहते हैं कि सड़क परियोजना ने स्थायी तौर पर 198 कर्मचारी काम कर रहे थे. वो बताते हैं कि उन्हें खुद दो महीनों से तनख़्वाह नहीं मिली है.
बंधक बनाए गए सात लोगों में से एक ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर फ़ोन पर बीबीसी को बताया, "उन्होंने हमें धमकी दी है कि हम कहीं भी न जाएं. वो मानते हैं कि जो हुआ उसके लिए हम ज़िम्मेदार हैं. उन की तरह हमं भी नौकरी पर रखा गया था. हमें भी पांच महीनों से तनख़्वाह नहीं मिली है."
सोशल मीडिया पर कर्मचारियों की गुहार ?
बंधक बनाए गए लोगों का कहना है कि उन्हें कोई क्षति नहीं पहुंचाई गई है लेकिन परिसर से बाहर जाने से रोका गया है.
उन्होंने बताया कि उन्होंने अदिस अबाबा में मौजूद भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगाई है और उन्हें बताया गया है कि दूतावास उनकी मदद करने की कोशिश कर रहा है.
इथियोपियाई सड़क प्राधिकरण के प्रवक्ता सैमसन वॉन्डिमू ने कहा कि परियोजना के प्रमुख और दूतावास के साथ चर्चा जारी है.
स्थानीय कर्मचारियों ने कंपनी के सात भारतीय कर्मचारियों को उनके घरों में ही घेर लिया है जिस कारण उनके घर से निकलने पर लगभग रोक लग गई है.
बंधक बनाए गए एक व्यक्ति चैतन्य हरी ने 28 तारीख को सोशल मीडिया के ज़रिए भारतीय विदेश मंत्रालय से संपर्क साधा और अपनी समस्या बताई थी.
उन्होंने लिखा, "तुरंत मदद चाहिए, आईएलएफ़एस के हम सात कर्मचारियों को स्थानीय कर्मचारियों ने बंधक बना कर रखा है. कंपनी की ग़लतियों की क़ीमत हम अपनी जान दे कर नहीं चुका सकते."
बंधक बनाए गए दो और कर्मचारियो ने भी 28 नवंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई थी.
उन्होंने लिखा, "हम सात कर्मचारियों को बीते 6 दिनों से स्थानीय कर्मचारियों ने बंधक बनाया गया है. उन्हें तनख़्वाह नहीं मिली है. कृपया हमें बचाइये."
सुखविंदर सिंह ने लिखा "हमें अपने ही घर पर बंधक बना दिया गया है."
एक अधिकारी ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा है कि अब तक उन्हें कहीं से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है, हम अभी भी मुसीबत में हैं.