बीजिंग में पाकिस्तान के विदेश मंत्री देखते रह गए और आतंकवाद पर सुषमा स्वराज ने दे डाला कड़ा संदेश
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। सुषमा ने यहां पर जिनपिंग और पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई है।
बीजिंग। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। सुषमा ने यहां पर जिनपिंग और पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की मौजूदगी में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई है। सुषमा ने बीजिंग में आतंकवाद को, 'जिंदगी, शांति और मूल मानवाधिकारों' के लिए एक बड़ी चुनौती करार दिया है। आज से तीन दिन के बाद हुबई प्रांत की राजधानी वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होनी है। उससे पहले सुषमा की ओर से पाकिस्तान को दिया गया यह संदेश काफी अहम और उससे भी ज्यादा अहम है उसके करीबी दोस्त चीन की सरजमीं से जिनपिंग के सामने पाक को आईना दिखाना।
आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती
सुषमा ने कहा कई सारी ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना आज दुनिया कर रही है, सबसे बड़ी चुनौती है वैश्विक स्तर पर बढ़ता आतंकवाद और उससे लड़ने के लिए एक मजबूत सुरक्षातंत्र का निर्माण करना। उन्होंने कहा आतंकवाद मानवाधिकार, जिंदगी, शांति और समृद्धता का दुश्मन है। सुषमा ने यह बात शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की मुलाकात में कही। जिस समय सुषमा आतंकवाद पर बोल रही थीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ भी वहीं पर मौजूद थे। सुषमा ने यहां पर कहा कि भारत ने कई बात उन देश के खिलाफ बात की है जो आतंकवाद की मदद करते हैं लेकिन अब इस तरह के देश का नाम लेना बंद कर दिया है।
बैठे थे पाक विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ
सुषमा ने कहा, 'भारत इस बात पर काफी मजबूती से यकीन करता है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई को सिर्फ आतंकियों के खात्मे से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। बल्कि इस लड़ाई के लिए उन देशों को भी एक संदेश दिया जाना चाहिए जो इसे प्रोत्साहन देते हैं और आतंकवाद को पनपने के लिए आर्थिक मदद तक मुहैया कराते हैं।'जिस समय सुषमा बोल रही थीं चीन के विदेश मंत्री वांग ई भी वहां पर मौजूद थे। भारत और पाकिस्तान दोनों को पिछले वर्ष ही चीन और रूस की अगुवाई वाले संगठन एससीओ में सदस्यता दी गई है। सुषमा ने यहां पर कहा कि यूनाइटेड नेशंस में भारत की ओर से दो दशक पहले काम्प्रेहेंसिव कनवेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म प्रस्ताव पर एक आकस्मिक पहल करने की अपील की है। सुषमा ने कहा कि भारत इस बात पर अडिग है कि एससीओ के अंदर सुरक्षा को लेकर सुरक्षा के लिए एक सतत और सहयोगपरक तरीके से काम करने की जरूरत है।
चीन को भी कई प्रोजेक्ट्स पर लिया निशाने पर
सुषमा ने यहां पर एससीओ देशों के अंदर जारी 'कनेक्टिविटी' के मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव यानी बीआरआई का जिक्र किए बगैर साफ कर दिया कि इस प्रोजेक्ट पर भारत की कौन सी चिंताएं जुड़ी हैं। सुषमा ने कहा, 'एससीओ देशों के बीच में संपर्क भारत की प्राथमिकता है। हम चाहते हैं कि इस संपर्क से आपसी सहयोग और भरोसे का निर्माण हो। इसके लिए संप्रभुता का सम्मान करना काफी जरूरी है।' भारत ने बीआरआई का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया है। बीआरआई चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीइसी) का हिस्सा है।
भारत आर्थिक संबंध मजबूत करने पर दृढ़
बीआरआई के अलावा सुषमा ने यहां पर कई ऐसे अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स का भी जिक्र किया जिसका भारत हिस्सा था। उन्होंने इसमें इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरीडोर का जिक्र किया जो चाबहार पोर्ट डेवलपमेंट से जुड़ा है। इसके अलावा उन्होंने भारत-म्यांमार-थाइलैंड हाइवे प्रोजेक्ट्स और बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (बीबीआईएन) के बारे में भी बात की। सुषमा ने कहा कि भारत एससीओ के साथ मिलकर भारत के आर्थिक और निवेश संबंधों को मजबूत करना चाहता है।
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