अगर ईरान ने किया ये काम, तो पेट्रोल-डीजल की एक-एक बूंद के लिए तरस जाएगी दुनिया
नई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच तनाव की खबर कोई नई बात नहीं है। गुरुवार को अमेरिका की तरफ से ईरान पर हुए एयर स्ट्राइक के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आ गई है। अमेरिका के एयर स्ट्राइक में ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी और इराकी मिलिशिया कमांडर अबू महदी अल-मुहांडिस समेत 7 लोगों की मौत हो गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने के इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
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ईरान ने अमेरिका को दी चेतावनी
सुलेमानी की मौत के बाद ईरान की तरफ से अमेरिका को कहा गया है कि वह गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे। ईरान के सुप्रीम लीडर अयतोल्ला अली खेमनेई की तरफ से अमेरिका को यह चेतावनी दी गई है। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव का असर भारत समेत दुनिया के कई देशों पर पड़ सकता है। दरअसल, दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल रास्ता कहे जाने वाले हॉर्मूज जलडमरूमध्य को ईरान कभी भी बंद कर सकता है। ईरान और अमेरिका के बीच विवाद बढ़ने से कई बार इसका परिणाम फारस की खाड़ी पर देखने को मिला है।
रास्ता बंद होने से मच जाएगा हाहाकार
इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता है, अगर अमेरिका से ईरान का सैन्य तनाव बढ़ता है तो वह कभी भी हॉर्मूज जलडमरूमध्य को बंद करने का आदेश दे सकता है। हॉर्मूज जलडमरूमध्य पर ईरान इसलिए इतना दम भरता है क्योंकि वह तेल निर्यात के लिए सबसे महत्वपूर्ण रास्ता माना जाता है। हॉर्मूज जलडमरूमध्य के बंद होने से तेल व्यापार पर गंभीर असर पड़ सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया में पेट्रोल और डीजल के लिए हाहाकार मच जाएगा।
दुनिया को इसी रास्ते से मिलता है तेल
हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हॉर्मूज जलडमरूमध्य के रास्ते इराक, सऊदी अरब, कुवैत, ईरान और कतर का ज्यादातर तेल इसी समुद्री रास्ते से होकर जाता है। यहां से हर रोज करीब 15 मिलियन बैरल्स की सप्लाई की जाती है, अगर यह बंद होता है तो इसका असर अमेरिका पर भी पड़ेगा। यूरोपिय देशों समेत अमेरिका, यूके में भी तेल की किल्लत हो सकती है। हॉर्मूज जलडमरूमध्य के बंद होने से तेल के दाम बढ़ेंगे और खाड़ी देशों में भी हालात बिगड़ जाएंगे।
भारत और चीन की बढ़ेंगी मुश्किलें
ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है अगर ऐसा होता है तो भारत और चीन पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव से भारत और चीन के लिए ऊर्जा सुरक्षा एक चुनौती बनकर खड़ी हो जाएगी। वर्ष 1980-88 में एक बार ऐसी स्थिति पैदा हो गई थी जब ईरान और इराक के बीच युद्ध हुआ था। दोनों देशों ने एक दूसरे के तेल एक्सपोर्ट को निशाना बनाया था जिसे पूरी दुनिया टैंकर वॉर के नाम से जानती है।
कौन था जनरल कासिम सुलेमानी?
अमेरिका की तरफ से बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हुए हवाई हमले में ईरान के टॉप जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई है। ईरान के कनात-ए-मालेक गांव में एक गरीब किसान के घर 11 मार्च 1957 को कमांडर कासिम सुलेमानी का जन्म हुआ। सुलेमानी ने पहले मजदूरी की फिर 1979 में वह ईरान की रेवोल्यूशनरी वॉर गार्ड (आईआरजीसी) में शामिल हुआ। ईरानी क्रांति के दौरान सेना का हिस्सा बने और फिर 80 के दशक से उनका सैन्य कद बढ़ता ही गया।
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