Corona: अगर बराक ओबामा राष्ट्रपति होते तो क्या अमेरिका ऐसी दुर्गति से बच जाता?
कोरोना महासंहार के बीच अमेरिकी लोगों को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की बहुत याद आ रही है। अमेरिकी नागरिक ओबामा की कमी को सिद्दत से महसूस कर रहे हैं। मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस संकट से निबटने में जो लापरवाही दिखायी, उससे लोगों में निराशा है। अधिकांश अमेरिकियों की राय है कि अगर ओबामा अभी राष्ट्रपति होते तो देश की ऐसी दुर्गति न होती। अमेरिका में कोई व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं बन सकता। बराक ओबामा दो बार प्रेसिडेंट बन चुके हैं। इसके वावजूद लोग चाहते हैं कि उन्हें इस हाल में फिर देश का नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि कानूनी रूप से ये मुश्किल हैं, लेकिन लोग ट्रंप से इतने निराश हैं कि वे ऐसा भी सोचने लगे हैं। कोरोना संकट के बीच अगर अमेरिकी लोग ओबामा की कमी महसूस कर रहे हैं तो इसकी वजह भी है। ओबामा ने इबोला वायरस के हमले के समय बेहद सूझबूझ का परिचय दिया था। 2008 की आर्थिक मंदी के समय उन्होंने अपनी योग्यता से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाया था। ओबामा हर संकट की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार रहते थे। लेकिन ट्रंप अपनी गलती दूसरों के कंधों पर डालते रहे हैं। ट्रंप बड़बोले हैं जब कि ओबामा शांतचित्त होकर अपना काम करते थे।
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इबोला से कैसे निबटा ओबामा प्रशासन ने
अगर ओबामा होते तो कोरोना से कैसे निबटते ? इबोला वायरस ने 2014 से 2016 के बीच पूर्वी अफ्रीका भयंकर तबाही मचायी थी। उस समय ओबामा अमेरिका के राष्ट्पति थे। उन्होंने समय रहते एहतियात के उपाय किये। इसकी वजह से अमेरिका में केवल 11 व्यक्ति ही इबोला से संक्रमित हुए। ओबामा ने इस बीमारी से निबटने के लिए एक शीर्ष अधिकारी ‘इबोला जार' की नियुक्ति की थी। इस अधिकारी ने अफ्रीका के प्रभावित देशों और अपने देश के वैज्ञानिकों के साथ समन्वय बना कर समय रहते ही सुरक्षा के उपाय लागू कर दिये थे। लाइबेरिया (पूर्वी अफ्रीका) का रहने वाला एक व्यक्ति अपने परिजनों से मिलने टेक्सास (अमेरिका) आया हुआ था। 19 सितम्बर 2014 को लाइबेरिया से टेक्सास के लिए चला था। 20 सितम्बर को अमेरिका पहुंचने पर उसकी जांच हुई तो उसमें इबोला के लक्ष्ण नहीं पाये गये थे। लेकिन करीब 12 दिन बाद उसमें इबोला के लक्षण प्रगट होने लगे।
अगर ओबामा होते तो कोरोना से कैसे निबटते ?
अगर अभी ओबामा होते तो कोरोना से वैसे ही निबटते जैसे कि इबोला का सामना किया था। ओबामा के निर्देश पर सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन डायक्टोरेट ने पहले से इबोला से निबटने की तैयारी कर रखी थी। लाइबेरिया से आये इबोला मरीज को तुरंत ही एक स्पेशल वार्ड में भर्ती कर दिया गया। जब दो सप्ताह बाद इस रोगी की इबोला से मौत हो गयी तो ओबामा प्रशासन ‘वार मोड' में आया। कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के अध्यक्ष और प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. क्रेग स्पेंसर और अन्य वैज्ञानिक इबोला से लड़ने के लिए दिनरात मेहनत करने लगे। राष्ट्रपति बराक ओबामा खुद इस अभियान की देख रेख करने लगे। जांच का दायरा बढ़ा दिया गया। आखिरकार ओबामा प्रशासन ने इबोला को हराने में कामयाबी पा ली थी। अगर ओबामा अभी राष्ट्रपति होते तो शायद अमेरिका में कोरोना का इतना रौद्र रूप नहीं होता। जर्मनी, फिनलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों ने ये बात साबित की है कि अगर समय रहते सुरक्षा उपाय लागू किये गये होते तो कोरोना का मुकाबला संभव था।
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‘इबोला जार’ की तरह नियुक्त करते ‘कोरोना जार’
बराक ओबामा ने इबोला से निबटने के लिए रॉन क्लैन को शीर्ष अधिकारी (जार) नियुक्त किया था। अब छह साल बाद क्लैन ने 6 मई को ओबामा का एक पुराना वीडियो जारी किया है। ये 2014 का है जिसमें ओबामा ने अमेरिका को एक और महामारी के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी। ओबामा की पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसान राइस ने कहा है कि ट्रंप की नाकामी की कीमत हजारों अमेरिकियों को जान दे कर चुकानी पड़ी है। 76 हजार से अधिक लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। अमेरिका में आज तक इतनी बड़ी जनहानि नहीं हुई। इसके बाद भी ट्रंप अपने प्रशासन के गुणगान में लगे हैं। फॉक्स न्यूज के एक कार्यक्रम ‘फॉक्स एंड फ्रैंड्स' में शुक्रवार को उन्होंने कहा कि कोरोना एक अदृश्य दुश्मन है। इससे निबटने में हम लोग वास्तव में बहुत अच्छा, बहुत अच्छा कर रहे हैं। हम लोगों का वेंटिलेटर उत्पादन प्रशंसनीय है। कोरोना से जान बचाने के लिए वेंटिलेटर की सबसे अधिक जरूरत है। फॉक्स एंड फ्रैंड्स कार्यक्रम में ट्रंप ने लगभग एक घंटे तक दर्शकों के सवाल के जवाब दिये।
ट्रंप से असहमत अमेरिकी
लेकिन उनके जवाब से अमेरिका के अधिकतर लोग सहमत नहीं हैं। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक चीन में कोरोना वायरस फैलने के बाद करीब चार लाख 30 हजार लोग हवाई यात्रा कर चीन से अमेरिका आये थे। इनमें करीब 4 हजार लोग वुहान से आये थे जहां कोरोना का विस्फोट हुआ था। ट्रंप जब तक प्रतिबंध लगाते तब तक चीन से 1300 उड़ानें के जरिये लाखों लोगों को अमेरिका के 17 शहरों में लाया गया था। उस समय चीन से आने वाले लोगों की न तो सघन जांच हुई न ही उन पर निगरानी रखी गयी। जब तक सख्ती बरती गयी तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अब पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने ट्रंप की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता रहे हैं इसलिए वे अब जो बिडेन के समर्थन में खुल कर सामने आ गये हैं। अनुमान है कि नवम्बर 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में जो बिडेन ही डेमोक्रेटिक पार्टी की और से डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देंगे। जो बिडेन ओबामा के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति रहे चुके हैं। बराक ओबामा अब लोगों से कह रहे हैं कि इस मुश्किल घड़ी में जो बिडेन ही अमेरिका के संकटमोचक साबित होंगे, इसलिए चुनाव में उन्हें ही अपना समर्थन दें। ओबामा की इस पहल के बाद ट्रंप का संकट और बढ़ गया है।