जमाल खाशोगी की बॉडी के टुकड़े करते हुए म्यूजिक सुन रहा था हत्यारा
लंदन। सऊदी जर्नलिस्ट जमाल खाशोगी की हत्या को एक वर्ष पूरा हो गया है। अभी तक कोई नहीं जान पाया है कि टर्की के इस्तानबुल में सऊदी कांसुलेट में आखिर किसने उन्हें मारा। अब यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की रिपोर्ट में कुछ सीक्रेट टेप्स का हवाला दिया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक टेप्स में सऊदी ऑपरेटिव्स जो उनकी हत्या में संदिग्ध हैं, उन्हें खाशोगी के दूतावास पहुंचने से पहले मजाक करते हुए और उनके शव को कैसे काटेंगे इस बारे में बात करते हुए सुना गया है। ब्रिटेन की वकील हेलेना कैनेडी की ओर से इस जांच का जिक्र किया गया है।
'एक हाथ में कॉफी और दूसरे में होता सिगार'
हेलेना ने कहा है कि रिकॉर्डिंग्स जो उन्होंने सुनी हैं, वे सभी सऊदी दूतावास के अंदर की हैं। इसमें जो भी बातें हो रही हैं, उसमें खाशोगी को उसी अंदाज में काटने की बात कही गई है जिस अंदाज में कुर्बानी का बकरा काटा जाता है। हेलेना ने बीबीसी को बताया है, 'वे सभी इस बारे में चर्चा कर रहे थे कि बॉडी और कमर के नीचे का हिस्सा बैग में फिट हो पाएगा?' कैनेडी के मुताबिक सऊदी कांसुलेट में जो किलर था उसे कहते हुए सुना जा सकता है, 'मैं जब कभी भी लाश काटता हूं तो अक्सर म्यूजिक सुनता हूं। कभी-कभी तो मेरे हाथ में कॉफी का मग और दूसरे हाथ में सिगार भी होता है।' सिर्फ इतना ही नहीं उसने यहां तक कहा कि उसकी जिंदगी में यह पहला मौका होगा जहां पर वह जमीन पर रखकर कोई लाश काटेगा। हेलेना की मानें तो शव को काटने वाला व्यक्ति यह भी कह रहा था कि अक्सर वह जानवरों को पहले लटकाता है और फिर उनके टुकड़े-टुकड़े करता है। इसके बाद सभी लोग खाशोगी के आने का इंतजार रकते हैं। इसके बाद सभी लोग कहते हैं कि , 'क्या कुर्बानी के लिए जानवर आ गया?' इसके बाद सबको हंसते हुए सुना जा सकता है। टर्की ने पिछले वर्ष यूएन को सभी सीक्रेट टेप्स सौंपे थे और इनमें 45 मिनट से ज्यादा की रिकॉर्डिंग दर्ज है।
पिछले दिनों एमबीएस ने कुबूला सच
पिछले दिनों सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) ने पीबीएस पर टेलीकास्ट होने वाली डॉक्यूमेंट्री में जर्नलिस्ट जमाल खाशोगी की हत्या की जिम्मेदारी लेते हैं। एमबीएस ने इस डॉक्यूमेंट्री में का है कि जो कुछ भी खाशोगी के साथ हुआ वह सब उनकी निगरानी में हुआ था। सऊदी मूल के खाशोगी वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार थे और पिछले वर्ष अक्टूबर में टर्की के इस्तानबुल स्थित सऊदी कांसुलेट में उनकी हत्या कर दी गई थी। अमेरिका की इंटेलीजेंस एजेंसी और टर्की शुरुआत से ही एमबीएस का इसके लिए जिम्मेदार मानती आ रही हैं। हालांकि बाद में सऊदी अरब की ओर से इस बात को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था।