HurricaneFlorence: जानिए कैसे दिया जाता है किसी तूफान को नाम और क्या होती है प्रक्रिया
वॉशिंगटन। खतरनाक तूफान फ्लोरेंस अमेरिका के दक्षिणी पूर्वी राज्य नॉर्थ कैरोलिना से टकरा चुका है। गुरुवार शाम इसके टकराते ही पूरे राज्य में भारी बारिश के अलावा तेज हवाओं का सिलसिला जारी है। तूफान की वजह से नॉर्थ कैरोलिना के कई इलाके में 11 फीट ऊंची लहरें उठ रही हैं। तूफान की वजह से 158,000 से ज्यादा घरों और ऑफिसेज की बिजली ठप होने की कगार पर है। जब कभी भी कोई तूफान या फिर चक्रवात आता है तो फिर उसे नाम भी बड़ा ही अजब-गजब दिया जाता है। क्या कभी आपने सोचा है कि दुनिया भर में जो चक्रवात आते हैं उनका नाम कैसे रखा जाता है और किस प्रक्रिया के तहत नाम रखा जाता है। आइए आज आपको बताते हैं कि कैसे इनका नामकरण किया जाता है। अमेरिका और पश्चिम के कुछ देशों में तूफान अप्रैल से नवंबर के बीच आते हैं क्योंकि इसे अटलांटिक हरीकेन सीजन कहा जा है। ये भी पढ़ें-नॉर्थ कैरोलिना से टकराया फ्लोरेंस, सड़कों पर भरा पानी, एक लाख से ज्यादा घरों की बिजली गुल
साल 1950 की लिस्ट से चुने जाते नाम
अमेरिका के हरीकेन सेंटर की ओर से साल1950 में नेशनल अटलांटिक स्टॉर्म लिस्ट तैयार की गई थी। इस लिस्ट को अब वर्ल्ड मीटीऑरलाजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्लूयएमओ) की ओर से संचालित किया जताा है। यही संस्था है जो दुनिया भर में आने वाले तूफानों का नामकरण करती है। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह के चक्रवात आते हैं। डब्लूयएमओ इस लिस्ट को संचालित जरूर करती है लेकिन हर देश या क्षेत्र के मीटीऑरलाजिकल ऑर्गनाइजेशन से अलग है। अटलांटिक में आने वाले तूफानों के लिए छह लिस्ट्स हैं और हर छह वर्ष में इसे रोटेट किया जाता है।
क्या है तूफान को नाम देने का फायदा
डब्लूयएमओ के मुताबिक किसी भी तूफान को संख्या की बजाय किसी नाम से याद रखना ज्यादा आसान होता है। साथ ही मीडिया में आने वाले वॉर्निंग मैसेज के लिए नाम ज्यादा आसान रहता है। इसके अलावा किसी भी तूफान का नाम रखने से जहाजों, तटीय इलाकों और इन पर नजर रखने वाले स्टेशनों को भी काफी फायदा मिलता है। अगर किसी तूफान का नाम है तो उसके बारे में जानकारियों की अदला-बदली करना भी आसान हो जाता है। कुछ विशेषज्ञो के मुताबिक किसी तूफान को नाम देने से उस इलाके के लोग अपने बचाव की तैयारियां कर सकते हैं और साथ ही वॉर्निंग्स में उनकी रुचि बढ़ जाती है।
महिलाओं के नाम पर होते तूफान के नाम
किसी भी तूफान का नाम देने के लिए एक वर्णमाला यानी एल्फाबेटिकल लिस्ट होती है। तूफान के हर सीजन में यह लिस्ट काम करती है। अटलांटिक और ईस्टर्न नॉर्थ पैसेफिक रीजन में आने वाले तूफानों के लिए नाम छह लिस्ट्स में मौजूद नामों में से ही एक नाम को चुना जाता है। साल 1979 से तूफान के लिए महिलाओं का नाम प्रयोग करने के ट्रेंड की शुरुआत हुई। इससे पहले सिर्फ पुरुषों के नाम का ही प्रयोग हो रहा था। अटलांटिक सीजन में आने वाले तूफानों के लिए 21 नाम मौजूद हैं। वहीं तूफान के लिए कभी भी Q, U, X, Y और Z अक्षरों से शुरु होने वाले नामो का प्रयोग कभी नहीं हुआ है।
जानलेवा तूफान का नाम कभी नहीं होगा प्रयोग
डब्लूयएमओ ने यह साफ कर दिया है कि तूफान के लिए ऐसे नामों को चुना जाता है जिससे प्रभावित होने वाले इलाके के लोग परिचित हों। किसी भी तूफान का नाम देने के बाद उसे नाम को लिस्ट से हटा दिया जाता है यानी रिटायर कर दिया जाता है। अगर तूफान जानलेवा है तो फिर उसी नाम का प्रयोग फिर से करना असंवेदनशील माना जाता है। उस केस में डब्लूयएमओ की कमेटी मीटिंग होती है और फिर दूसरे नाम को चुना जाता है। साल 2005 में आए कैटरीना, साल 201 2 में आए सैंडी और साल 2016 में आए मैथ्यू नाम का प्रयोग दोबारा कभी नहीं किया जाएगा।