फिर से कंबोडिया के पीएम बनेंगे हुन सेन, 33 वर्षों से कर रहे हैं सत्ता पर राज
साउथ-ईस्ट एशियन देश कंबोडिया में एक बार फिर से हुन सेन को बतौर प्रधानमंत्री देश की जिम्मेदारी मिली है। सेन की कंबोडियन पीपुल्स पार्टी (सीपीपी) को यहां हुए चुनाव में सभी 125 सीटें हासिल हुईं और विपक्ष अपना खाता तक खोलने में नाकाम रहा।
नोम पेन्ह। साउथ-ईस्ट एशियन देश कंबोडिया में एक बार फिर से हुन सेन को बतौर प्रधानमंत्री देश की जिम्मेदारी मिली है। सेन की कंबोडियन पीपुल्स पार्टी (सीपीपी) को यहां हुए चुनाव में सभी 125 सीटें हासिल हुईं और विपक्ष अपना खाता तक खोलने में नाकाम रहा। आपको बता दें कि इन चुनावों के साथ ही सेन के नाम पर एक नया कीर्तिमान दर्ज हो गया है। वह एशिया में सबसे ज्यादा समय तक किसी देश पर शासन करने वाले पहले राजनेता बन गए हैं। हुन पिछले 33 वर्षों से सत्ता में हैं। कंबोडिया में रविवार को जो चुनाव हुए हैं विपक्ष उन्हें यह कहकर खारिज कर रहा है कि ये गैर-कानूनी हैं। हालांकि सेन की पार्टी ने इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया है।
अगस्त में होगी नतीजों की घोषणा
सेन की पार्टी सीपीपी के प्रवक्ता सो आइसान ने बताया कि वह चुनावी नतीजों से इतने ज्यादा उत्साहित हैं कि उन्होंने ढंग से खाना भी नहीं खाया है। हालांकि चुनावों के आधिकारिक नतीजे अगस्त से पहले जारी नहीं किए जाएंगे लेकिन साफ तौर पर इस बात के संकेत मिले हैं कि सीपीपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। आइसान के मुताबिक पार्टी ने इन नतीजों के लिए बहुत मेहनत की है। कंबोडिया के चुनावों पर व्हाइट हाउस की ओर से बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है, 'चुनाव न तो आजाद माहौल में हुए न ही निष्पक्ष थे और न ही चुनावों में कंबोडिया की जनता का ध्यान रखा गया।'अमेरिका ने चेतावनी दी है कि जो लोग कंबोडिया में लोकतंत्र पर खतरा बने हुए हैं उनके परिवार वालों के लिए वीजा प्रतिबंधों को बढ़ा दिया जाएगा। पिछले हफ्ते अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स की ओर से एक बिल पास किया गया जिसमें हुन सेन के करीबियों और उन लोगों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है जो मानवाधिकार हनने के लिए जिम्मेदार होंगे। यूरोपियन यूनियन ने भी कहा है कि कंबोडिया के चुनाव कंबोडिया की जनता का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और इनकी विश्वसनीयता पर थोड़ा संदेह है।