2020 के जाने से ठीक पहले धरती के पास से गुजरेगा विशाल Asteroid, वैज्ञानिकों ने बताई ये बड़ी बात
नासा के मुताबिक यह एस्टेरॉयड करीब 36 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।
नई दिल्ली। साल 2020 में कोरोना वायरस महामारी के रूप में दुनिया ने एक बहुत बड़ी आफत झेली है। इस महामारी में जहां बड़ी संख्या में लोगों की जान गई तो वहीं लॉकडाउन लगने से लोगों के रोजगार पर भी संकट खड़ा हो गया। दुनिया के कई बड़े देश इस महामारी के चलते मंदी जैसे हालात झेल रहे हैं। अब जब ये साल बीतने को है तो अंतरिक्ष से एक विशाल एस्टेरॉयड धरती की तरफ बढ़ रहा है। नासा के मुताबिक 36 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा यह एस्टेरॉयड 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के दिन धरती के नजदीक से गुजरेगा।
धरती से कितनी दूर गुजरेगा ये एस्टेरॉयड
वैज्ञानिकों का कहना है कि 25 दिसंबर को धरती के पास से गुजरने वाला ये एस्टेरॉयड आकार में काफी बड़ा है। इसकी लंबाई लगभग इंग्लैंड के सैलिसबरी कैथेड्रल चर्च के बराबर है। नासा से मिली जानकारी के मुताबिक, यह एस्टेरॉयड धरती से करीब 3,036,775 किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा, जो एक सुरक्षित दूरी है और इसके गुजरने से पृथ्वी को कोई नुकसान नहीं होगा। यह दूरी पृथ्वी और चांद के बीच की दूरी की आठ गुना है।
नासा ने माना नियर अर्थ ऑब्जेक्ट
हालांकि, इस एस्टेरॉयड को धरती के पास की एक वस्तु यानी एनईओ (Near Earth Object) मानने के नजरिए से नासा के लिए यह दूरी बेहद करीब है। दरअसल एनईओ सौर मंडल के वो अवशेष होते हैं, जिनका इस्तेमाल नासा हमारी पृथ्वी के इतिहास और इसकी परिक्रमा करने वाले ग्रहों का अध्ययन करने के लिए कर सकता है। हाल ही में नासा ने अपनी जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) की वेबसाइट पर बताया कि एनईओ वो धूमकेतु और एस्टेरॉयड हैं, जो अपनी नजदीकी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण के आकर्षण के जरिए पृथ्वी के पड़ोस में प्रवेश करते हैं।
210 मीटर तक चौड़ा हो सकता है ये एस्टेरॉयड
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एस्टेरॉयड करीब 210 मीटर तक चौड़ा हो सकता है, जो दिसंबर में धरती के पास से गुजरने वाला अभी तक का सबसे बड़ा एस्टेरॉयड होगा। गौरतलब है कि अभी हाल ही में 29 नवंबर को भी एक एस्टेरॉयड धरती के पास से गुजरा था। पृथ्वी से करीब 4,302,775 किमी की दूरी से गुजरने वाला यह एस्टेरॉयड आकार में दुबई की बुर्ज खलीफा बिल्डिंग जितना बड़ा था।
क्या होते हैं एस्टेरॉयड
एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह आंतरिक सौलर सिस्टम के बेहद छोटे ग्रह होते हैं, जो ब्रह्मांड में घूमते रहते हैं। जो क्षुद्रग्रह आकार में ज्यादा बड़े होते हैं, उन्हें एक छोटे ग्रह के तौर पर भी माना जाता है। 1819 में 'सेरेस' नाम का सबसे पहला क्षुद्रग्रह खोजा गया था। क्षुद्रग्रहों के बारे में लोगों तक ज्यादा से ज्यादा जानकारी पहुंचने के मकसद से संयुक्त राष्ट्र ने 30 जून को अंतर्राष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।