क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

उ. कोरिया की परमाणु ताकत के साथ कैसे रहेगी दुनिया

अमरीकी प्रशांत क्षेत्र की ओर मिसाइल दागने से अमरीकी सेना की प्रतिक्रिया बढ़ सकती है.

By जोनथन मारकस - कूटनीतिक संवाददाता
Google Oneindia News
उत्तर कोरिया
Getty Images
उत्तर कोरिया

जापान के ऊपर से मिसाइल दागना किसी भी हाल में उत्तर कोरिया का सबसे भड़काऊ कदम है. पिछले दो दशक में ऐसा तीसरी बार हुआ है जब उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर से कोई मिसाइल टेस्ट किया है.

यह ध्यान देने योग्य है कि उत्तर कोरिया ने अमरीकी प्रशांत क्षेत्र गुआम की ओर मिसाइल दागकर अच्छा नहीं किया है क्योंकि अब ऐसा कुछ हो सकता है जो अमरीकी सेना की प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है.

इस महीने की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन के दावे को भी यह दिखाता है. वॉशिंगटन और प्योंगयांग के बीच कई बार ख़तरों की चेतावनी के बाद उत्तर कोरियाई शासन ने अपने परमाणु विचार को रोक दिया था.

जापान के ऊपर मिसाइल सैन्य कार्रवाई का पहला कदम

उत्तर कोरिया
Getty Images
उत्तर कोरिया

परमाणु हथियार का जवाब

लेकिन इस बार फ़िर उत्तर कोरिया को लेकर उसी सवाल का सामना किया जा रहा है कि उत्तर कोरिया द्वारा बैलिस्टिक मिसाइलों और परमाणु हथियारों को लेकर उसकी तेज़ी का जवाब क्या होगा.

साथ ही यह भी सवाल रहेगा कि अगर प्योंगयाग इन कार्यक्रमों को नहीं रोकता है और वह अपने निशाने के दायरे में अमरीका को भी शामिल कर लेता है तो क्या अमरीका और पूरी दुनिया परमाणु हथियार संपन्न उत्तर कोरिया के साथ रह पाएगी?

ब्रिटेन, फ़्रांस, अमरीका, चीन और रूस ऐसे पांच देश हैं जो घोषित रूप से परमाणु हथियार संपन्न हैं.

इनमें से ज़्यादा ने यह परमाणु हथियार द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामों के बाद बनाया था क्योंकि इनमें से अधिकतर देशों ने दो जापानी शहरों पर अमरीका का परमाणु हमला देखा था. इस परमाणु क्लब में सबसे आख़िर में चीन जुड़ा, उसने 1960 के मध्य में हथियार विकसित कर लिए थे.

उत्तर कोरिया की मिसाइल से डरना ज़रूरी क्यों?

संयुक्त राष्ट्र
Getty Images
संयुक्त राष्ट्र

परमाणु अप्रसार की संधि

इसके बाद परमाणु हथियार के प्रसार को रोकने को लेकर शुरू की गई कोशिशें भी उल्लेखनीय रूप से सफ़ल रहीं. 1970 में अस्तित्व में आई परमाणु अप्रसार संधि ने भी इसमें काफ़ी योगदान दिया.

इसके द्वारा परमाणु हथियारों से संपन्न राष्ट्रों और जिनके पास ये हथियार नहीं हैं उन राष्ट्रों ने इसके अप्रसार को लेकर सहमति जताई. परमाणु हथियारों से संपन्न राष्ट्रों को अपने हथियार कम करने थे जबकि ग़ैर-परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों को परमाणु हथियार न बनाने की शर्त पर यह तकनीक हासिल करनी थी.

इसके बावजूद भी इराक़, ईरान और लीबिया जैसे देशों ने हथियारों को विकसित किया. इस संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले इसराइल, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों ने भी परमाणु हथियार विकसित किए.

लेकिन इन देशों द्वारा बनाए गए हथियार विवादास्पद रहे और इन कार्यक्रमों को इस तरीक़े से देखा गया कि वह अपने क्षेत्रीय अस्तित्व के लिए किए गए.

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र की आपात बैठक

उत्तर कोरिया भी भारत-पाक की श्रेणी में

तो इसका मतलब यह समझा जाए कि उत्तर कोरिया भी इसराइल, भारत और पाकिस्तान की श्रेणी में है?

व्यावहारिक उद्देश्य से देखा जाए तो उत्तर कोरिया परमाणु सशस्त्र राष्ट्र है. हालांकि, अमरीकी शहरों को निशाना बनाने की उसकी क्षमता पर अभी संदेह है.

उत्तर कोरिया को लेकर यह स्पष्ट है कि वह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र नहीं है और न ही वह अमरीका के एक सहयोगी के रूप में दिखाई देता है. वह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से विचित्र तरीके से अलग हो चुका है और मौलिक रूप से उसका शासन कमज़ोर और विफल नज़र आता है.

उसके परमाणु हथियार विकसित करने के मकसद में क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता नहीं दिखती है बल्कि इसके ज़रिए वह अमरीका को निशाना बनाने का प्रयास करता रहा है.

300 शब्दों में उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम

डोनाल्ड ट्रंप
Getty Images
डोनाल्ड ट्रंप

अमरीका और उत्तर कोरिया रह पाएंगे

तो क्या अमरीका और उत्तर कोरिया परमाणु 'दुश्मनों' के तौर पर एक साथ रह सकते हैं? क्या प्योंगयांग के मुकाबले अमरीका के परमाणु हथियार का हमला कहीं अधिक घातक होगा?

इसका जवाब देते हुए अनुभवी अमरीकी रणनीतिक विश्लेषक टॉनी कॉर्ड्समैन कहते हैं कि मिसाइल का परीक्षण और उसके बाद लगातार मिसाइलों का परिचालन करना एक लंबा काम है.

क्या प्योंगयांग अमरीका के ख़िलाफ़ अपनी ताक़त का इस्तेमाल करेगा? इस सवाल पर टॉनी कहते हैं कि एक अप्रमाणित मिसाइल को अप्रमाणित जगह पर बिना सटीकता और विश्वसनीयता के दागना केवल मूर्खता दिखाता है.

टॉनी के विचार बताते हैं कि उत्तर कोरिया अपने लक्ष्य के क़रीब ज़रूर है, लेकिन इसको पूरा करने में एक सही नीति की आवश्यकता है.

इस बार जापान के ऊपर से उड़ी उत्तर कोरिया की मिसाइल

उत्तर कोरिया-चीन
Getty Images
उत्तर कोरिया-चीन

चीन का समर्थन

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने चीन को उत्तर कोरिया को अपने उद्देश्यों को लेकर पीछे हटने को कहा है. इसके मिश्रित परिणाम रहे हैं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों का चीन समर्थन करता है जबकि चीन के उससे रिश्ते ठीक रहे हैं.

सबसे अहम बात यह है कि चीन नहीं चाहता कि उत्तर कोरियाई शासन मिटे और करोड़ों शरणार्थी सीमा पार करके उसके यहां आएं.

उत्तर कोरियाई शासन को लेकर कई विश्लेषकों का तर्क है कि वह इतना मूर्ख नहीं है जितना लगता है. उसके व्यवहार और कुछ चीज़ें वो जो चाहता है उसके पीछे तर्क होते हैं.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
How will the world with Korea's nuclear power
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X