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अमरीकी प्रतिबंध हटने के बाद उत्तर कोरिया के एक आम परिवार की जिंदगी कैसे बदलेगी?

किम जोंग उन से ऐतिहासिक मुलाक़ात के बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे परमाणु निरस्त्रीकरण के बाद उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने पर विचार करेंगे.

अगर प्रतिबंध हटाए जाते हैं तो एक आम उत्तर कोरियाई नागरिक पर इसका क्या असर होगा, जो लंबे वक़्त से बाहरी दुनिया से कटा रहा है. उत्तर कोरिया के एक सामान्य परिवार के लिए इसका क्या मतलब होगा?

By BBC News हिन्दी
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उत्तर कोरिया का परिवार
HAJUNG LIM
उत्तर कोरिया का परिवार

किम जोंग उन से ऐतिहासिक मुलाक़ात के बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे परमाणु निरस्त्रीकरण के बाद उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने पर विचार करेंगे.

अगर प्रतिबंध हटाए जाते हैं तो एक आम उत्तर कोरियाई नागरिक पर इसका क्या असर होगा, जो लंबे वक़्त से बाहरी दुनिया से कटा रहा है. उत्तर कोरिया के एक सामान्य परिवार के लिए इसका क्या मतलब होगा?

उत्तर कोरिया को जानने वाले कुछ विशेषज्ञों की मदद से बीबीसी ने एक काल्पनिक किरदार उत्तर कोरियाई 'मिस्टर ली' परिवार के जीवन को समझने की कोशिश की है.

उत्तर कोरिया के "सामान्य" परिवार के बारे में बात करना मुश्किल है, क्योंकि यहां विभिन्न सामाज-वर्ग के लोग रहते हैं और क्षेत्रीय असमानता काफी है.


परिवार के मुखिया और पिता मिस्टर ली उत्तर कोरिया के अन्य लोगों की तरह काम के लिए खनन उद्योग पर आश्रित हैं.

खनन उद्योग यहां के निर्यात की रीढ़ है और विदेशी मुद्रा कमाने का बहुत बड़ा जरिया है. दशकों से यह सरकारी ख़ज़ाने में विदेशी मुद्रा लाने में मदद करता रहा है.

उत्तर कोरिया का दावा है कि उनके पास कोयले के अलावा दुर्लभ खनिज पदार्थों का विशाल भंडार है.

यहां के लोगों का आर्थिक जीवन उन्हें मिलने वाले वेतन, बोनस और सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं जैसे घर और राशन से चलता है.

हालांकि उन्हें मिलने वाली बेसिक सैलरी इतनी कम होती है कि उससे कुछ दिनों के गुजारे के लिए चावल से ज्यादा कुछ और नहीं खरीदा जा सकता है.

उत्तर कोरिया का परिवार
HAJUNG LIM
उत्तर कोरिया का परिवार

उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध से ली का परिवार कैसे प्रभावित हुआ?

साल 2017 में प्रतिबंध लगने के बाद कोयला और खनिज पदार्थों के निर्यात पर रोक लग गई. इस वजह से उद्योगों को उत्पादन में कमी करनी पड़ी.

उत्तर कोरिया जैसी अर्थव्यवस्था में कोई "बेरोजगार" नहीं माना जाता है लेकिन मिस्टर ली की आमदनी पर असर ज़रूर पड़ा.

इसके बाद मिस्टर ली के पास दूसरे कोरियाई नागरिकों की तरह एक अनिश्चित रास्ते पर चलने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था.

और यह अनिश्चित रास्ता था मछली पकड़ने का. इसके लिए वो सेना से नाव किराए पर लेते हैं और अपने दोस्तों के साथ समुद्र में मछली पकड़ने जाते हैं. वो इसे स्थानीय बाजारों में बेचते हैं.

उनकी नौकरी बची रहे, इसके लिए वो अपने बॉस को रिश्वत भी देते हैं. यह ख़तरनाक काम है. अच्छी मछली पकड़ने के लिए उन्हें समुद्र में अधिक दूरी तय करना होता है. अगर तेल ख़त्म हो जाए तो समुद्र में खोने का भी डर होता है.


कभी-कभी जापान के किनारों पर वैसे जहाज़ भी मिलते हैं जो लाशों से भरे होते हैं. समझा जाता है कि ये जहाज़ उत्तर कोरिया लौटने में नाकाम रहे होंगे.

मिस्टर ली को इस तरह के जोखिम उठाने पड़ते हैं. उनकी तरह अन्य लोग ऊपरी आमदनी के लिए मछली पकड़ने का काम करते हैं, लेकिन प्रतिबंध का असर इस पर भी पड़ा है.

साल 2017 में प्रतिबंध लगाए जाने के बाद तेल के दाम यहां काफी बढ़े हैं, जिसके कारण समुद्र की यात्रा महंगी हो गई है. साथ ही चीन ने हाल ही में समुद्री मछलियों के आयात पर रोक लगा दी थी.

उत्तर कोरिया का परिवार
HAJUNG LIM
उत्तर कोरिया का परिवार

पूंजीवादी व्यवस्था और महिलाओं की जिंदगी

मिस्टर ली का परिवार उस पीढ़ी से आता है जिसे विशेषज्ञ जंगमदांग कहते हैं. जंगमदांग का मतलब होता है "बाजार". यह वो पीढ़ी है जिसने 90 के दशक में संकट और अकाल का अनुभव किया है.

उस समय तक देश में कम्युनिस्ट अर्थव्यवस्था थी, जिसके तहत हर सेवा और सामान का वितरण सरकार करती थी.

लेकिन अकाल के समय यह तरीका असफल हो गया. यह अनुमान लगाया जाता है कि उस समय लाखों लोगों की मौत भूख के चलते हो गई थी.

लोगों को अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए काम करना पड़ा, जिसने देश में पूंजीवाद को जन्म दिया.

देश की अर्थव्यवस्था को नया आकार मिलने लगा. यहां की औरतें काम करने लगीं, जिससे उनके परिवार की आमदनी में इज़ाफ़ा हुआ.

यही वजह है कि मिस्टर ली की पत्नी भी काम कर रही हैं. वो एक टेक्सटाइल फैक्ट्री में काम करती हैं. उत्तर कोरिया की टेक्सटाइल इंडस्ट्री चीन की वजह से काफी आगे बढ़ी.

लेकिन प्रतिबंध लगाए जाने के बाद इस क्षेत्र के कई उद्योग बंद हो गए.

वो जानती हैं कि इस काम पर बहुत ज्यादा दिनों तक आश्रित नहीं रह सकती हैं. इसलिए वो कुछ औरतों के साथ मिलकर सोयाबीन का पनीर बनाने और उसे बाजार में बेचने का विचार कर रही हैं.

मिस्टर ली के परिवार के लिए एक और लाइफ़लाइन है और वो है विदेश में रह रहे परिजनों के भेजे गए पैसे.

मिस्टर ली का भाई रूस में कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करता है और वो घर चलाने के लिए पैसे भेजता है.

वो किसी तरह रिश्वत देकर रूस जाने में कामयाब रहे थे. अनुमान के मुताबिक करीब एक लाख उत्तर कोरियाई विदेशों में काम करते हैं.

वहां वो अपने घर से कहीं ज्यादा कमाते हैं. लेकिन अमरीका के पिछले साल दिसंबर में लगाए गए प्रतिबंधों के बाद सभी उत्तर कोरिया के लोगों को 24 महीने के अंदर अपने देश वापस लौटना होगा.

उनके विदेश जाने पर भी पाबंदी लगा दी गई है.


अगर ली के परिवार की आर्थिक स्थिति ख़राब होती है तो उन्हें अपनी बेटी को स्कूल से निकालना होगा ताकि वो अपनी मां के कामों में हाथ बंटा सके.

उत्तर कोरिया में 12 साल तक के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का प्रवाधान है. लेकिन गरीबी के कारण बच्चों को काम करना पड़ता है.

स्कूलों के शिक्षक भी आमदनी बढ़ाने के लिए दूसरे काम करते हैं. ऐसी स्थिति में कभी-कभी स्कूल बंद कर दिए जाते हैं.

अगर उत्तर कोरिया पर लगे प्रतिबंध खत्म होते हैं तो मिस्टर ली के परिवार के लिए रोज़गार के साधन बढ़ेंगे. उनकी आमदनी भी बढ़ेगी.

अगर ऐसा होता है तो उनकी बेटी अच्छे से पढ़ और खेल पाएगी. इतना ही नहीं, स्कूल के बच्चों का पाठ्यक्रम भी बदलेगा. उन्हें अब तक यह पढ़ाया जाता रहा है कि अमरीका उनका दुश्मन है.

देश में गैरकानूनी तरीके लिए मिल रही फिल्मों की सीडी, दक्षिण कोरिया के टीवी सीरियलों और विदेश से लौटे लोगों के ज़रिए वो बाहरी दुनिया की जीवनशैली के बारे में जान पाते हैं.

उन्हें यह मालूम है कि दूसरे देशों की जीवनशैली उनसे काफी बेहतर है.


बीबीसी ने यह स्टोरी उत्तर कोरिया के सोकील पार्क ऑफ लिबर्टी स्थित कूकमीन यूनिवर्सिटी के एंद्रेई लैंकोव, एनके न्यूज के फ्योडोर टर्टिस्की, ग्रिफिट यूनिवर्सिटी के एंद्रे अब्राहिमियन और डेली एनके से बात कर बनाई है. सभी से बात करके एक मिस्टर ली के परिवार की कल्पना की गई है और स्थिति का जिक्र किया गया है.

BBC Hindi
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English summary
How will the life of a common family of North Korea change after the US ban is lifted
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