क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

हवाई जहाज़ में इंटरनेट का इस्तेमाल होगा कैसे?

जिस पल का इंतज़ार था, वो आने वाला है. अब से कुछ महीने बाद भारत में हवाई जहाज़ से सफ़र करने वाले लोगों को उड़ान के दौरान भी कॉल करने और इंटरनेट के इस्तेमाल का मौका मिलेगा.

मोदी सरकार ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में दोनों सेवाएं देने की इजाज़त दे दी है बशर्ते प्लेन 3000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा हो.

 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
विमान
Getty Images
विमान

जिस पल का इंतज़ार था, वो आने वाला है. अब से कुछ महीने बाद भारत में हवाई जहाज़ से सफ़र करने वाले लोगों को उड़ान के दौरान भी कॉल करने और इंटरनेट के इस्तेमाल का मौका मिलेगा.

मोदी सरकार ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में दोनों सेवाएं देने की इजाज़त दे दी है बशर्ते प्लेन 3000 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर उड़ान भर रहा हो.

इसके लिए यात्रियों को कितना भुगतान करना होगा, इस बारे में चीज़ें अभी साफ़ नहीं हैं. लेकिन जानकारों का कहना है कि ये मोबाइल सेवाओं से कहीं ज़्यादा महंगा होगा क्योंकि विमान कंपनियों को शुरुआती स्तर पर काफ़ी निवेश करना होगा.

टेलीकॉम सेक्रेटरी अरुणा सुंदरराजन ने कहा, ''ट्राई ने सुझाव दिया था कि 3000 मीटर की ऊंचाई पर विमानों में वॉइस और डाटा सर्विस दी जाए. रेगुलेटर का ये भी मशविरा है कि सालाना 1 रुपए की फ़ीस पर इसका लाइसेंस दिया जाए.''

जब उनसे पूछा गया कि हवाई जहाज़ में ये सेवा कब से शुरू हो जाएगी, उन्होंने कहा, ''कम से कम तीन-चार महीने.''

लेकिन ये कैसे काम करेगा?

विमान
Getty Images
विमान

इस एलान के बाद सबसे पहले दिमाग़ में आया कि हवाई जहाज़ में कॉल करने और इंटरनेट चलाने की सुविधा कैसे दी जाएगी? और अगर ऐसा मुमकिन है तो अब तक दुनिया के ज़्यादातर विमानों में ये सेवा क्यों नहीं दी जाती? इंटरनेट सेवा मुहैया कराने के एवज में मुसाफ़िरों से कितना पैसा लिया जाएगा?

क्या मशीनों से दुआ-सलाम करेंगे आप?

क्या क़ानून के डर से रुकेगी डेटा चोरी?

सबसे पहले ये बात कि 20-30 हज़ार फ़ुट की ऊंचाई पर उड़ रहे विमान में इंटरनेट कैसे दिया जाता है. इसके दो ज़रिए हैं.

  • पहला, मैदान पर मौजूद मोबाइल ब्रॉडबैंड टावर की मदद से जो विमान के एंटीना तक सिग्नल पहुंचाती हैं. जैसे ही विमान अलग-अलग इलाकों से गुज़रता है, वो ख़ुद-ब-ख़ुद क़रीब वाले टावर से मिलने वाले सिग्नल से कनेक्ट कर लेता है. ऐसे में सिद्धांत रूप से आपका इंटरनेट कभी बंद नहीं होगा और आप आराम से सर्फ़िंग कर सकेंगे.

लेकिन जब विमान बड़ी नदियों, झीलों या सागरों के या किसी दूसरे दुर्गम इलाके के ऊपर से गुज़रता है तो कनेक्टिविटी में दिक्कत आ सकती है.

  • दूसरा तरीका है सैटेलाइट टेक्नोलॉजी. विमान जिओस्टेशनरी ऑर्बिट (भूस्थैतिक कक्षा) (पृथ्वी से 35,786 किलोमीटर) में मौजूद सैटेलाइट से कनेक्ट करना होता है, जो रिसीवर और ट्रांसमीटर को सिग्नल भेजता और लपकता है. ये वही सैटेलाइट है जो टेलीविज़न सिग्नल, मौसम अनुमान और सैन्य अभियानों में काम आते हैं.

इसमें स्मार्टफ़ोन से निकलने वाले सिग्नल को विमान के ऊपर लगे एंटीना के ज़रिए सबसे क़रीब सैटेलाइट सिग्नल से कनेक्ट किया जाता है. सैटेलाइट के ज़रिए सूचना विमान से भेजी या हासिल की जाती है. ऑन-बोर्ड रूटर से विमान के मुसाफ़िरों को इंटरनेट उपलब्ध कराया जाता है.

कितना ख़र्च करना होगा?

मोबाइल
Getty Images
मोबाइल

पूरी दुनिया में ऐसी क़रीब 30 विमान कंपनियां हैं जो हवाई जहाज़ों में कॉल करने और इंटरनेट चलाने की सुविधा दे रही हैं, लेकिन भारतीय वायु क्षेत्र में ऐसा नहीं किया जा रहा.

ईटी के मुताबिक घरेलू उड़ानों के भीतर से की जाने वाली कॉल के दाम 125 से 150 रुपए तक हो सकते हैं क्योंकि विमान कंपनियों को इसके लिए लाखों डॉलर खर्च करने होंगे. हालांकि, इसकी मदद से उन्हें विदेशी कंपनियों से लोहा लेने में आसानी होगी और अतिरिक्त कमाई का ज़रिया भी खुलेगा.

छोटे विमानों वाला बेड़ा रखने वाली घरेलू विमान कंपनी को एक बार में इसके लिए 20 करोड़ डॉलर ख़र्च करने पड़ सकते हैं.

एमिरेट्स एयरलाइंस शुरुआती 20 एमबी मुफ़्त मुहैया कराती है जिसके बाद 150 एमबी के लिए 666 रुपए और 500 एमबी डाटा के लिए 1066 रुपए खर्च करने होते हैं. हालांकि, बिज़नेस क्लास और फ़र्स्ट क्लास वाले मुसाफ़िरों को इंटरनेट मुफ़्त भी दिया जाता है.

और सुरक्षा का क्या?

विमान
Getty Images
विमान

महंगा होने के साथ-साथ विमानों में इंटरनेट मुहैया कराने को लेकर एक दूसरी बड़ी चिंता सुरक्षा से जुड़ी है. अमरीका ने क़रीब तीन साल पहले आई एक रिपोर्ट में चेताया था कि जिन विमानों में इन-फ़्लाइट वाई-फ़ाई होता है, उनके सिस्टम विमान या ज़मीन से हैक करना कहीं ज़्यादा आसान हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि केबिन में इंटरनेट कनेक्टिविटी को विमान और बाहरी दुनिया के बीच सीधा लिंक माना जाना चाहिए, जिसका सीधा-सा मतलब है ख़तरों का रास्ता खुलना.

स्टडी में कहा गया है कि सभी तरह के आईपी नेटवर्क पर साइबर हमले हो सकते हैं, चाहे वो इन-फ़्लाइट वायरलेस इंटरनेट सिस्टम हो, इंटरनेट-बेस्ड कॉकपिट कम्युनिकेशंस या न्यू जेनरेशन एयर ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम हो जिसे 2025 तक वजूद में आना है.

रिपोर्ट के मुताबिक आईपी नेटवर्किंग से हमला करने वाले को एवियोनिक्स सिस्टम तक रिमोट एक्सेस हासिल करने और फिर उस पर हमला करने का मौका मिलता है.

ये पांच चीज़ें आपको मोटा बना सकती हैं

घायल अमरीकी सैनिक को दोबारा ऐसे बनाया गया मर्द

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
How will the internet be used in the airplane
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X