यूएस का टॉप सिक्योरिटी सिस्टम भारत को देगा चीन की सबमरीन, एयरक्राफ्ट, जंगी जहाजों की हर खबर
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच नई दिल्ली में 2+2 वार्ता हो रही है। मतलब अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ओर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपेयो के साथ भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत चल रही है। इस बीच बड़ी खबर निकलकर आई है कि अमेरिकी सेना अब चीन के बारे में बेहद अहम गुप्त जानकारियां भारत के साथ साझा करेगी। मसलन, अमेरिकी जंगी जहाज या एयरक्राफ्ट अगर चाइनीज वॉरशिप या सबमरीन को डिटेक्ट करता है तो यह सूचना रीजन में ऑपरेट कर रहे भारतीय जंगी जहाज, सबमरीन या एयरक्राफ्ट तक भी पहुंचेगी। मतलब अमेरिका की मदद से भारत को चीन के जंगह जहाज, सबमरीन और एयरक्राफ्ट की मौजूदगी के बारे में बराबर जानकारी प्राप्त होगी।
भारतीय नौसेना को मिलेगी लाइव वीडियो फीड
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के जंगी जहाज, सबमरीन और एयरक्राफ्ट के बारे में भारतीय नौसेना के पास अमेरिका सिर्फ सूचना ही नहीं देगा बल्कि टारगेट की लाइव वीडियो फीड भी भेजेगा। भारतीय नौसेना को चीन के बारे में अमेरिका कम्बाइंड एंटरप्राइज रीजनल इन्फॉरमेशन एक्सचेंज सिस्टम यानी CENTRIXS के तहत जानकारी देगा। यूएस नेवी इसे अपने सहयोगी देशों के साथ उपयोग में लाती है, जिसके जरिए 'गुप्त सूचना एकत्र करने का नेटवर्क' काम करता है। CENTRIXS अमेरिका के सिक्योरिटी कम्युनिकेशन का बेहद अहम हिस्सा है, जिसे वह सिफ्र अपने बेहद करीबी दोस्तों के साथ ही शेयर करता है।
COMCASA एग्रीमेंट के जरिए मिलेगी सूचना
अमेरिका को चीन के बारे में सूचना इसलिए देने जा रहा है, क्योंकि भारत ने कम्युनिकेशन कम्पैटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट (COMCASA)पर साइन करने का फैसला कर लिया है। इसी एग्रीमेंट की मदद से भारत और अमेरिकी सेना इंटेलिजेंस पर मिलकर काम कर सकेंगी। भारत और अमेरिकी सेना कई सालों से ज्वॉइंट एक्सरसाइज कर रही हैं। आसान शब्दों में कहें तो इस एग्रीमेंट की मदद से दोनों देश अब सैन्य अभ्यास से आगे बढ़कर सुरक्षा चुनौतियों का मिलकर सामना करने में सक्षम होंगे।
कई वर्षों तक बातचीत के बाद बनी भारत-अमेरिका के बीच बात
यह बात सच है कि COMCASA साइन करने के बाद भारतीय सेना को लाभ होगा, लेकिन नई दिल्ली-वॉशिंगठन के बीच इस पर कई वर्षों से बात चल रही थी। भारत की चिंता यह थी कि अमेरिका जो ड्रोन भारत को देगा, उनकी मदद से कहीं वह भारत के ही मूवमेंट पर नजर न रखने लगे। इस बारे में दोनों देशों ने हल भी निकाला है। समझौते के तहत भारतीय सेना के रियल टाइम मूवमेंट को अमेरिका ट्रैक नहीं करेगा, जब तक भारत उसे इस बात की इजाजत न दे। दूसरी ओर अमेरिका की चिंता थी कि कहीं उसके सिस्टम को किसी तीसरे देश तक नहीं पहुंचा दिया, इसलिए अमेरिका अपने सिस्टम का ग्राउंड इस्पेक्शन करेगा।
हिंद महासागर में चीन की हर हरकत पर रहेगी भारत की नजर
एक बार अमेरिकी सिस्टम इंस्टॉल हो जाएंगे भारत को प्रीडेटर सी गार्डियन की मदद से हिंद महासागर के बड़े हिस्से की निगरानी करने में मदद मिलेगी। प्रीडेटर सी गार्डियन को जनरल एटोमिक्स ने बनाया है। यह 27 घंटे तक लगातार 50,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है। सी गार्डियन को रिमोट से ऑपरेट किया जा रहा है। यह न केवल निगरानी करने में सक्षम है, बल्कि टारगेट पर अचूक निशाना भी लगा सकता है।