पांच वजहें कैसे SCO में आने के बाद भारत का बढ़ेगा रुतबा और पाकिस्तान पर बनेगा दबाव
एश्टाना। आठ और नौ जून को कजाखिस्तान के एश्टाना में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) समिट की शुरुआत होगी। इस समिट के दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों को ही इस ऑर्गनाइजेशन के स्थायी सदस्य बनेंगे। जहां पाकिस्तान का करीबी दोस्त चीन इस संगठन में अपना दबदबा बनाए हुए है तो वहीं भारत का करीबी रूस भी मजबूती से इसमें मौजूद है।
पाकिस्तान पर बनेगा दबाव
रूस की सिफारिश के बाद ही भारत को इस ऑर्गनाइजेशन का पक्का सदस्य बनाया गया है। भारत जो उरी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने में लगा हुआ है वह जब इस ऑर्गनाइजेशन का स्थायी सदस्य बन जाएगा तो कहीं न कहीं पाकिस्तान पर दबाव बनाने में उसे आसानी हो सकेगी।
भारत को मिलेगा एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर का फायदा
एक बार एससीओ में स्थायी एंट्री मिलने के बाद भारत को ताशकंद स्थित रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर ऑफ शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन या फिर रैट्स का फायदा मिल सकेगा। विदेश मंत्रालय में ज्वांइट सेक्रेटरी जीवी श्रीनिवास ने बताया किरैट्स की वजह से भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी। भारत इसकी वजह से कई तरह के गतिविधियां जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ज्वाइंट एक्सरसाइज, आतंकियों और अवांछित तत्वों का डाटा बैंक तैयार करने भी मदद मिल सकेगी।
सेंट्रल एशिया पर दबाव
एससीओ की पूर्ध सदस्यता का मतलब भारत की सेंट्रल एशिया के देशों तक आसान पहुंच। सेंट्रल एशिया के कई देश संसाधनों के मामले में काफी मजबूत हैं और यह बात भारत को काफी हद फायदा पहुंचा सकती है। इसके साथ ही भारत यहां के बाजारों में भी अपनी पकड़ को मजबूत कर सकेगा। मेजबान देश कजाखिस्तान जो भारत को सबसे ज्यादा यूरेनियम सप्लाई करता है, भारत की आर्थिक प्रगति का एक अहम मंच बन सकता है। श्रीनिवास ने पीटीआई को बताया कि भारत के एससीओ का पूर्ण सदस्य बनने के बाद भारत की सेंट्रल एशिया का एक अहम देश बन सकता है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने इसकी पूर्ण सदस्यता के लिए अप्लाई किया था।
ब्रिक्स से भी बड़ा
भारत के आने के बाद एससीओ, ब्रिक्स से भी बड़ा संगठन बन सकता है। इस संगठन में जहां रूस, चीन और भारत जैसे आर्थिक सम्पन्न देश हैं तो वहीं कुछ ऐसे देश भी हैं जो अर्थव्यवस्था के मामले में इन देशों से कमजोर हैं। भारत के आने के बाद इस संगठन के सभी देशों का आपसी संपर्क बढ़ेगा। एससीओ के बाद अब भारत की नजरें एश्गाबात एग्रीमेंट पर हैं और यह एग्रीमेंट इंटरनेशनल एग्रीमेंट एंड ट्रांजिट कॉरीडोर से जुड़ा है। यह कॉरीडोर ओमान, तुर्केमिनिस्तान, किर्गिस्तान, कजाखिस्तान और पाकिस्तान को आपस में जोड़ता है।
वर्ष 2005 से भारत इसका पर्यवेक्षक
श्रीनिवास ने बताया कि भारत वर्ष 2005 से ही एससीओ का पर्यवेक्षक रहा है और वर्ष 2014 में इसने इसका पूर्ण सदस्य बनने के लिए अप्लाई किया था। एससीओ में अभी चीन, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उजबेकिस्तान शामिल हैं।आपको बता दें कि एससीओ के छह सदस्य देशों का भू-भाग यूरेशिया का 60 प्रतिशत है। यहां दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं।