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क्यों विदेशी मीडिया को सरदार की प्रतिमा पंसद नहीं आ रही?

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को गुजरात में देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा का अनावरण करेंगे, जो न्यूयॉर्क में स्थित 'स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी' से चार गुना बड़ी है। 2,989 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुई गोल्ड कलर में सरदार की इस विशाल प्रतिमा का नाम 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' इसलिए रखा गया, क्योंकि आजादी के बाद उन्होंने ही देसी रियासतों या रजवाड़ों को एकजुट कर एक संपूर्ण हिंदुस्तान के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी। सत्तारुढ़ सरकार से लेकर देश के कई लोग 182 मीटर ऊंची खड़ी इस प्रतिमा के अनावरण को लेकर बहुत उत्साहित है। हालांकि, सरदार की इस प्रतिमा का दूसरा पहलू यह भी है कि जब से पीएम मोदी ने नर्मदा बांध पर सरदार की प्रतिमा खड़ी करने की घोषणा की, तभी से वहां के स्थानीय लोगों, किसानों और एक्टिविस्टों का विरोध जारी है। वहीं, विदेश मीडिया में भी सरदार की प्रतिमा को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की गई है।

क्यों विदेशी मीडिया को सरदार की प्रतिमा पंसद नहीं आ रही?

यूएस मीडिया
अमेरिकी अखबार 'द वॉशिंगटन पोस्ट' ने लिखा, 'इस स्टेच्यू ऑफ यूनिटी को दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा के लिए जाना जाएगा, जो लगभग 600 फुट की ऊंचाई में खड़ी भारत की वैश्विक आकांक्षाओं के बारे में उतना ही कहती है जितना कि यह अपने नेता की राजनीतिक अहंकार के बारे में बताती है।' पोस्ट ने आगे लिखा कि इस 408 मिलियन डॉलर की भीमकाय प्रतिमा आज की राजनीति का दिखावा है। द पोस्ट के अनुसार, मोदी 2019 चुनावों को देखते हुए इस बड़े प्रोजेक्ट से ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं।

पाकिस्तान मीडिया
पाकिस्तान के 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने लिखा, 'यह स्टेच्यू अब मोदी की भारतीय जनता पार्टी का लोकप्रीय राष्ट्रीय चेहरा बन चुका है, पटेल कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे, जो अब भारत की संसद में विपक्ष में बैठी है।' पाकिस्तान के 'जियो न्यूज' ने इस स्टेच्यू के अनावरण को भारत में अगले साल होने वाले चुनावी अभियान और राजनीति से प्रेरित बताया है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल ने इसे राष्ट्रवादी उत्साह का एक विस्फोट बताया है।

ब्रिटिश मीडिया
सरदार वल्लभभाई पटेल के स्टेच्यू के बारे में बीबीसी ने गुजरात के स्थानीय किसानों का मुद्दा उठाया है। बीबीसी के मुताबिक सरदार पटेल की प्रतिमा से वहां के स्थानीय किसान बिल्कुल भी खुश नहीं है। बीबीसी ने लिखा, 'इस विशाल स्टेच्यू पर पैसा खर्च करने के बजाय, सरकार को इस जिले में किसानों पर खर्च किया जाना चाहिए था।' बीबीसी ने 2016 की एक सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि नर्मदा जिला भूख, प्राथमिक शिक्षा और कुपोषण जैसी समस्याओं से घिरा हुआ है। बता दें कि 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी' गुजरात के नर्मदा जिले में ही बनकर तैयार हुआ है।

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English summary
How foreign media covers Statue of Unity, which is to be unveiled tomorrow by PM Modi
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