तालिबान, अफ़ग़ानिस्तान में कहाँ तक अपना नियंत्रण बना चुका है?
तालिबान ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए उत्तर की बजाय दक्षिण और पूर्वी प्रांतों पर हमले तेज़ कर दिए हैं. कई ज़िलों पर वह कब्ज़ा जमा चुका है और कई प्रांतीय राजधानी पर ख़तरा मंडरा रहा है.
बीते हफ़्तों में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिणी और पूर्वी प्रांतों में अपने हमले बढ़ा दिए हैं.
पहले देश के उत्तर के इलाक़ों पर उसका फोकस था. इससे अब देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से कम से कम 20 पर ख़तरा मंडरा रहा है.
इन ताज़ा हमलों में काबुल के उत्तर में एक अहम घाटी को अपने कब्ज़े में लेना भी शामिल है, जिससे देश की राजधानी पर ख़तरा बढ़ गया है.
सामरिक दृष्टिकोण से इनमें से कई शहर बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे राष्ट्रीय राजधानी काबुल को देश के उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्थित हैं.
अंतरराष्ट्रीय सेना वापस जा रही है और शांति वार्ता ठप है, ऐसे में बीती पहली मई से तालिबान ने कई ज़िलों पर अपना कब्ज़ा कर लिया है.
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प्रमुख प्रांतीय राजधानी की घेराबंदी
कई मुख्य प्रांतीय राजधानियों की तालिबान ने घेराबंदी कर दी है.
जिन शहरों को तालिबान ने घेर रखा है, वो उत्तर के उन प्रांतों में हैं जिनकी सीमाएं अफ़ग़ानिस्तान के मध्य एशिया के पड़ोसी देशों से सटी हैं.
लेकिन तालिबान ने बीते हफ़्ते अपना रुख़ दक्षिण और पूर्व के प्रमुख शहरों की ओर मोड़ दिया, जिससे अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी के आसपास के इलाक़ों में ख़तरा बढ़ गया है.
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https://www.youtube.com/watch?v=kOGlIQAqGrA
चरिकार (परवान प्रांत):
तालिबान ने परवान प्रांत में स्थित घोरबंद घाटी पर कब्ज़ा जमा लिया है, जो रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम है. इससे इस प्रांत की राजधानी चरिकार के लिए ख़तरा बढ़ गया है, जो काबुल, घोरबंद और हाल ही में अमेरिकी सेना के ख़ाली किए बगराम हवाई अड्डे से महज 60 किलोमीटर दूर है.
परवान को कहीं सुरक्षित बामियान प्रांत से जोड़ने वाला मुख्य मार्ग भी इसी घाटी से हो कर गुजरता है.
11 जुलाई को तालिबान ने कथित तौर पर बामियान के कोहमार्द ज़िले पर कब्ज़ा कर लिया जो इस समूह के नियंत्रण में आने वाले प्रांत का पहला ज़िला था.
कंधार शहर (कंधार प्रांत):
कंधार में शोरबक, अर्गेस्तान, माइवांड, ख़ाकरेज़, पंजवाई, मरूफ़, शाह वाली कोट और घोरक ज़िले पर कब्ज़े के बाद अब प्रांत की राजधानी कंधार शहर के आसपास झड़प की सूचना मिली है.
यदि तालिबान का इस प्रांत पर हमला जारी रहता है तो पाकिस्तान में कंधार को बलूचिस्तान से जोड़ने वाली स्पिन बोल्डक-चमन बॉर्डर क्रॉसिंग ख़तरे में पड़ सकता है.
https://www.youtube.com/watch?v=gTJKJ9BkEXQ
गज़नी शहर (गज़नी प्रांत):
एक और प्रांत की राजधानी को तालिबान के बढ़ते कदमों से उसकी राजधानी को ख़तरा है, ये है मध्य अफ़ग़ानिस्तान का गज़नी शहर.
तालिबान कई वर्षों से बहुजातीय प्रांत में सक्रिय रहा है. 2018 में कुछ समय के लिए राजधानी के एक बड़े हिस्से पर इसका नियंत्रण रहा है.
गज़नी शहर के पास तालिबान और अफ़ग़ान सेना के बीच संघर्ष तेज़ हो गया है.
प्राइवेट न्यूज़ चैनल टोलो न्यूज़ टीवी के 12 जुलाई की रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रांतीय परिषद के प्रमुख नासिर अहमद फ़क़ीरी का कहना है कि प्रांतीय राजधानी के 50 फ़ीसदी तक पर तालिबान का नियंत्रण हो सकता है.
गज़नी की सीमा आठ प्रांतों से सटी है. राजधानी को दक्षिण अफ़ग़ानिस्तान से जोड़ने वाला काबुल-कंधार राजमार्ग इस प्रांत से हो कर गुजरता है.
ज़रंज (निमरोज़ प्रांत):
दक्षिणी प्रांत निमरोज़ के ज़िले चखनपुर और डेलाराम के पतन के बाद प्रांतीय राजधानी ज़रंग और ईरान के साथ सटे मिलक-ज़रंज बॉर्डर क्रॉसिंग पर ख़तरा बढ़ रहा है.
मिलक-ज़रंज क्रॉसिंग अफ़ग़ानिस्तान को ईरान के चाबहार बंदरगाह से जोड़ता है, जिसे ओमान की खाड़ी में भारत ने विकसित किया है.
काला-ए नवा (बदगीस प्रांत):
तालिबान ने पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत के अन्य सभी ज़िलों पर कब्ज़ा करने के बाद राजधानी पर लगातार हमले शुरू कर दिए हैं.
तालिबान समर्थक कई टिप्पणीकारों ने बदगीस पर हमले का यह दावा करते हुए जश्न मनाया है कि इस समूह के लड़ाकों का शहर में तब स्वागत किया गया, जब उन्होंने कलां-ए-नौ जेल से क़ैदियों को मुक्त कर दिया.
लेकिन कलां-ए-नौ में सरकारी सेना ने पलटवार शुरू किया और बादगीस के गवर्नर हसमुद्दीन शम्स ने सात जुलाई को टोलो टीवी को बताया कि "तालिबान को पीछे धकेल दिया गया है."
मज़ार-ए-शरीफ़ (बल्ख प्रांत):
अफ़ग़ानिस्तान के उत्तर और पूर्वोत्तर प्रांत में कुछ अन्य इलाक़ों पर नियंत्रण के बाद जून के आख़िर में तालिबान ने मज़ार-ए-शरीफ़ और उज़्बेकिस्तान से सटे बल्ख प्रांत के कई ज़िलों पर कब्ज़ा किया.
अफ़ग़ान मीडिया ने बताया कि सांसदों के साथ जाने-माने पूर्व जिहादी और एंटी-तालिबान रेसिस्टेंस कमांडर्स ने स्थानीय लोगों को सरकारी सेना की मदद करने के लिए जुटाया है.
उज़्बेकिस्तान की सीमा से सटा हुआ शहर हेरातन, मज़ार-ए-शरीफ़ से क़रीब 80 किलोमीटर दूर स्थित है.
प्राइवेट टोलो न्यूज- टीवी ने कहा कि 2 जुलाई को अफ़ग़ानी सेना तालिबान के हमलों का मुक़ाबला करने के लिए क्रॉसिंग के पास कई चेकपॉइंट बनाए हैं.
कुंदुज़ शहर (कुंदुज़ प्रांत):
तालिबान कुंदुज़ शहर के ठीक बाहर तक पहुंच गए हैं. कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इस प्रांत के सभी ज़िलों पर उनका नियंत्रण हो गया है. इसमें ताजिकिस्तान के साथ सटा हुआ शेर ख़ान बॉर्डर क्रॉसिंग भी है.
हाल के वर्षों में तालिबान का कुंदुज़ में ख़ासा प्रभाव रहा, 2015 में शहर के अधिकांश हिस्से पर अंशकालीन नियंत्रण भी रहा.
यह प्रांत ताजिक सीमा पर स्थित तखर और बदख्शां के पूर्वोत्तर प्रांतों को बल्ख और अन्य उत्तरी क्षेत्रों से जोड़ता है.
यह प्रांत तखर और बदख्शां के पूर्वोत्तर प्रांतों को जोड़ता है. साथ-साथ ताजिक बॉर्डर से ब्लख और अन्य उत्तरी इलाक़ों को जोड़ता है
पुल-ए खोमरी (बाघलान प्रांत):
कुंदुज़ के दक्षिण में एक और अहम शहर पुल-ए खोमरी है जो बघलान प्रांत की राजधानी भी है.
यहाँ शहर के बाहरी इलाके और कुछ अन्य ज़िलों में तालिबान के साथ संघर्ष जारी है. मज़ार-ए-शरीफ़ और कुंदुज़ को जोड़ने वाला मुख्य राजमार्ग, जो काबुल तक जाता है, इसी इलाके से हो कर गुजरता है.
तालोकान (तख़र प्रांत):
तख़र प्रांत के 16 में से 14 ज़िले तालिबान के नियंत्रण में हैं. अब इसकी राजधानी तालोक़ान को ख़तरा है.
एरियाना न्यूज़ टीवी के मुताबिक, शहर में सुरक्षा की स्थिति ख़राब है.
ताजिकिस्तान के साथ ऐ-ख़ानोम बॉर्डर क्रॉसिंग इसी प्रांत में स्थित है, तालिबान के नियंत्रण में है.
तख़र, कुंदुज को बदख्शां से जोड़ता है.
मायमाना (फ़रयाब प्रांत):
तुर्कमेनिस्तान के साथ सटी सीमा वाले फ़रयाब लंबे समय से सुरक्षा बलों औऱ तालिबान के बीच संघर्ष का स्थल रहा है.
जून में प्रांत के अधिकांश ज़िलों पर कब्जा करने के बाद तालिबान अब राजधानी मायमान के बाहर तैनात हैं.
अंधकोय ज़िले में स्थित अक़ीना बॉर्डर क्रासिंग को भी ख़तरा है.
उत्तरी अफ़ग़ानिस्तान को हेरात प्रांत से जोड़ने वाला राजमार्ग फ़रयाब से होकर गुजरता है.
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अन्य प्रांतीय राजधानी जिन पर ख़तरा मंडरा रहा
तालिबान की सेना कई अन्य प्रांतीय राजधानियों के बाहरी इलाके में तैनात है.
देश के उत्तर में स्थित सर-ए पुल प्रांत में राजधानी सर-ए पुल शहर और बलखाब ज़िले को छोड़कर सभी पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया है
पूर्वोत्तर में तालिबान 10 जून को अरगंजख़्वा ज़िले पर कब्जा करने के बाद बदख्शां की राजधानी फ़ैज़ाबाद के बाहरी इलाकों तक पहुंच चुका है.
जून में प्रांत के कई ज़िलों पर नियंत्रण के बाद से पश्चिम में तालिबान की सेना फ़राह शहर के बाहरी इलाके में है. फराह प्रांत ईरान और अफीम उत्पादक हेलमंद के साथ अपनी सीमा साझा करता है.दक्षिणी और पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान को जोड़ने वाला कंधार-हेरात राजमार्ग इस प्रांत से होकर गुज़रता है.
तालिबान ने हेरात शहर से सिर्फ 40 किमी दूर स्थित ज़ेंडाजन समेत कई ज़िलों पर नियंत्रण का दावा किया है.
लेकिन अफ़ग़ान सरकार का कहना है कि ज़िला मुख्यालयों को स्थानांतरित कर दिया गया है ताकि कम से कम नागरिक हताहत हों. तालिबान ने तुर्केमेनिस्तान के साथ लगी तोरघुंडी सीमा पर भी कब्ज़ा जमा लिया है.
इसके साथ ही, अफ़ग़ानिस्तान-ईरान सीमा के पास कोहसान ज़िले में इस्लाम क़लां में छिटपुट झड़प की सूचना मिली है.
यहां हाल के दिनों में दूरसंचार को तबाह कर दिया गया था जिससे हेरात में इंटरनेट सेवा बाधित हो गई है.
दक्षिण में, हेलमंद की राजधानी लश्कर गाह और उसके आसपास संघर्ष हो रहे हैं. यह एक ऐसा प्रांत है जिसने पिछले एक दशक में अफ़ग़ान सुरक्षाबलों, अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन सैनिकों और तालिबान के बीच तीव्र लड़ाई देखी है.
यहां अधिकांश ज़िले तालिबान के नियंत्रण में हैं.
कंधार-हेरात हाइवे इस प्रांत से होकर गुज़रता है.
काबुल-कंधार हाइवे पर स्थित ज़ाबुल में, प्रांतीय राजधानी कलत भी असुरक्षित है.
तालिबान काबुल की सीमा से सटे मयदान वरदाग प्रांत के चार ज़िलों पर कब्ज़ा करने के बाद तीन दिशाओं से राजधानी मयदान शर की घेराबंदी कर रहा है.
सरकारी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर करने के बाद उरुज़गन की राजधानी तारिन कोट के बाहरी इलाके में भी तालिबान की सेना तैनात हैं.दौलत शाह ज़िला और अलीशेंग और अलीगर ज़िलों में तीन सैन्य ठिकानों पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान पूर्व में लघमन प्रांत की राजधानी मेहतरलाम के बाहर तक पहुंच गया है.
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