Helsinki Summit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के सामने कमजोर साबित हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
मेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच सोमवार को फिनलैंड के हेलसिंकी में मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने अप्रत्यक्ष तौर पर रूस को विजेता घोषित कर दिया है।
हेलसिंकी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच सोमवार को फिनलैंड के हेलसिंकी में मुलाकात हुई। इस मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने अप्रत्यक्ष तौर पर रूस को विजेता घोषित कर दिया है। ट्रंप ने इस बात को मानने से साफ इनकार कर दिया कि साल 2016 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस ने किसी तरह से कोई हस्तक्षेप हुआ था। इस बात के साथ ही उन्होंने अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसियों के निष्कर्ष को भी सिर से खारिज कर दिया। अमेरिकी विशेषज्ञों की मानें तो जिस गर्मजोशी के साथ ट्रंप ने पुतिन को गले लगाया उससे ही उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि रूस ने अमेरिकी लोकतंत्र पर किसी तरह का कोई हमला किया था। ट्रंप और पुतिन की मीटिंग ने न सिर्फ वॉशिंगटन बल्कि दुनिया के कई देशों में चिंताएं पैदा कर दी हैं। अमेरिका और रूस दोनों ही दुनिया में न्यूक्लियर सुपरपावर हैं।
अपनी ही इंटेलीजेंस एजेंसियों को बताया गलत
ट्रंप और पुतिन फिनलैंड के राष्ट्रपति के महल में मिले थे। इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने 46 मिनट की प्रेस कांफ्रेंस की। इस दौरान ट्रंप ने पुतिन के उस दावे को कोई चुनौती नहीं दी जिसमें उन्होंने कहा कि था रूसी की सरकार का साल 2016 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में गड़बड़ करने की कोई कोशिश की थी। शुक्रवार को अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से 12 रूसी इंटेलीजेंस ऑफिसर्स को इसलिए अमेरिका से बाहर जाने का आदेश दे दिया गया है क्योंकि उन पर डेमोक्रेटिक पार्टी के ई-मेल्स को हैक करने का आरोप था। न्यास विभाग के मुताबिक इन एजेंट्स ने ऐसा इसलिए किया था ताकि ट्रंप चुनाव जीत सकें। इसके बाद भी ट्रंप ने पुतिन के दावों को कोई चुनौती नहीं दी। बल्कि ट्रंप ने जो अमेरिकी एजेंसी की जांच की ही निंदा कर डाली। उन्होंने कहा कि चुनावों में रूस के हस्तक्षेप की जांच करना, अमेरिका के लिए विनाशकारी है और इसे विच हंट करार दे डाला।
अमेरिकी नीतियों को कहा मूर्खतापूर्ण
ट्रंप ने कुछ अमेरिकी नीतियों को भी मूर्खताभरा करार दे दिया। उन्होंने कहा कि इन नीतियों की वजह से ही दोनों देशों के रिश्तों पर खासा असर पड़ा है। साफ तौर पर ट्रंप का यह रवैया कहीं न कहीं पुतिन के लिए विजेता के तौर पर था जो फिलहाल अमेरिका के साथ अच्छे संबंधों और पश्चिमी देशों के साथ रिश्तों में आई समस्या के बीच ही अपना प्रभाव स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लारोव ने इस समिट को शानदार और बेहतर से भी बेहतर करार दिया। ट्रंप और पुतिन ने मुलाकात के शुरुआती दो घंटे अकेले बिताए थे और इस दौरान सिर्फ उनके दुभाषिए को ही वहां पर मौजूद रहने की इजाजज थी। इसके बाद जो प्रेस कांफ्रेंस हुई उसमें ट्रंप ने अपने ही देश की इंटेलीजेंस एजेंसीज के सुबूतों को मानने से इनकार कर दिया।
पुतिन को चेतावनी देने से डरे ट्रंप
न्यूज एजेंसी एएफपी ने ट्रंप से इससे जुड़ा सवाल ट्रंप से किया। इस पर ट्र्रंप ने जवाब दिया, 'वे कहते हैं कि उन्हें लगता है कि रूस ने चुनावों में गड़बड़ी की कोशिश की लेकिन पुतिन ने कहा है कि रूस ने ऐसा नहीं किया है।' ट्रंप ने आगे कहा कि उन्हें लगता कि इस तरह की कोई वजह होगी कि रूस चुनावों में गड़बड़ी की कोशिश करे। ट्रंप के मुताबिक उन्हें अपने देश की इंटेलीजेंस एजेंसी पर पूरा भरोसा है लेकिन वह यह कहना चाहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंपने काफी मजबूती के साथ गड़बड़ी के आरोप से इनकार किया है। एपी के रिपोर्टर ने ट्रंप से कहा कि क्या वह पुतिन को यहां पर चेतावनी देंगे कि रूस आने वाले चुनावों में हस्तक्षेप न करे। इस पर ट्रंप ने साफ इनकार कर दिया। पुतिन ने भी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि रूस ने न कभी अमेरिकी चुनावों में गड़बड़ी की है और न ही उसका ऐसा कोई इरादा है।
अमेरिका के सबसे खराब राष्ट्रपति ट्रंप!
ट्रंप के इस रवैये ने न सिर्फ अमेरिकी नेताओं बल्कि अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक परेशान करने वाली स्थिति पैदा कर दी है। अमेरिका की नेशनल इंटेलीजेंस एजेंसी के डायरेक्टर डैनियल कोट्स ने कहा कि रूस, अमेरिकी लोकतंत्र को कमजोर कर रहा है और इस बात के इंटेलीजेंस सुबूत मौजूद हैं। ट्रंप के सामने तथ्यों को अलग तरह से पेश किया गया था। वहीं सीआईए के पूर्व डायरेक्टर जॉन ब्रैनन ने ट्वीट किया और लिखा, 'ट्रंप ने साबित कर दिया कि वह पूरी तरह से पुतिन की जेब में हैं और उनकी टिप्पणियां देश के साथ विश्वासघात करने वाली हैं।' वहीं अमेरिकी कांग्रेस के स्पीकर पॉल रेयॉन और आर विस ने कहा है कि इस बात का तो सवाल ही नहीं उठता है कि रूस ने चुनावों में गड़बड़ी करके लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की है। वहीं सीनेटर जॉन मैक्केन ने हेलसिंकी समिट को एक बड़ी भूल करार दिया जहां पर ट्रंप ने बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति इतिहास में सबसे खराब तरह से अपना रोल अदा किया।