एलओसी पर तनाव के बीच कैसे हैं पाकिस्तान में हालात?
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर को तलब कर जताया विरोध
भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच सीमा पर एक बार फ़िर तनाव बढ़ने लगा है. रविवार सुबह भारतीय सेना ने कहा कि राजपुरा सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई गोलीबारी में उसके चार जवान मारे गए.
वहीं पाकिस्तान की तरफ से जवाब आया कि यह कार्रवाई भारतीय सेना की ओर से किए गए संघर्षविराम उल्लंघन के रूप में की गई थी.
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि उन्होंने सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन की ताज़ा घटना के बाद भारत के डिप्टी हाई कमिश्नर जे पी सिंह को विदेश मंत्रालय के दफ्तर में तलब कर अपना विरोध दर्ज़ कराया है.
इसके साथ ही उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि भारत की तरफ से संघर्षविराम उल्लंघन होने के बाद पाकिस्तानी सेना ने जवाबी कार्रवाई की.
लेकिन यह कोई पहली घटना नहीं है जब सीमा पर संघर्षविराम का उल्लंघन हुआ हो, पिछले एक साल में इस तरह की कई घटनाएं हुई हैं और सीमा पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है.
भारत ने कई बार तोड़ा संघर्षविराम
पाकिस्तानी सेना की तरफ से दिए गए आंकड़ों की बात करें तो उन्होंने बताया है कि पिछले एक साल में भारत की तरफ से 1,900 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि साल 2018 मे भारत की तरफ से 190 बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया जा चुका है. जिसमें 13 नागरिकों की मौत हुई है.
इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि सीमा पर जो कम तीव्रता वाला तनाव का माहौल हमेशा बना रहता था वह अब संघर्ष का रूप लेने लगा है.
भारत में इस तनाव के चलते प्रभावित इलाकों में करीब 84 स्कूलों को बंद कर दिया गया है वहीं पाकिस्तान में फिलहाल इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि वहां कोई स्कूल बंद किया गया है या नहीं.
हालांकि लंबे अरसे से कुछ इलाकों में आम जनजीवन लगातार प्रभावित रहा है. वे सड़कें जो भारतीय सेना की नज़र में रहती हैं और जिन पर पाकिस्तान मानता है कि भारत की ओर से फायरिंग हो सकती है, वे लंबे समय से बंद पड़ी हैं. इस वजह से इन सड़कों पर आम लोगों की आवाजाही नहीं हो पाती.
पाकिस्तान ने मनाया यो-मे -कश्मीर
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शांति प्रक्रिया की बहाली की बात कही है वहीं पाकिस्तान में रविवार को ही यो-मे-कश्मीर मनाया गया है.
यह कार्यक्रम पिछले कई सालों से सरकारी स्तर पर मनाया जाता है. इस कार्यक्रम के ज़रिए पाकिस्तान भारत प्रशासित कश्मीर के लिए अपना सहयोग दिखाने की कोशिश करता है.
इसी सिलसिले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने यह संदेश भी दिया है कि कश्मीर समस्या का हल संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत ही निकालना चाहिए.
लेकिन एलओसी में जारी तनाव और दोनों देशों की सेनाओं की बीच तल्खी लगातार बढ़ती ही जा रही है और जब तक सेना यह संदेश नहीं देती की सीमा पर हालात पर नियंत्रण में है तब तक राजनेता किसी तरह की बातचीत की सिलसिला शुरू नहीं कर पाएंगे.