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एक मुर्गे ने कैसे जीता 'अभिव्यक्ति की आज़ादी' का हक़

चार साल के एक मुर्गे को अदालत में घसीटा गया मगर वो विजयी होकर बाहर निकला. इस मुर्गे का नाम मौरिस है और इसकी बांग फ़्रांस के शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच तनाव की वजह बन गया था. लेकिन अब अदालत के फ़ैसले के बाद मौरिस हर सुबह बांग देना जारी रख सकता है. मौरिस की बांग को लेकर झगड़ा तब शुरू हुआ जब एक पड़ोसी ने 

By BBC News हिन्दी
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मौरिस अपनी मालिक कोहिना के साथ
Reuters
मौरिस अपनी मालिक कोहिना के साथ

सवाल: मुर्गा क्या करता है?

जवाब: कुकड़ूं कूं.

'कुकड़ूं कूं' यानी मुर्गे की आवाज़, जिसे आम भाषा में बांग देना कहते हैं. वैसे तो मुर्गों का बांग देना स्वाभाविक है लेकिन सोचिए अगर किसी मुर्गे को बांग देने के लिए क़ानूनी लड़ाई लड़नी पड़े तो?

ऐसा सचमुच हुआ है. फ़्रांस की एक अदालत ने एक मुर्गे को बाक़ायदा क़ानूनी तौर पर 'बांग देने का अधिकार' दिया.

इस मुर्गे का नाम मौरिस है और इसकी बांग फ़्रांस के शहरी और ग्रामीण समुदायों के बीच तनाव की वजह बन गया था. लेकिन अब अदालत के फ़ैसले के बाद मौरिस हर सुबह बांग देना जारी रख सकता है.

मौरिस की बांग को लेकर झगड़ा तब शुरू हुआ जब एक पड़ोसी ने उसके मालिक को सुबह होने वाले 'शोर' की वजह से अदालत में घसीटा.

चार साल का मौरिस फ़्रांस के ओलोन में रहता है. ओलोन वो जगह हैं जहां फ़्रांस के कुछ शहरियों ने अपना दूसरा घर खरीदना शुरू किया है.

इन्ही में से एक ज्यां लुई बिहोन को मौरिस की बांग से परेशानी होने लगी. उन्होंने मौरिस के मालिक जैकी और उनकी पत्नी कोहिना से शिकायत की.

ये भी पढ़ें: 18 महीने तक ज़िंदा रहा था ये सिरकटा मुर्गा!

अदालत के बाहर मौरिस की तस्वीर लेते लोग
Getty Images
अदालत के बाहर मौरिस की तस्वीर लेते लोग

मुर्गे की बांग: राष्ट्रीय बहस का मुद्दा

साल 2017 की बात है जब लुई ने अपने पड़ोसियों को लिखे पत्र में लिखा, "ये मुर्गा सुबह साढ़े चार बजे से ही बांग देना शुरू करता है और पूरी सुबह बांग देता रहता है. इसकी आवाज़ दोपहर में भी बंद नहीं होती."

जब मौरिस के मालिक ने उसे चुप कराने से लगातार इनकार किया तो लुई मामले को अदालत में ले गए. ये मुद्दा जल्दी ही फ़्रांस में राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया.

फ़्रांस में लोगों के एक बड़े तबके को मौरिस से सहानुभूति होने लगी और उसके बांग देने के अधिकार को बचाने के लिए लोगों ने ऑनलाइन याचिका दायर की.

इतना ही नहीं, मौरिस और उसकी बांग के समर्थन में एक लाख 40 हज़ार हस्ताक्षर जुटाए गए और लोगों ने उसकी तस्वीर वाली शर्ट पहननी शुरू कर दी.

मौरिस के समर्थक और उसकी तस्वीर वाली टीशर्ट बेचने वाले एक स्थानीय कारोबारी ने कहा, "हम मौरिस और उसके मालिक का समर्थन तो करना ही चाहते थे, साथ ही हमें इस बात का भी ग़ुस्सा था कि कोई किसी मुर्गे को कैसे मुक़दमे में घसीट सकता है."

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मौरिस के समर्थन वाली टीशर्ट
Reuters
मौरिस के समर्थन वाली टीशर्ट

'असहिष्णुता की हद'

मौरिस के समर्थन में ऑनलाइन याचिका दायर करने वाले शख़्स ने कहा, "अब आगे क्या? क्या लोग पक्षियों को चहचहाने से भी रोक देंगे?"

लुई के वकील चाहते थे कि 'शांति भंग करने' के आरोप में वो मौरिस के मालिकों से भारी जुर्माना दिलवाएं लेकिन अदालत ने मौरिस के पक्ष में फ़ैसला सुनाया.

इतना ही नहीं, अदालत ने उलटे लुई को ही मौरिस के मालिकों को परेशान करने के लिए 1,100 डॉलर का जुर्माना देने को कहा.

मौरिस की मालिक कोहिना ने अदालत के फ़ैसले पर ख़ुशी जताई है. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "गांवों को वैसा ही होना चाहिए, जैसे वो हमेशा से रहे हैं. आज मौरिस ने पूरे फ़्रांस की लड़ाई जीती है."

मुर्गे को बांग देने के अधिकार का ये फ़ैसला फ़्रांस में एक मिसाल बन गया है. इसी आधार पर अक्टूबर में कुछ ऐसे ही अन्य मामलों की सुनवाई होगी जिसमें बतखों और सारसों के 'बहुत ज़ोर से आवाज़' करने की शिकायत पर ग़ौर किया जाएगा.

इतना ही नहीं, फ़्रांस में चर्च की घंटियों और गायों की आवाज़ भी क़ानूनी लड़ाई का मसला बन गया है.

भू-वैज्ञानिक ज्यां लुई का मानना है कि फ़्रांस में दिन प्रतिदिन लोग ग्रामीण इलाकों में बसते जा रहे हैं. वो सुदूर क्षेत्रों में बस तो रहे हैं लेकिन खेती करने के लिए नहीं बल्कि सिर्फ़ रहने के लिए और हर व्यक्ति चाहता है कि उसे उसका स्पेस मिले.

ओलोन के मेयर क्रिस्टोफ़र कहते हैं, "ये तो असहिष्णुता की हद है. आपको स्थानीय परंपराओं को स्वीकार करना ही होगा."

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English summary
How a chicken won the right to 'freedom of expression'
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