'मेड इन चाइना' को लेकर हॉन्ग कॉन्ग और अमरीका आमने-सामने
अमरीका के दबाव में अपने सामानों पर लगने वाले लेबल में बदलाव करेगा हॉन्ग कॉन्ग या इस मामले को लेकर वह विश्व व्यापार संगठन में जाएगा.
हॉन्ग कॉन्ग ने कहा है कि वो अपने यहां बनने वाले सामानों पर 'मेड इन चाइना' लेबल लगाने की अमरीका की कोशिश के विरोध में कदम उठाएगा.
हॉन्ग कॉन्ग के अधिकारियों का कहना है कि ये व्यापार के नियमों का उल्लंघन है और इस मुद्दे को लेकर वो विश्व व्यापार संगठन के दरवाज़े पर दस्तक देंगे.
हॉन्ग कॉन्ग को चीन अपना हिस्सा मानता है. इसी साल जून में चीन ने यहां नया सुरक्षा क़ानून लागू कर दिया था. इस नए क़ानून के तहत यहां के बिज़नेस किसी दूसरे चीनी व्यवसायों की तरह ही होंगे और उन्हें वैश्विक स्तर पर अलग से कोई ख़ास व्यापार सुविधाएं नहीं मिलेंगी.
इसके बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हॉन्ग कॉन्ग को दिया गया स्पेशल इकोनॉमिक ट्रीटमेन्ट ख़त्म कर दिया.
उन्होंने हॉन्ग कॉन्ग से अमरीका आयात हो रही चीज़ों पर 'मेड इन हांग कांग' की बजाय 'मेड इन चाइना' का लेबल लगाने के लिए कहा.
ट्रंप का कहना था कि हॉन्ग कॉन्ग अब किसी और चीनी शहर की तरह बन गया है.
'मेड इन चाइना' की मांग
इसी साल जुलाई में डोनाल्ड ट्रंप ने एक एक्ज़ीक्यूटिव ऑर्डर पास कर कहा कि हॉन्ग कॉन्ग अब स्वायत्त राष्ट्र नहीं रहा, वो चीन का हिस्सा है.
इस ऑर्डर में अमरीका ने कहा, "हॉन्ग कॉन्ग के लिए अमरीका की नीति के अनुसार, हॉन्ग कॉन्ग अब ऐसा स्वायत्त क्षेत्र नहीं रहा कि उसके साथ चीन से अलग तरह के संबंध रखे जाएं."
इससे पहले चीन ने जो सुरक्षा क़ानून हॉन्ग कॉन्ग पर लगाया था उसके अनुसार यहां पर बनने वाले सामान पर 'मेड इन चाइना' का लेबल लगाया जाना चाहिए और यहां के सामान को दुनिया के और देशों में इसी लेबल के साथ बेचा जाना चाहिए.
शुक्रवार को हॉन्ग कॉन्ग के अधिकारियों ने पुष्टि की कि वो विश्व व्यापार संगठन सेटलमेन्ट मेकनिज़्म में ये मामला ले कर जाएंगे और अमरीका से द्विपक्षीय चर्चा करने की कोशिश करेंगे.
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार हॉन्ग कॉन्ग के व्यापार सचिव एडवर्ड याउ ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "अमरीका एकतरफा और ग़ैरज़िम्मेदाराना तरीके से अलग कस्टम टेरिटरी के तौर पर हॉन्ग कॉन्ग की रुतबे को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहा है."
"इस तरह के कदम से बाज़ार में भ्रम पैदा होता है और ये नियमों के आधार पर होने वाले बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली का उल्लंघन है."
विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुसार हॉन्ग कॉन्ग की गुज़ारिश पर अमरीका को दस दिनों के भीतर ही अपना जवाब देना होगा. इसके बाद अगर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाती है तो मामले का निपटारा करने के लिए हॉन्ग कॉन्ग एक पैनल बनाने की गुज़ारिश कर सकता है.
एडवर्ड याउ ने कहा, "अंतराराष्ट्रीय व्यापार संगठन में हॉन्ग कॉन्ग अपना अलग प्रतिनिधित्व करता है और चीन की मख्यभूमि से अलग इसके अपने व्यापार नियम हैं."
याउ का कहना है कि सितंबर में इस बारे में उन्होंने अमरीका को पत्र लिखा था लेकिन अमरीका के निराशाजनक रवैय्ये का कारण उन्हें अब विश्व व्यापार संगठन का रुख़ करना होगा.
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चीन और हॉन्ग कॉन्ग तनाव
व्यापार के लिए इस्तेमाल होने वाले दुनिया के सबसे बड़े बंदरगाहों में हॉन्ग कॉन्ग शुमार है.
चीन का हिस्सा होते हुए भी हॉन्ग कॉन्ग अलग से विश्व व्यापार संगठन का सदस्य है. हॉन्ग कॉन्ग 1 जनवरी 1995 से संगठन का सदस्य है जबकि चीन 11 दिसंबर 2001 को संगठन में शामिल हुआ था.
हॉन्ग कॉन्ग 1841 से 1997 तक ब्रिटेन की कॉलोनी था. ब्रिटेन ने उसे 'वन कंट्री टू सिस्टम' यानी एक देश और दो प्रणाली समझौते के तहत चीन को सुपुर्द किया. ये क़रार हॉन्ग कॉन्ग को वो आज़ादी और लोकतांत्रिक अधिकार देता है, जो चीन के लोगों को हासिल नहीं है. इसमें हांग कांग के अपने व्यापार और इमिग्रेशन नियम शामिल थे.
लेकिन चीन ने इस साल जब यहां नए सुरक्षा क़ानून लागू किए तो यहां के व्यवसायों को मिलने वाली ख़ास व्यापार सुविधाओं को भी ख़त्म कर दिया. इस क़ानून में कुछ बातों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
क्या है अपराध की श्रेणी में?
(1) संबंध तोड़ना यानी चीन से अलग होना
(2) केंद्रीय सरकार के शासन को न मानना या उसकी ताकत को कमज़ोर करना
(3) आतंकवाद, लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा करना या फिर उन्हें डराना धमकाना
(4) विदेशी ताकतों से सांठगांठ करना.
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हॉन्ग कॉन्ग में इन सुरक्षा क़ानूनों का कड़ा विरोध हुआ था. उस वक्त चीन और हॉन्ग कॉन्ग के स्थानीय अधिकारियों ने कहा था कि नए सुरक्षा क़ानूनों का असर व्यवसायों पर नहीं पड़ेगा.
लेकिन यहां राजनीतिक हलचल और लंबे चले विरोध प्रदर्शनों का असर पहले ही व्यापार पर पड़ा है. बाद में कोरोना महामारी का भी यहां के व्यापार पर असर पड़ा.
इसी आधार पर अब अमरीका ने हॉन्ग कॉन्ग को नए लेबल के साथ उसे अपना सामान बेचने के लिए कहा है.
ये क़ानून इसी साल नवंबर की नौ तारीख़ से लागू होने वाला है. इसके एक हफ़्ते पहले अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं जिसमें डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडन के बीच मुक़ाबला है.