ब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में ऐतिहासिक डील, जानिए सबकुछ
जब दुनिया क्रिसमस की पूर्व संध्या पर त्योहार की तैयारी कर रही थी तभी ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में ऐतिहासिक व्यापार समझौता हो गया. जानिए, अब तक क्या हुआ है और आगे क्या होगा?
द डील इज़ डन. यानी डील हो गई है.
ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर गुरुवार को यह ट्वीट किया और साथ में अपनी एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें वो दोनों हाथों को उठाए 'थंब्स अप' का इशारा कर रहे हैं.
The deal is done. pic.twitter.com/zzhvxOSeWz
— Boris Johnson (@BorisJohnson) December 24, 2020
महीनों के गतिरोध और असहमतियों के बाद आख़िरकार ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) एक पोस्ट-ब्रेग्ज़िट ट्रेड डील यानी ब्रेग्ज़िट के बाद ऐतिहासिक व्यापार समझौते तक पहुँच गए हैं.
बोरिस जॉनसन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ऐलान किया, "हमने अपने क़ानून और अपनी किस्मत की डोर वापस अपने हाथों में ले ली है."
इस पोस्ट-ब्रेग्ज़िट समझौते की विस्तृत प्रति अभी जारी नहीं हुई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि यह 'पूरे यूरोप के लिए अच्छी डील' है.
इसी के साथ अब ब्रिटेन गुरुवार यानी 31 दिसंबर को यूरोपीय संघ के व्यापार नियमों के दायरे से बाहर हो जाएगा.
इससे ठीक एक साल पहले यानी 31 दिसंबर, 2019 को ब्रिटेन 27 सदस्य देशों वाले यूरोपीय संघ से आधिकारिक तौर पर अलग हुआ था.
ब्रिटेन और ईयू, दोनों पक्षों ने जताई ख़ुशी
ब्रिटेन और ईयू दोनों ने ही इस डील पर ख़ुशी जताई है और इसे 'शानदार उपलब्धि' बताया है. दोनों पक्षों का कहना है कि अगर ये डील न हो पाती तो वे एक-दूसरे पर भारी-भरकम टैक्स लगाते रहते.
यूरोपीय संघ ने कहा है कि वो जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन को पहले की तरह अपना सहयोग देता रहेगा.
लंदन में मौजूद बीबीसी संवाददाता गगन सबरवाल ने बताया है कि ब्रिटेन में आम तौर पर लोग इस समझौते से ख़ुश हैं क्योंकि उनका मानना है कि ब्रिटेन अगर बिना किसी डील के यूरोपीय संघ से अलग होता तो इसका असर बहुत बुरा होता.
इस पोस्ट-ब्रेग्ज़िट समझौते से कारोबार और उद्योग जगत के लिए कई अहम बदलाव होंगे जिनमें ब्रिटेन और ईयू के अलग बाज़ार प्रमुख होंगे.
इस डील से वो ब्रितानी कारोबारी राहत की साँस लेंगे जो कोरोना महामारी के बाद सीमा पार व्यापार में मुश्किलों और आयात पर टैक्स से डरे हुए थे.
'निष्पक्ष' और 'संतुलित' डील
इस घोषणा के बाद यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उज़ूला फ़ॉन दे लायन ने ब्रसेल्स में हुई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "यह एक लंबा और मुश्किल भरा रास्ता था लेकिन हमें एक अच्छी डील मिल गई है."
उन्होंने इस समझौते को 'निष्पक्ष' और 'संतुलित' बताया.
उज़ूला ने ये भी कहा कि अब ये 'अतीत के पन्ने पलटने और भविष्य की ओर देखने का वक़्त' है. उन्होंने कहा कि डील के बाद भी ब्रिटेन ईयू का एक 'भरोसेमंद पार्टनर' बना रहेगा.
वहीं, बोरिस जॉनसन ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि हर साल 668 बिलियन पाउंड की यह डील 'पूरे देश में नौकरियाँ बचाएगी' और 'ब्रिटेन के सामानों को ईयू के बाज़ारों में बिना किसी टैक्स या कोटा के बेचे जाने में मदद करेगी.'
ब्रिटेन की तरफ़ से डील के प्रमुख मध्यस्थ लॉर्ड फ़्रॉस्ट ने कहा कि इस व्यापार समझौते की पूरी जानकारी जल्दी ही प्रकाशित की जाएगी.
हालाँकि इस डील को अमल में लाए जाने के लिए इसका ब्रिटेन और यूरोपीय संघ, दोनों की संसद में पारित होना ज़रूरी है. इसी मद्देनज़र 30 दिसंबर को ब्रिटेन की संसद में वोटिंग होगी.
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विपक्षी लेबर पार्टी करेगी डील का समर्थन
ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टामेर ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में डील के पक्ष में वोट डालेगी ताकि इसे पारित किया जा सके. स्टामेर ने पहले ब्रेग्ज़िट के विरोध में मुहिम चलाई थी.
स्टामेर ने ये भी कहा कि यह एक 'कमज़ोर समझौता' है जो नौकरियों, निर्माण और वित्तीय सेवाओं को 'पर्याप्त सुरक्षा' नहीं देता. उन्होंने कहा कि ये 'वो डील नहीं है, जिसका वादा ब्रितानी सरकार ने किया था'.
लेकिन स्टामेर ने ये भी कहा कि चूँकि अब और समय नहीं बचा है इसलिए वो डील का समर्थन करेंगे क्योंकि अगर ब्रिटेन बिना किसी डील के ईयू से अलग हुआ तो इसके भयावह परिणाम होंगे और लेबर पार्टी ऐसा नहीं होने देगी.
इस डील के बारे में अब तक क्या मालूम है?
31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ से अलग हो गया था. इसके बाद से ही दोनों पक्ष व्यापार के नए नियम तय करने के बारे में बातचीत कर रहे थे.
इस समझौते में उन नए नियमों पर सहमति बनी है जिनके तहत ब्रिटेन और यूरोपीय संघ साथ मिलकर व्यापार और अन्य क्षेत्रों में काम करेंगे.
इस बारे में अभी बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि 1,000 पन्नों का यह समझौता अभी जारी नहीं किया गया है.
हालाँकि समझौते की दो प्रमुख बातें मालूम हैं:
•ब्रिटेन और ईयू सीमा पार होने वाले व्यापार के लिए एक-दूसरे के उत्पादों पर कोई टैक्स (टैरिफ़) नहीं लगाएंगे.
•सीमा पार कितने उत्पादों का व्यापार किया जा सकता है, इसकी कोई सीमा (कोटा) निर्धारित नहीं किया गया है.
इस डील में इतना वक़्त क्यों लगा?
इस व्यापार समझौते तक पहुँचने में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ को इतना वक़्त क्यों लगा, इसका सीधा सा जवाब है: क्योंकि बहुत कुछ दाँव पर लगा हुआ था.
ईयू, ब्रिटेन का सबसे करीबी और सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि इस डील के दायरे में साल 2019 में हुआ 668 बिलियन पाउंड का व्यापार भी आता है.
जब तक ब्रिटेन यूरोपीय संघ का सदस्य था, ब्रितानी कंपनियँ ईयू की सीमा में कहीं भी बिना कोई टैक्स चुकाए अपने सामान बेच सकती थीं.
अगर यह व्यापार समझौता न हो पाता तो कारोबारियों को ईयू में अपना सामान बेचने के लिए भारी टैक्स चुकाना पड़ता जिसका उनके बिज़नस पर बहुत बुरा असर पड़ता.
इसके अलावा, अगर ब्रिटेन बिना डील के ईयू से अलग होता तो सीमाओं पर और ज़्यादा पाबंदियाँ होतीं और ब्रितानी कंपनियों के लिए अपना सामान पहुँचाना ज़्यादा मुश्किल हो जाता.
अब आगे क्या होगा?
ब्रिटेन और ईयू के बीच व्यापार समझौते पर सहमति ज़रूर बन गई है लेकिन अभी इसका क़ानून बनना बाकी है. इसके लिए समझौते को ब्रिटेन और ईयू, दोनों की संसद से मंज़ूरी मिलना ज़रूरी होगा.
चूँकि इसके लिए समय बहुत कम बचा है इसलिए यूरोपीय संसद यह साल ख़त्म होने से पहले इस पर मुहर नहीं लगा पाएगी.
हालाँकि इसके बावजूद डील के 1 जनवरी, 2021 से में अमल में आने मुश्किल नहीं होनी चाहिए लेकिन इस पर आधिकारिक रूप से मुहर लगने में थोड़ा वक़्त लगेगा.
ब्रितानी सरकार ने कहा है कि वो डील पर वोटिंग के लिए 30 दिसंबर को अपने सांसदों को बुलाएगी. लेकिन चूँकि ये सब इतनी जल्दी में होगा इसलिए इस पर संसद में बहस के लिए वक़्त नहीं होगा.
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एक वाक्य में कहें तो...
दोनों पक्ष (ब्रिटेन और ईयू) डील के बाद राहत की साँस ले रहे हैं लेकिन लोगों और कारोबारियों के लिए तैयारी का ज़्यादा वक़्त नहीं है क्योंकि एक जनवरी से बदले हुए नियम प्रभाव में आना शुरू हो जाएंगे.
The United Kingdom has agreed a Free Trade Agreement with the European Union.
See what this deal means for you ⬇️ pic.twitter.com/x4DetmQqcO
— UK Prime Minister (@10DowningStreet) December 24, 2020
ईयू और ब्रेग्ज़िट क्या हैं?
यूरोपीय संघ (ईयू) 27 देशों का एक संगठन है. इन देशों के नागरिक ईयू के सभी सदस्य देशों में आवाजाही, रहने, काम करने और कारोबार के लिए स्वतंत्र हैं.
ईयू के सदस्य देशों के कारोबारी सीमाओं पर बिना किसी रोक-टोक और बिना किसी टैक्स के अपने सामान ख़रीद और बेच सकते हैं.
ब्रिटेन ईयू से बाहर निकलने वाला पहला देश है और इसे को 'ब्रेग्ज़िट' (ब्रिटेन के एग्ज़िट) के नाम से जाना जाता है.
ब्रेग्ज़िट का फ़ैसला जून, साल 2016 में पब्लिक वोटिंग या जनमत संग्रह के आधार पर हुआ था. लोगों से पूछा गया था कि ब्रिटेन को ईयू में रहना चाहिए या नहीं.
जनमत संग्रह में 52 फ़ीसदी लोगों ने कहा था कि ब्रिटेन को ईयू से बाहर हो जाना चाहिए था और 48 फ़ीसदी लोगों ने ब्रिटेन के ईयू में बने रहने की वकालत की थी.