हिंदुस्तानी महिलाओं पर भारी पड़ सकता है ट्रंप का ये 'फ़ैसला'
अमरीका ने दूसरे देशों के उन लोगों को वहां काम करने का अधिकार दिया गया था जिनके पति या पत्नी प्राइमरी वीज़ा पर अमरीका में काम कर रहे हैं.
लेकिन अब अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ओबामा प्रशासन के साल 2015 के इस फ़ैसले को वापस लेना चाहते है.
अगर ट्रंप ये कदम उठाते हैं तो हज़ारों भारतीय और चीनी महिलाओं को नौकरियों से हाथ धोना पड़ जाएगा.
अमरीका ने दूसरे देशों के उन लोगों को वहां काम करने का अधिकार दिया गया था जिनके पति या पत्नी प्राइमरी वीज़ा पर अमरीका में काम कर रहे हैं.
लेकिन अब अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ओबामा प्रशासन के साल 2015 के इस फ़ैसले को वापस लेना चाहते है.
अगर ट्रंप ये कदम उठाते हैं तो हज़ारों भारतीय और चीनी महिलाओं को नौकरियों से हाथ धोना पड़ जाएगा.
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हाइली स्किल्ड वर्कर
नेहा महाजन के बच्चों के लिए अमरीका ही इनका इकलौता घर है. करीब एक दशक पहले नेहा भारत से अमरीका आईं थी.
उनके पति को यहां हाइली स्किल्ड वर्कर यानी कुशल कारीगर के तौर पर वीज़ा मिला हुआ है.
पत्नी होने के नाते नेहा को दो साल पहले ही इस देश में काम करने का अधिकार मिला था. लेकिन अब ट्रंप इस अधिकार को ख़त्म करना चाहते हैं.
नेहा महाजन कहती हैं, "मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं फिर से एक सुनहरे पिंजरे में चली गई हूं."
"लगता है जैसे वो मुझे बताना चाहते हैं कि मेरे कौशल और काबिलियत की इस दुनिया में कोई कद्र नहीं है."
"मुझे एक गृहणी बनकर ही रहना होगा, समाज के एक सदस्य के नाते मेरा कोई योगदान नहीं है."
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विरोध प्रदर्शन किया गया
कुछ दिनों पहले नेहा समेत कई भारतीयों ने वाशिंगटन में विरोध प्रदर्शन किया था.
चीन और भारत की महिलाओं पर इस प्रस्तावित फ़ैसले का सबसे ज़्यादा असर पड़ेगा क्योंकि इन दोनों देशों से आने वाले प्रवासियों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है और यहां पर ज़्यादातर पुरुष ही प्राइमरी वीज़ाधारी हैं.
न्यूयॉर्क से कुछ दूरी पर बसे न्यूजर्सी में एक छोटा सा इलाका मिनी भारत की तरह है.
इस शहर में पिछले कई दशकों से तकनीकी दक्षता रखने वाले भारतीय रह रहे हैं और वो भी एक अमरीकी सपने के साथ.
इन्हें नौकरी पर रखने वाली कंपनियों को भी इनसे काफ़ी फ़ायदा हुआ है क्योंकि भारतीय यहां के कारीगरों के मुकाबले कम सैलेरी पर काम करते हैं.
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ओबामा ने दी थी पार्टनर्स को इजाज़त
जब ओबामा सरकार ने प्राइमरी वीज़ा पर काम कर रहे लोगों के पार्टनर्स को काम करने की इजाज़त दी थी, तब भी कई गुटों ने विरोध किया था.
उस फ़ैसले को कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी.
लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति के विचारों को देखते हुए हो सकता है कि उस केस का कोई ख़ास महत्व नहीं रह जाएगा.
सेंटर फॉर इमिग्रेशन स्टडीज़ की संचार निदेशक माग्रेट टेलफ़ोर्ड कहती हैं, "वो अमरीकी लोगों को रोज़गार देना चाहते हैं. वो उनकी सैलेरी बढ़ाना चाहते हैं."
"अगर आप दूसरे देशों से कारीगर लाते रहेंगे तो इससे कंपनियों को फायदा होगा. उन्हें कम पैसों पर कारीगर मिलेंगे लेकिन अमरीका में रह रहे कारीगरों के लिए नुकसान है."
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भारत जैसे देशों में महिलाओं को सामाजिक दबाव के कारण कई बार अपनी नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
लेकिन अमरीका जैसा देश भी उन्हें काम करने से रोक देगा, ये मानना महिलाओं के लिए थोड़ा मुश्किल है.