ग्लोबल टाइम्स ने पीएम मोदी को बताया चीन में नेहरु से ज्यादा लोकप्रिय नेता, चुनाव पर बीजिंग की नजरें
बीजिंग। 11 अप्रैल से भारत में लोकसभा चुनावों का आगाज हो गया है। पूरी दुनिया की नजरें इन चुनावों पर लगी हुई हैं। पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक इस पर नजर रखें हैं कि 23 मई को देश में चुनावों का क्या नतीजा होता है। चीन भी भारत में हो रहे इन चुनावों की पल-पल जानकारी रखे हुए हैं। चीनी मीडिया की मानें तो इन चुनावों के नतीजों पर घरेलू कारकों का खासा प्रभाव रहेगा। चीनी मीडिया की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को इस समय कांग्रेस से खासी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया का कहना है कि इस समय यह कहना काफी मुश्किल है कि बीजेपी को पिछले चुनावों की ही तरह बहुमत हासिल होगा लेकिन अगर डिप्लोमैसी की बात करें तो पीएम मोदी ने भारत को पिछले पांच वर्षों में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नया आकर्षण दिलवाया है।
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उतार-चढ़ाव के बाद भी रिश्ते आगे बढ़े
चीन के सरकारी अखबार में भारत के चुनावों से जुड़ा एक आर्टिकल आया है। इस आर्टिकल को लोंग जिंगछुन ने लिखा है जो कि चारहार इंस्टीट्यूट के साथ सीनियर फेलों हैं और साथ ही सेंटर फॉर इंडियन स्टडीज के डायरेक्टर भी हैं। उन्होंने लिखा है कि चीनी सोसायटी जो कि भारत के मुद्दों में ज्यादा रूचि नहीं रखती है, मोदी की लोकप्रियता पंडित जवाहर लाल नेहरु समेत तमाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों से कहीं आगे निकल गई है। अखबार के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत और चीन के रिश्तों में काफी उतार-चढ़ाव रहा है, बावजूद इसके इनमें खासी तरक्की भी हुई है।
कैसे चीनी जनता से जुड़ गए पीएम मोदी
अखबार ने ध्यान दिलाया है कि साल 2014 में जब भारत में लोकसभा चुनाव हुए थे तो उस समय मोदी को चीनी मीडिया ने खासी तवज्जो दी थी। इसके बाद जब मोदी पीएमओ पहुंचे तो उन्होंने चीन की सोशल मीडिया पर अपना एकाउंट बनाया। यहां से उन्होंने चीनी जनता से सीधा कम्यूनिकेशन किया। मोदी की वजह से चीनी मीडिया ने भारत से जुड़ी अपनी कवरेज का और तरजीह देनी शुरू की। इसके अलावा अब चीनी सोसायटी की रूचि भी भारत में बढ़ रही है। अखबार के मुताबिक मोदी ने चीन के साथ भारत के रिश्तों को खासा महत्व दिया है।
जिनपिंग के साथ बेहतर रिश्ते
ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है कि सितंबर 2014 को चीनी राष्ट्रपति भारत की यात्रा पर गए थे। हालांकि मोदी अपने कार्यकाल में चीन का दौरा कर चुके हैं, इसके बाद भी वह कई सम्मेलनों जैसे साल 2016 को हांगझोउ में हुआ जी20 सम्मेलन, साल 2017 में हुई ब्रिक्स सम्मेलन, इसके बाद किंगदाओ में शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन समिट और फिर साल 2018 में भारत और चीन के बीच वुहान में हुआ एक अनौपचारिक सम्मेलन भी शामिल है। अखबार की मानें तो पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच व्यक्तिगत रिश्ते काफी बेहतर हैं। इन रिश्तों की वजह से द्विपक्षीय संबंधों में एक नई शुरुआत हुई है और विवादों को सुलझाने की पहल शुरू हुई है।
मोदी की वजह से बढ़ा व्यापार
अखबार ने इस बात का जिक्र भी किया है मोदी के प्रयासों की वजह से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2014 के 70 अरब डॉलर के मुकाबले 2018 में बढ़कर 95.54 अरब डॉलर तक पहुंच गया। दोनों देशों के लोगों के बीच परस्पर संपर्क भी बढ़ा है। उनके कार्यकाल में अमेरिका और जापान की आपत्ति के बावजूद भारत, एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक में शामिल हुआ, जो चीन की पहल पर शुरू हुआ है। आर्टिकल में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक विवाद और नए विरोधाभास हैं, लेकिन इसके मोदी सरकार, गुट निरपेक्ष नीति को अपनाए हुए है, इसके बावजूद कि अमेरिका ने उसे चीन पर काबू करने के लिए अपनी रणनीति में जोड़ने का प्रयास किया।
चीन के खिलाफ बयान देने से बचते मोदी
हालांकि ग्लोबल टाइम्स में लोंग ने उन समस्याओं की ओर इशारा भी किया है जिसे पीएम मोदी ने नजरअंदाज किया है। अखबार का कहना है कि भारत ने मसूद अहजर पर बैन के मामले में चीन विरोधी भावना को बढ़ने दिया जिससे दोनों देशों के रिश्तों को नुकसान हुआ। इसी तरह मोदी सरकार ने दलाई लामा को राष्ट्रपति भवन में इनवाइटकर और उन्हें अरुणाचल प्रदेश में जाने की इजाजत देकर एक तरह से 'तिब्बत कार्ड' खेला है। चीनी मीडिया ने साल 2017 में डोकलाम में भारत और चीन की सेना के बीच गतिरोध के मामले में भी मोदी सरकार की तारीफ की। लोंग ने लिखा कि हाल के भारत-पाक टकराव के मामलों के विपरीत पीएम मोदी ने इस मामले में सीधे रुचि ली और उस दौरान चीन के खिलाफ कोई शत्रुतापूर्ण बयान नहीं दिए। दोनों देशों के नेताओं के द्विपक्षीय रिश्ते की वजह से ही हालात सामान्य हो गए।
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