Helina Missile: आसमान से टैंकों को नेस्तनाबूद करेगा भारत का 'नाग', दुश्मन पर भारी पड़ेगी ये खासियत
Helicopter based Nag Missile Helina: नई दिल्ली। भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हो रही एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल हेलिना (हेलीकॉप्टर आधारित नाग मिसाइल) सेना में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है। राजस्थान के पोखरण पर्वतमाला पर पिछले दिन किए गए परीक्षणों में ये मिसाइल अपने लक्ष्य को भेदने में शत प्रतिशत सफल रही है। ये भारत की नाग प्रणाली पर आधारित मिसाइल है जिसे हल्के हेलीकॉप्टरों से दुश्मन पर निशाना साधने के लिए सेना में शामिल किया जाएगा।
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रक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक 7 किमी की दूरी तक लक्ष्य को निशाना बनाने वाली इस एंटी टैंक मिसाइल को पिछले पांच दिनों में परीक्षण किया गया था। 5 बार किए गए परीक्षण में इसने हर बार अपने टारगेट पर सटीक निशाना लगाया और उसे ध्वस्त कर दिया। अब यह एएलएच रूद्र और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के बेड़े में शामिल किए जाने के लिए तैयार है। इस मिसाइल का अंतिम परीक्षण शुक्रवार को किया गया था।
तीसरी
पीढ़ी
का
हथियार
हेलिना
मिसाइल
तीसरी
पीढ़ी
का
एंटी-टैंक
हथियार
है
जिसमें
अपने
लक्ष्य
को
सटीक
निशाना
बनाने
के
लिए
इंफ्रारेड
सेंसर
लगा
हुआ
है।
यहा
दागो
और
भूल
जाओ
प्रणाली
पर
आधारित
है
यानिक
इस
मिसाइल
को
एक
बार
निशाना
लगा
देने
के
बाद
यह
अपने
लक्ष्य
को
ढूढ़कर
खत्म
करती
है।
ये
मिसाइल
चीन
की
पीपल्स
लिबरेशन
आर्मी
की
वायर-गाइडेड
एचजे-8
या
हांगजियान-9
और
पाकिस्तान
द्वारा
विकसित
की
गई
लेजर
गाइडेड
मिसाइल
बर्क
को
टक्कर
देती
है।
भारतीय अपाचे लॉन्गबो हेलीकॉप्टर को जहां 10 किलोमीटर से अधिक दूरी तक लक्ष्य भेद सकने वाली हेलफायर मिसाइलों से लैस किया गया है वहीं हल्के हेलीकॉप्टर से लॉन्च की जाने वाली हेलिना मिसाइल बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में सक्षम है। इसमें आधुनिक प्रणाली लगी हुए है जिसके चलते यह दिन और रात कभी भी निशाना लगाने में सक्षम है।
ये
खासियत
दुश्मन
पर
भारी
दागो
और
भूल
जाओ
(फायर
एंड
फॉरगेट)
मोड
में
हमला
करने
बाद
यह
मिसाइल
रेंज
से
बाहर
होने
वाले
टैंक
को
भी
टॉरगेट
कर
सकती
है।
यह मिसालइ आर्मर्ड टैंक के साथ ही विस्फोटकों से सुरक्षा के लिए बनाए गए युद्धक टैंकों को भी नष्ट कर सकती है। यह मिसाइल हिट मोड और टॉप अटैक मोड, दोनों फॉरमैट में अपने लक्ष्य पर निशाना लगाकर उसे भेद सकती है। इस मिसाइल के भारतीय एयरफोर्स में शामिल होने और इसकी रॉकेट रेजीमेंट तैनात करने से पूर्वी लद्दाख में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सामने भारत की ताकत में इजाफा होगा। भारतीय वायुसेना में इसे ध्रुवास्त्र नाम से शामिल किया गया है।