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बारह बरस का बच्चा या ख़तरों से खेलने वाला खिलाड़ी

पिछले साल पढ़ाई की वजह से टियागो को पिता के अभयारण्य से दूर जाना पड़ा. वे इन दिनों गोइआनिया शहर में अपनी हाई स्कूलिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

टियागो को अपने जैगुआर दोस्त बहुत याद आते हैं.

वे बताते हैं, "मेरे लिए ये मुश्किल है. बहुत छोटी उम्र से उनके साथ रहा हूं. जब भी घर जाता हूं तो मुझे लगता है कि ये जैगुआर मुझे बहुत याद करते हैं. वे मेरे साथ खेलते हैं.

By BBC News हिन्दी
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टियागो और जैगुआर
Family handout
टियागो और जैगुआर

झील में एक बच्चा, उसे घेरे दो जैगुआर और एक जैगुआर तो उसे गले लगाता दिख रहा था, मानो कैमरे के लिए पोज़ दे रहा हो.

ये वो तस्वीर थी जो वायरल हो गई.

पहली नज़र में इसे फर्जी करार दिया गया लेकिन ऐसा नहीं था. टियागो का बचपन ऐसे ही गुजरा है.

इस बच्चे का नाम टियागो सिलवेइरा है और ब्राज़ील में जब से वो पैदा हुआ है, वो जैगुआर के साथ ही खेल-कूद कर बड़ा हुआ है.

बीबीसी की पुर्तगाली सेवा को टियागो ने बताया, "मेरे कुछ दोस्त हैं जो ये सोचते हैं कि ये तस्वीर फर्जी है."

"लेकिन ये कई लोगों को पसंद भी आया है और वे इन जैगुआर से मिलना भी चाहते हैं. अपने अनुभव दूसरे लोगों के साथ शेयर करने में मुझे खुशी होगी."

टियागो और जैगुआर
Family handout
टियागो और जैगुआर

सोशल मीडिया पर टियागो की तस्वीर

टियागो के माता-पिता अनाह जैकोमो और लियानार्डो सिलवेइरा पेशे से बॉयोलॉजिस्ट हैं और ब्राज़ील के जैगुआर इंस्टीट्यूट के लिए काम करते हैं.

उनकी स्टडी का मक़सद अमरीकी महाद्वीप में जैगुआर का संरक्षण करना है. सोशल मीडिया पर टियागो की तस्वीर लियानार्डो सिलवेइरा ने ही पोस्ट की थी.

वो बताते हैं, "मेरे बेटे का जन्म जैगुआर के बीच ही हुआ है. जब वो बहुत छोटा था, तभी से उसने उनके साथ जीना सीख लिया था. बेशक हमनें उस पर बंदिशें भी लगाई हैं."

"लेकिन उसे पता है कि इनके साथ कैसा बर्ताव किया जाता है. उसके लिए ये बहुत नैचुरल है. ये सब टियागो की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है. इसमें कुछ भी अजीब नहीं."

जब टियागो का जन्म हुआ था तो अनाह जैकोमो और लियानार्डो सिलवेइरा पहले से ही जैगुआर के तीन बच्चों की देखभाल कर रहे थे.

टियागो और जैगुआर
Family album
टियागो और जैगुआर

जैगुआर से सामना होने पर...

अनाह जैकोमो और लियानार्डो सिलवेइरा लगातार सफ़र में रहते थे और चार बच्चों को दूध पिलाने के लिए रुका करते थे.

उनका ये कारवां एक पिक-अप ट्रक में इकट्ठे चला करता था. टियागो को इस बात का गर्व है कि वो इन बड़ी बिल्लियों के साथ बड़ा हुआ है.

टियागो बताते हैं, "ये प्यार और आदर का रिश्ता है. जानवरों की देखभाल के काम में मम्मी-पापा की मदद करके मुझे हमेशा ही खुशी मिली है."

टियागो के पिता लियानार्डो सिलवेइरा ने अपने बेटे को वो बातें सिखलाई हैं जो वो दूसरे लोगों को हमेशा से बताते रहे हैं कि जैगुआर से सामना होने पर क्या किया जाना चाहिए.

वे बताते हैं, ये जानवर इंसानों का शिकार नहीं करते. वे बस हमारी हरकतों पर प्रतिक्रिया जताते हैं. इसलिए उन्हें इज़्ज़त देना बेहद अहम है.

उनके शरीर की भाषा ये बतला देती है कि आपका क़रीब आना, उन्हें पसंद है या नहीं.

टियागो और जैगुआर
Family handout
टियागो और जैगुआर

एक ही कैम्पस में जैगुआर के साथ रिहाइश

लियानार्डो सिलवेइरा कहते हैं, "यहां अपनी हदों को समझना ज़रूरी हो जाता है. जब जैगुआर नजदीक आना चाहेंगे, वे खुद चले आएंगे. वे सामाजिक जानवर नहीं हैं लेकिन इंसानों के साथ वे उम्र भर के लिए रिश्ता बना लेते हैं."

टियागो की मम्मी बताती हैं कि उनके बेटे और जैगुआर के बीच कभी कोई हादसा नहीं हुआ है लेकिन वे ये भी जोर देकर कहती हैं कि उन्होंने टियागो को कभी भी जैगुआर के साथ अकेले भी नहीं छोड़ा है.

"हम हमेशा ही सर्तक रहे हैं. न केवल जैगुआर के साथ बल्कि दूसरे जानवरों के साथ भी हम सतर्क रहते हैं. सुरक्षा को लेकर हमारे नियम स्पष्ट हैं.

अनाह जैकोमो और लियानार्डो सिलवेइरा की ये रिहाइशगाह 123 एकड़ में फैला है और यहां उनके साथ जैगुआर भी रहते हैं. इसके भीतर न तो किसी जानवर को आने की इजाजत है और न ही यहां से बाहर जाना आसान है.

जैगुआर इंस्टीट्यूट की स्थापना उन्होंने साल 2002 में की थी. शुरुआत में इसका मक़सद केवल जैगुआर की स्टडी करना था लेकिन बाद में ब्राजील में पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों के लिए काम करने वाली सरकारी एजेंसी के कहने पर उन्होंने अपना मन बदल लिया और यहां अनाथ शावकों की भी परवरिश की जाने लगी.

टियागो और जैगुआर
Family album
टियागो और जैगुआर

जानवरों की ब्रीडिंग का काम

आज कल इस अभयारण्य के आधे से ज़्यादा हिस्से में इन जानवरों की ब्रीडिंग का काम किया जाता है.

लियानार्डो सिलवेइरा बताते हैं कि अभयारण्य का 95 फ़ीसदी खर्च वे लोग खुद उठा रहे हैं जबकि बाक़ी पैसा अनुदान से मिलता है.

"हमें कमाई के लिए अपने रास्ते खुद तलाशने होते हैं क्योंकि इसके लिए हमें कभी कोई सरकारी मदद नहीं मिली है."

इस समय सिलवेइरा परिवार 14 जैगुआर की देखभाल कर रहा है, इसमें चार शावक हैं और बाक़ी वयस्क हैं.

पिछले एक दशक में इस परिवार ने 35 जानवरों की देखभाल की है. प्रजनन और संरक्षण के लिए जैगुआर यहां से अन्य एजेंसियों के पास भेज दिए जाते हैं.

टियागो और जैगुआर
Family handout
टियागो और जैगुआर

जैगुआर की आबादी

जैगुआर दुनिया के लुप्त हो रहे जीवों में से एक है. हालांकि दुनिया के 21 देशों में ये पाए जाते हैं.

माना जाता है कि दुनिया में तकरीबन 20 से 30 हज़ार जैगुआर होंगे और इनमें से आधे ब्राज़ील में पाए जाते हैं.

सिलवेइरा परिवार के पास लाए जाने वाले जैगुआर जंगल में कभी नहीं छोड़े जाते हैं. इसकी वजह ये है कि किसान अपनी फसल बचाने के लिए इन्हें मार न दें.

एक वजह ये भी है कि इंसानों के साथ ये जैगुआर लगातार संपर्क में रहते हैं.

जैकोमो कहती हैं, "इंसानों के साथ रिश्ता ख़त्म करना जैगुआर के लिए आसान नहीं होता."

"अगर ये छोड़ दिए गए तो इंसानों की तलाश में वे इधर-उधर भटकते रहेंगे और मारे जाएंगे."

टियागो और जैगुआर
Family handout
टियागो और जैगुआर

पिछले साल पढ़ाई की वजह से टियागो को पिता के अभयारण्य से दूर जाना पड़ा. वे इन दिनों गोइआनिया शहर में अपनी हाई स्कूलिंग की पढ़ाई कर रहे हैं.

टियागो को अपने जैगुआर दोस्त बहुत याद आते हैं.

वे बताते हैं, "मेरे लिए ये मुश्किल है. बहुत छोटी उम्र से उनके साथ रहा हूं. जब भी घर जाता हूं तो मुझे लगता है कि ये जैगुआर मुझे बहुत याद करते हैं. वे मेरे साथ खेलते हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई वो मशहूर तस्वीर इसी 15 नवंबर को ली गई थी. टियागो भी अपने मम्मी-पापा की तरह बॉयोलॉजी पढ़ना चाहते हैं.

BBC Hindi
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English summary
He is either 12 years boy or player of dangerous
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