ब्रिटेन के लोग बोले-चीन के प्रॉडक्ट्स को किया जाए बैन, लोकल उत्पाद पर दे रहे जोर
लंदन। सिर्फ भारत में ही चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की मांग उठ रही है, ऐसा नहीं है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस महामारी के चलते नागरिकों में चीन के खिलाफ नाराजगी बढ़ रही है। अब इसी नाराजगी की वजह से यहां पर आधी से ज्यादा जनता मानने लगी है कि उन्हें चीन के सामानों का प्रयोग बंद कर देना चाहिए। एक सर्वे के नतीजे तो यही कहते हैं कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से ब्रिटेन के नागरिकों में चीन को लेकर खासी नाराजगी है। इस गुस्से के चलते ही वह चीनी सामान का प्रयोग नहीं करना चाहते हैं।
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कोरोना ने ली 40,261 लोगों की जान
रेडफील्ड एंड विल्टन सर्वे के नतीजों को ब्रिटेन के अखबार डेली मेल ने प्रमुखता से जगह दी है। इस एजेंसी ने अखबार की तरफ से ही सर्वे को अंजाम दिया था। इस सर्वे के मुताबिक नागरिकों में इस बात को लेकर खासी चिंता है कि उनका देश कई उत्पादों के लिए चीन पर बहुत हद तक निर्भर है। साथ ही नागरिक इस बात को लेकर भी खासे नाराज है कि चीन कोरोना वायरस को रोक सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। यूके में कोरोना वायरस की वजह से 283,311 लोग संक्रमित हुए और 40,261 लोगों की मौत महामारी से हुई। कोरोना वायरस महामारी दिसंबर 2019 में चीन के शहर वुहान से निकली थी।
चीनी उत्पादों का बहिष्कार
सर्वे में शामिल 16 प्रतिशत लोगों ने कहा है कि महामारी के बाद से वह हमेशा ही चीनी उत्पादों का बहिष्कार करते आ रही हैं। जबकि 33 प्रतिशत लोग कहीं न कहीं इस नियम को मानने लगे हैं। हालांकि 51 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अभी तो वह ऐसा नहीं कर रहे हैं लेकिन आने वाले समय में ऐसा करेंगे। 10 में से सात लोग ऐसे थे जो मान रहे थे कि अगर प्रॉडक्ट चीन की जगह यूके में बना होगा तो वह उसके लिए भारी रकम तक खर्च करने को तैयार हैं।
जॉनसन ने की नागरिकता की पेशकश
पिछले दिनों ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने हांगकांग में नेशनल सिक्योरिटी लॉ लागू करने पर चीन को फटकारा था। उनका कहना था कि यह कानून चीन और ब्रिटेन के बीच साइन हुए उस घोषणा पत्र को कमजोर करता है जिसके तहत हांगकांग के साल 1997 में चीन को वापस सौंपा गया था। उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन हांगकांग के तीन लाख लोगों को नागरिकता देने के लिए तैयार है अगर इस कानून को देश में लागू किया गया।