अमेरिका: चार भारतीय अमेरिकी H1B वीजा धोखाधड़ी में गिरफ्तार, जुर्माने पर हुए रिहा
वॉशिंगटन। अमेरिका में चार भारतीय-अमेरिकी आईटी प्रोफेशनल्स को एच1बी वीजा प्रोग्राम में हेराफेरी करने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। इन चारों पर आरोप है कि इन्होंने एच1बी वीजा प्रोग्राम की आड़ में लोगों के साथ धोखा किया है। अमेरिकी अटॉर्नी की ओर से यह बात कही गई है। एच1बी वीजा प्रोग्राम अमेरिकी कंपनियों को ऐसे गैर-अमेरिकी नागरिकों को रोजगार देने की मंजूरी देता है जिनके पास तकनीकी ज्ञान होता है।
कौन हैं चारों आरोपी और क्या है था दोष
न्यू जर्सी के 39 साल के विजय माने, 47 वर्षीय वेंकटरमन्ना मन्नाम, 53 साल के फर्नांडो सिल्वा कैलिफोर्निया के रहने वाले 52 साल के सतीश वेमुरी को एक व्यक्ति की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया है। अमेरिकी न्याय विभाग की ओर से बताया गया है कि इन्हें वीजा धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया है। वेमुरी एक जुलाई को पहली बार नेवार्क फेडरल कोर्ट में अमेरिकी मजिस्ट्रेट जज स्टीवन सी मैनियॉन के सामने पेश हुए। वहीं, सिल्वा को लेडी डुन वेट्टेरे सामने 25 जून को पेश किया गया था। माने, 27 जून को वेट्टेरे के सामने पेश हुए। इन सभी को 250,000 डॉलर के बॉन्ड के बाद रिहा कर दिया गया है।
कम से कम पांच वर्ष की सजा का नियम
अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोपों पर कम से कम पांच वर्ष की जेल की सजा और 250,000 डॉलर का जुर्माना अदा करना पड़ता है। डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस की ओर से बताया गया है कि माने, मन्नाम और वेमुरी दो आईटी कंपनियों-प्रोक्योर प्रोफेशनल्स इंक और क्रिप्टो सोल्यूशंस चलाते थे। दोनों कंपनियां न्यू जर्सी के मिडिलसेक्स काउंटी में थीं। इसी तरह से सिल्वा और मन्नाम भी न्यू जर्सी स्टाफिंग कंपनियों को चला रहे थे। शिकायतकर्ता ने सिल्वा की कंपनी को 'क्लाइंट ए' के तौर पर बताया है। इन्होंने प्रोक्योर और क्रिप्टो का प्रयोग विदेशी नागरिकों को रोजगार देने और एच1बी वीजा के लिए स्पॉन्सर करने के लिए करते थे।