पाकिस्तान: बंटवारे के बाद पहली बार खुला गुरुद्वारा चोवा साहिब, मत्था टेक रो दिए सिख श्रद्धालु
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पंजाब स्थित गुरुद्वारे चोला साहिब को शुक्रवार (2 अगस्त) को 72 साल बाद फिर से खोला गया है। झेलम जिले में स्थित ये गुरुद्वारा 1947 से बंद था। बंटवारे से पहले यहां अच्छी खासी सिख आबादी थी लेकिन 1947 में सिख भारत आ गए और ये गुरुद्वारा बंद कर दिया गया। तब से गुरुद्वारा बंद था। शुक्रवार को पाकिस्तान के साथ-साथ भारत के सिख श्रद्धालुओं के लिए भी गुरुद्वारे के दरवाजे खोल दिए गए।
72 साल बाद हुई अरदास
शुक्रवार को गुरुद्वारे में अरदास और कीर्तन हुआ। काफी तादाद में पहुंचे सिखों ने यहां मत्था टेका। इस दौरान बहुत से सिख जायरीन भावुक दिखे। ऐतिहासिक गुरुद्वारा चोवा साहिब को नवंबर में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के मद्देनजर खोला गया है। यहां भारत समेत दुनिया भर के सिख श्रद्धालु जा सकेंगे।
कराया जाएगा गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थानों की देखरेख करने वाले इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. आमेर अहमद और पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष सरदार सतवंत सिंह की मौजूदगी में गुरुद्वारे के दरवाजे खोले गए।
इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि गुरुद्वारा चोवा साहिब दरवाजा दर्शन के लिए खोला गया है। जहां भारत समेत दुनिया भर के सिख समुदाय आ सकते हैं। साथ ही बताया कि गुरुद्वारा की मरम्मत का काम चल रहा है और जल्दी ही इसमें तेजी लाई जाएगी।
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महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था निर्माण
पंजाब के झेलम शहर में रोहतास किले के उत्तरी किनारे पर स्थित गुरुद्वारा चोवा साहिब को महाराजा रणजीत सिंह ने 1834 में बनवाया था। बताया जाता है कि गुरु नानकजी और भाई मर्दाना भी यहां ठहरे थे। गुरु नानक पास के तिल्ला जोगियन मंदिरों से लौट रहे थे और इसी स्थान पर रुके थे। तब यहां पानी की बड़ी किल्लत थी। प्यास लगने पर उन्होंने अपनी बेंत से एक पत्थर को हटाया तो पानी का झरना (चोवा) निकला। इसीलिए इसे चोवा साहिब कहा जाता है।