अमेरिका के बाद अब ग्वाटेमाला ने जेरूशलम में खोला अपना दूतावास
अमेरिका के बाद अब ग्वाटेमाला ने भी जरूशलम में अपना दूतावास खोल लिया है। ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिमी मोराल्स मंगलवार को इजरायल पहुंचे और यहां पर उन्होंने दूतावास की ओपनिंग सेरेमनी में हिस्सा लिया। सिर्फ दो दिन पहले ही अमेरिका ने तेल अवीव से जेरूशलम में अपना दूतावास शिफ्ट किया है।
जेरूशलम। अमेरिका के बाद अब ग्वाटेमाला ने भी जरूशलम में अपना दूतावास खोल लिया है। ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिमी मोराल्स मंगलवार को इजरायल पहुंचे और यहां पर उन्होंने दूतावास की ओपनिंग सेरेमनी में हिस्सा लिया। सिर्फ दो दिन पहले ही अमेरिका ने तेल अवीव से जेरूशलम में अपना दूतावास शिफ्ट किया है। अमेरिका के इस कदम के बाद से गाजा पट्टी पर हिंसा का दौर जारी है और अब तक 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
70 वर्ष की दोस्ती और एक एतिहासिक दिन
ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिमी मोराल्स और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू दोनों ही बुधवार को दूतावास की ओपनिंग सेरेमनी में मौजूद थे। ग्वाटेमाला का दूतावास साउथ जेरूशलम के मल्हा टेक्नोलॉजी पार्क में स्थित है। माना जा रहा है कि इसके बाद ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति ने इजरायली पीएम नेतन्याहू से उनके आधिकारिक निवास पर मुलाकात की है। दूतावास के उद्घाटन के समय मोराल्स ने कहा, ' इजरायल देशों के लिए एक प्रकाश कर तरह है।' इस बयान के साथ ही उन्होंने इजरायल और ग्वाटेमाला के करीबी रिश्तों पर भी रोशनी डाली। मोराल्स ने कहा, 'आज का दिन इजरायल-ग्वाटेमाला की दोस्ती की शुरुआत में एक एतिहासिक दिन है।' मोराल्स ने आगे कहा, 'हम दोनों भाई हैं। ग्वाटेमाला और इजरायल के बीच 70 साल की साझेदारी है। इजरायल आकर बिल्कुल घर जैसी फीलिंग होती है।'
जेरूशलम में दूसरा दूतावास
मोराल्स ने कहा कि इजरायल की आने वाली नस्लें और बच्चे हमेशा इस बात को याद रखेंगे कि एक बहादुर देश ने आपके लिए बहादुरी का काम किया क्योंकि आप हमारे दिल में एक खास जगह रखते हैं। वहीं इजरायली पीएम नेतन्याहू ने दूतावास की ओपनिंग के साथ ही ग्वाटेमाला दूसरा ऐसा देश बन गया है जिसने इजरायल के अस्तित्व को पहचाना है लेकिन ग्वाटेमाला का रोल इजरायल को पहचान दिलाने में काफी अहम रहा है। नेतन्याहू ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि यूनाइटेड नेशंस में इस देश के राजदूत जॉर्ज ग्रैंडोस ने बंटवारे से जुड़े प्रस्ताव के लिए कई देशों को एक साथ लाने में अहम भूमिका अदा की थी। इसकी वजह से यूनाइटेड नेशंस की ओर से इजरायल को मान्यता मिल सकी थी।