कोविड-19 के मरीजों पर इन दवाओं का होगा परीक्षण, वायरस का प्रभाव कम करने का दावा
नई दिल्ली। ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (GlaxoSmithKline) कंपनी इस महीने के अंत में कोविड-19 से संबंधित निमोनिया से पीड़ित रोगियों पर एक प्रयोगात्मक दवा का परीक्षण शुरू करेगी। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, जीएसके को इस बात का पता चला है कि ओटिलिमैब (otilimab) दवा संभवतः फेफड़ों पर वायरस के विनाशकारी प्रभाव को कम कर सकती है लेकिन इसे सीधे ठीक नहीं कर सकती। इस दवा पर जीएसके ने साल 2013 में जर्मन बायोटेक कंपनी मॉर्फोसिस (Morphosys) से अधिकार हासिल किया था।
कंपनी ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में संभावित अपनी दवाओं की जांच के बाद ये फैसला लिया है। ClinicalTrials.gov वेबसाइट के अनुसार, अध्ययन के लिए करीब 800 रोगियों को ओटिलिमैब या प्लेसबो दी जाएंगी। प्रारंभिक परिणाम 2020 के अंत तक आने की उम्मीद है। माना जाता है कि गंभीर लक्षणों वाले मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली में परेशानी होती है। जीएसके का उद्देश्य यह दिखाना है कि उसकी दवा इस परेशानी से लड़ने में मदद कर सकती है।
इसके अलावा जीएसके की प्रतिद्वंदी कंपनी AstraZeneca भी ऐसा ही कुछ करने की कोशिश में है। ये कंपनी गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 रोगियों पर अपनी ब्लड कैंसर की दवा Calquence के इस्तेमाल की कोशिश कर रही है। साथ ही ये कंपनी भी प्रतिरक्षा प्रणाली में अपनी दवाई के जरिए सुधार की कोशिश कर रही है। अप्रैल में ही जीएसके ने कोविड-19 के लिए संभावित एंटीबॉडी उपचार विकसित करने के लिए एक सहयोग समझौते के तहत Vir Biotechnology कंपनी में 250 मिलियन डॉलर का निवेश किया है।
बता दें पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से जूझ रही है। दुनियाभर में इसके मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। दुनियाभर में अब तक कोरोना से 38 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं तो वहीं अब तक 2.70 लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई है। अमेरिका इस वायरस से दुनिया का सबसे प्रभावित देश है। वहीं कई यूरोपीय देशों में भी वायरस के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है।
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