अफ़ग़ानिस्तान: शादी मंडप में 63 लोगों की हत्या पर दूल्हे की आपबीती
शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान के काबुल में एक शादी समारोह में हुए आत्मघाती हमले के बाद दूल्हे ने कहा है कि इस जानलेवा हमले के बाद उनकी सारी उम्मीदें ख़त्म हो गई हैं.
टोलो न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में मीरवाइज़ इल्मी ने कहा कि हमले में वो किसी तरह बच गए लेकिन जो 63 लोग मारे गए उनमें उनके भाई और कई रिश्तेदार शामिल हैं.
शनिवार को अफ़ग़ानिस्तान के काबुल में एक शादी समारोह में हुए आत्मघाती हमले के बाद दूल्हे ने कहा है कि इस जानलेवा हमले के बाद उनकी सारी उम्मीदें ख़त्म हो गई हैं.
टोलो न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में मीरवाइज़ इल्मी ने कहा कि हमले में वो किसी तरह बच गए लेकिन जो 63 लोग मारे गए उनमें उनके भाई और कई रिश्तेदार शामिल हैं.
इस हमले में क़रीब 180 लोग ज़ख़्मी हुए हैं. हमले की ज़िम्मेदारी चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट ने ली है.
देश के राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने इसे "बर्बर" हमला कहा है और तालिबान पर आरोप लगाया है कि वो "चरमपंथियों को मंच दे रहा है."
इधर अमरीका के साथ शांति वार्ता कर रहे तालिबान ने इस हमले की आलोचना की है.
मीरवाइज़ इल्मी ने इंटरव्यू में बताया कि शादी के दिन वो ख़ुश थे और उनसे मिलने आए नाते-रिश्तेदारों से मुलाक़ात कर रहे थे. शादी का हॉल खचाखच भरा था लेकिन कुछ ही घंटों में वहां लाशों का ढेर लग गया.
उन्होंने कहा, "मेरा परिवार और दुल्हन अभी भी सदमे में हैं. वो बात करने की स्थिति में नहीं हैं. मेरी दुल्हन रह-रह कर बेहोश हो जाती है."
"मेरी सारी उम्मीदें ही टूट गई हैं. मैंने अपना भाई खो दिया. कुछ ही घंटों के भीतर मेरे दोस्तों और मेरे कई रिश्तेदारों की मौत हो गई. मैं ज़िदगी में फिर कभी ख़ुश नहीं हो पाऊंगा."
"अब मेरी हिम्मत नहीं कि मैं जनाजों में जा सकूं. मैं ख़ुद काफ़ी थका महसूस कर रहा हूं. मैं जानता हूं कि हम अफ़ग़ानों के लिए ये दर्द आख़िरी नहीं है. हमें अभी और भी दुख देखना है."
दुल्हन के पिता ने मीडिया को बताया है कि शनिवार को हुए हमले में उनके परिवार के 14 लोगों की मौत हुई है.
क्या हुआ था शादी के दिन?
इस्लामिक स्टेट ने एक बयान जारी कर कहा है उनके एक लड़ाके ने एक जगह पर बड़ी संख्या में इकट्ठा लोगों के बीच ख़ुद को उड़ा लिया. इसके बाद जब आपात सेवाएं पहुंचीं तो "विस्फोटकों से भरी गाड़ी ले जाकर वहां पर धमाका किया."
ये धमाका जिस ज़िले में हुआ वहां बहुसंख्यक शिया मुसलमान रहते हैं.
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबान और इस्लामिक स्टेट के सुन्नी मुसलमान लड़ाके, अल्पसंख्यक शिया हज़रा मुसलमानों पर हमले कर रहे हैं.
शादी में शामिल हुए एक मेहमान 23 साल के मुनीर अहमद फ़िलहाल अस्पताल में हैं. वो कहते हैं कि उनके रिश्ते के एक भाई इस हमले में मारे गए हैं.
समाचार एजेंसी एएफ़पी ने को उन्होंने बताया, "जिस वक़्त धमाका हुआ उस वक़्त शादी में आए लोग नाच रहे थे और ख़ुशियां मना रहे थे."
"धमाके के बाद वहां पर अफ़रातफ़री मच गई. हर तरफ़ से चीखने और रोने की आवाज़ें आ रही थीं. लोग अपनों को खोज रहे थे."
अफ़ग़ानिस्तान में अक्सर शादियां बड़े हॉल में होती हैं जहां पुरुष मेहमानों और महिला मेहमानों के लिए अलग-अलग बैठने की जगहें होती हैं.
धमाके के बाद प्रतिक्रिया
राष्ट्रपति अशरफ़ गनी ने कहा उन्होंने "सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने और सुरक्षा में चूक से बचने के लिए" एक बैठक बुलाई है.
वहीं अफ़ग़ानिस्तान के चीफ़ एग्ज़ेक्युटिव अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इस हमले को "मानवता के ख़िलाफ़ अपराध" बताया है और अफ़गानिस्तान के लिए अमरीकी दूत जॉन बास ने इसे "अवसादग्रस्त होने का नतीजा" बताया है.
For those who are wounded, I pray for your speedy recovery. I have ordered the relevant authorities to urgently assist in managing the wounded. In response to this targeted attack I have called an extraordinary security meeting to review and prevent such security lapses.
— Ashraf Ghani (@ashrafghani) 18 August 2019
तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा कि "वो कड़े शब्दों में इस हमले की निंदा करते हैं."
मीडिया में जारी किए गए एक बयान में ज़बिउल्ला मुजाहिद ने कहा, "जानबूझकर महिलाओं ओर बच्चों को निशाना बना कर किए गए बर्बर हमले के बारे में कोई सफ़ाई स्वीकार नहीं की जा सकती."
कितनी आगे बढ़ी अफ़ग़ान शांति वार्ता?
बीते कुछ वक़्त से क़तर की राजधानी दोहा में अमरीकी प्रतिनिधियों के साथ तालिबान के प्रतिनिधियों की शांति वार्ता जारी है. दोनों पक्षों का कहना है कि बातचीत सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रही है.
रविवार को अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने न्यूजर्सी में संवाददाताओं से कहा कि बातचीत अच्छी चल रही है.
उन्होंने कहा, "तालिबान के साथ हमारी बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है. अफ़ग़ान सरकार के साथ भी हमारी बातचीत सकारात्मक रही है."
नेटो मिशन के तहत अमरीका के क़रीब 14 हज़ार सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में तैनात हैं. ट्रंप लगातार कहते रहे हैं कि वो अफ़ग़ानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाएंगे.
इस सौदे के अनुसार अमरीका चरणबद्ध तरीक़े से अपने सैनिकों को वापिस बुलाएगा, लेकिन तालिबान को सुनिश्चित करना होगा कि वो अमरीकी ठिकानों पर हमले के लिए चरमपंथी समूहों को अफ़ग़ानिस्तान की सरज़मीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा.
इधर अफ़ग़ानिस्तान में शांति की बहाली के लिए तालिबान अफ़ग़ान सरकार से चर्चा करेगा और एक रूपरेखा तैयार करेगा.
फ़िलहाल विद्रोही समूह अफ़ग़ान सरकार के साथ उस वक़्त तक बातचीत करने से इनकार कर रहे हैं, जब तक अमरीकी सैनिकों को वापस भेजने की रूपरेखा पर सहमति नहीं बन जाती.
साल 2001 में सत्ता से बाहर जाने के बाद, अफ़ग़ानिस्तान में आज पहले से अधिक इलाक़ों पर तालिबान का क़ब्ज़ा है.