1 जून से स्कूल खोलने पर अड़ी सरकार, शिक्षक संघों ने कहा- खतरे से खेलना चाहते हैं पीएम जॉनसन
ब्रिटेन में 1 जून से स्कूल खोलने के सवाल पर जॉनसन सरकार और शिक्षक संघों के बीच ठन गयी है। शिक्षक संघों का कहना है कि जब तक कोरोना का संक्रमण जारी है तब तक बच्चों को स्कूल में लाना खतरनाक होगा। ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन नें भी शिक्षक संघों का समर्थन किया है और कहा है कि अभी स्कूल खोलना सुरक्षित नहीं है। जब कि सरकार 1 जून से स्कूल खोलने पर अड़ी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने भी जॉनसन सरकार के फैसले पर सहमति जतायी है।
मौत की दर में कमी
ब्रिटेन में लॉकडाउन लागू लागू होने के बाद 20 मार्च से स्कूल बंद हैं। ब्रिटेन में कोरोना से रोजाना मौत का अंकड़ा अब बहुत कम हो रहा है। 16 मई को 24 घंटे में 468 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी। 19 मई को रोजाना मौत का यह आंकड़ा घट कर 166 पर आ गया। लॉक डाउन के बाद एक दिन में मौत का यह सबसे कम आंकड़ा है। इसलिए अब सरकार पहली से लेकर छठी क्लास तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल खोलने जा रही है। ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा है कि कोरोना से संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या बहुत ही कम है। सरकार यह मान कर चल रही है कि बच्चों में कोरोना पोजिटिव होने का खतरा कम होता है इसलिए स्कूल खोलने में कोई दिक्कत नहीं है। ब्रिटेन के शिक्षा मंत्री ने गेविन विलियम्सन के मुताबिक, बच्चे छोटे ग्रुप में स्कूल आएंगे, क्लास में कम बच्चे रहेंगे, हाइजिन का ख्याल रखेंगे और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे।
कब तक बंद रखें स्कूल !
स्कूल कब खुलना चाहिए ? क्या कोरोना की वैक्सीन आने तक स्कूल को बंद रखा जाए ? अगर कोरोना की वैक्सीन नहीं आयी तो क्या तब तक स्कूल को बंद रखा जाए ? चिल्ड्रेंस कमिश्नर फॉर इंग्लैंड, एनी लौंगफील्ड का कहना है कि हम कोरोना वैक्सीन के आने तक स्कूल को बंद रखना स्वीकर नहीं कर सकते। मौत के आंकड़ों में हो रही कमी के देख कर अब आगे बढ़ना चाहिए। ब्रिटिश सरकार ने प्राइमरी स्कूलों के लिए एक प्लानिंग गाइड जारी किया है। इसमें 20 पन्नों का एक सेफ्टी चेकलिस्ट है जिसका शिक्षकों को स्कूल आने के लिए पालन करना है। दूसरी तरफ ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष चांद नागपॉल का कहना है कि हम कोरोना के दूसरे हमले का जोखिम नहीं उठा सकते या कोई ऐसा काम नहीं कर सकते जिससे कि वायरस का फिर से फैलाव हो। विशेष रूप से तब तो बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए जब हम पूरे ब्रिटेन में संक्रमण के फैलाव की मौजूदा दर को देख रहे हैं।
वे सवाल जिनके जवाब नहीं मिले
स्कूल खोले या न खोले के सवाल पर जब विवाद बढ़ गया तो सरकारी वैज्ञानिक सलाहकारों, शिक्षक संघ को प्रतिनिधियों और शिक्षा अधिकारियों की एक विशेष बैठक हुई। इस बैठक में सुरक्षा उपायों के साथ स्कूल खोलने पर सहमति बन गयी लेकिन शिक्षक संघ सरकार के फैसले से असंतुष्ट रहा। शिक्षकों ने कहा कि बैठक में सरकार ने उनके सभी सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दिया। बैठक के बाद सरकारी प्रवक्ता अपनी प्रेस ब्रिफिंग में जवाब से अधिक सवाल छोड़ गये। शिक्षकों ने कहा कि बच्चों में कोरोना का संक्रमण कम होता है, सरकार इस तथ्य का कोई प्रमाणिक दस्तावेज नहीं दे सकी। सरकार स्कूल खोल कर खतरे से खेलना चाहती है।
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यूरोप के 22 देशों में स्कूल खुले
ब्रिटेन की सरकार का तर्क है कि यूरोपीय यूनियन के 22 देशों में स्कूल दोबारा खुल चुके हैं तो इंग्लैंड में भी ऐसा किया जाना चाहिए। पुर्तगाल में बच्चे स्कूल आ रहे हैं। गेट पर उनकी थर्मल स्क्रीनिंग होती है। स्कूल में दाखिल होने के बाद एक कर्मचारी उनके हाथों सेनेटाइजर जेल देकर सुरक्षित बनाता है। सभी बच्चों को मास्क लगा कर स्कूल पहुंचना है। कक्षा में बैठने का इंतजाम शारीरिक दूरी को ध्यान में रख कर किया गया है। ऑस्ट्रिया के स्कूल में भी बच्चे मास्क लगा कर आ रहे हैं। स्कूल के गेट पर लगे एक डिस्पेंसर से हैंड जेल लेकर वे कक्षा में जा रहे हैं। जर्मनी में अभी बड़े बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं। एक्जामिनेशन हॉल में दो -दो मीटर की दूरी पर बेंच-कुर्सियां लगायी गयी हैं। बेल्जियम के सीनियर क्लास के बच्चे फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पढ़ाई कर रहे हैं। कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना वायरस किसी न किसी रूप में लंबे समय तक प्रभावित करेगा। लेकिन इसके चलते पढ़ाई को ठप नहीं किया जा सकता। यूरोप के अन्य देशों की तरह इंग्लैंड भी अब स्कूलों में पढ़ाई शुरू करना चाहता है।
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स्कूल खुलने के खतरे भी
दक्षिण कोरिया के बारे में यह मान्यता है कि उसने कोरोना के खिलाफ सबसे कारगार लड़ाई लड़ी। चीन से नजदीक होने के बाद भी वहां संक्रमण के अनुपात में मौत की दर बहुत कम रही। लेकिन लॉकडाउन में ढील के बाद यहां एक बार फिर संक्रमण बढ़ने लगा है। 9 मई को दक्षिण कोरिया में कोरोना के 54 नये मरीज मिले। इसके बाद जिम, बार, होटल, मॉल फिर बंद कर दिये गये। 13 मई से दोबारा स्कूल खुलने वाले थे लेकिन सरकार ने स्कूल खुलने की मियाद एक हफ्ता और बढ़ा दी। वैज्ञानिकों को कहना है लॉकडाउन में ढील देने की जल्दबाजी से मामला बिगड़ सकता है। चीन में भी आनन-फानन में लॉकडाउन हटा लिया गया था लेकिन अब वहां कोरोना का दोबारा प्रकोप शुरू हो गया है। अभी तक वहां 21 नये मामले सामने आ चुके हैं जिनमें 13 बिना लक्षणों वाले हैं। अब अगर कोरोना बिना लक्षणों के प्रगट होगा तो स्थिति और भयावह हो जाएगी।