गोटाबाया राजपक्षे ने श्रीलंका का राष्ट्रपति चुनाव जीता, पीएम मोदी ने दी बधाई
नई दिल्ली। श्रीलंका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रविवार को जारी मतों की गणना में पूर्व रक्षा सचिव गोटाबाया राजपक्षे ने जीत दर्ज कर ली। यह दावा किया है गोटाबाया राजपक्षे के प्रवक्ता ने। शुरुआती रुझान के बाद ही राजपक्षे के प्रवक्ता ने घोषणा कर दी कि गोटाबाया जीत गये हैं। हालांकि, अभी मतगणना जारी है और चुनाव आयोग ने कहा है कि देर रात तक अंतिम परिणाम की घोषणा हो पायेगी। बता दें कि राजपक्षे का झुकाव चीन की तरफ बताया जाता है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने पर गोटबाया राजपक्षे को बधाई दी।
पीएम ने लिखा, 'श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के लिए गोटाबाया राजपक्षे को बधाई। आशा है दोनों देश शांति, समृद्धि और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।' श्रीलंका में घातक आतंकवादी हमले के सात महीने बाद कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान हुआ था। राष्ट्रपति पद के लिए 32 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में थे। मतदान में कुल 1.59 करोड़ मतदाताओं में से कम से कम 80 प्रतिशत मतदाताओं ने भाग लिया था। श्रीलंका की सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार सजीथ प्रेमदास ने देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली और अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी एवं पूर्व रक्षा सचिव गोटबाया राजपक्षे को बधाई दी।
Congratulations @GotabayaR on your victory in the Presidential elections.
I look forward to working closely with you for deepening the close and fraternal ties between our two countries and citizens, and for peace, prosperity as well as security in our region.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2019
प्रेमदास ने कहा, 'लोगों के निर्णय का सम्मान करना और श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के तौर पर चुने जाने के लिए गोटबाया राजपक्षे को बधाई देना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।' प्रेमदास के बयान से पूर्व राजपक्षे के प्रवक्ता ने चुनाव परिणाम की आधिकारिक घोषणा से पहले दावा किया कि 70 वर्षीय सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल ने शनिवार को हुए चुनाव में जीत दर्ज की।
भारत के लिए झटका होगा ये रिजल्ट
राजपक्षे का जीतना भारत के लिए झटका साबित हो सकता है। दरअसल, राजपक्षे चीन समर्थक माने जाते हैं। पहले ही कहा जा रहा था कि अगर उनकी जीत हुई तो भारत के लिए यह अच्छी बात नहीं होगी। दूसरी तरफ सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार सजीथ प्रेमदासा, जिन्हें हार मिली है उनका रुख स्पष्ट नहीं था। पहले वह चीन के आलोचक थे लेकिन अब उनके सुर में नरमी देखी जा रही थी।