Good News: अंतिम चरण में है एंटी कोरोना ऑक्सफोर्ड वैक्सीन, 2020 के अंत तक उपलब्ध हो सकती है वैक्सीन
नई दिल्ली। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की संभावित एंटी Covid-19 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के अंतिम चरण पहुंची गई है। अंतिम चरण में यह टेस्ट किया जाना है कि संभावित वैक्सीन वायरस से इंफेक्टेड होने से बचाने में कितना काम करती है। अंतिम चरण का क्लिीनिकल ट्रायल ब्रिटेन में वयस्कों और बच्चों पर किया जाना है।
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हालांकि भारत समेत पूरी दुनिया भर के वैज्ञानिक जानलेवा नोवल कोरोनावायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने की जद्दोजहद में जुटे हैं, लेकिन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अंतिम ट्रायल में पहुंचने से उम्मीद बढ़ गई है कि जल्द कोरोना के खिलाफ हथियार हमारे बीच होगा।
गौरतलब है अब तक नोवल कोरोनावायरस की चपेट में आकर पूरी दुनिया में करीब 5 लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि करीब 95 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं। दुनिया भर के 200 से ज्यादा देश कोरोनावायरस में फैल चुका है। इसमें अमेरिका, ब्राजील, और रूस के बाद भारत सर्वाधिक रूप से प्रभावित राष्ट्र हैं, जहां सर्वाधिक कोरोना संक्रमित मरीज हैं।
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रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में अगले चरण में ChAdOx1 nCoV-19 नामक यह वैक्सीन ब्रिटेन में 10,260 वयस्कों और बच्चों को दी जाएगी और अगर यह परीक्षण कामयाब होता है, तो ऑक्सफोर्ड इस साल के आखिर तक कोविड -19 वैक्सीन लॉन्च कर सकता है।
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ऑक्सफोर्ड के प्रमुख प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कि क्लीनिकल ट्रायल बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रहा है और अब हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वैक्सीन बुजुर्गों पर कितना असर करती है। वैक्सीन के परीक्षण इसी सप्ताह ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में भी शुरू हुए हैं।
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उल्लेखनीय है दुनिया भर में 140 से ज्यादा वैक्सीन पर इन दिनों काम चल रहा है. जिसमें से 13 वैक्सीन क्नीनिकल ट्रायल के दौर में है, जबकि बाकी वैक्सीन का अभी शुरुआती दौर का काम चल रहा है। कहा जाता है कि किसी वैक्सीन को तैयार करने में 10 साल का वक्त लग जाता है।
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी वैक्सीन की कामयाबी की गारंटी भी सिर्फ 6 फीसदी होती है। कोरोना जैसी महमारी से निपटने के लिए दुनिया भर के डॉक्टर और वैज्ञानिक युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं, ऐसे में एंटी कोरोना वैक्सीन जल्दी तैयार हो सकता है।
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ChAdOx1 वायरस से बना है वैक्सीन
यह वैक्सीन ChAdOx1 वायरस से बना है, जो एक सामान्य कोल्ड वायरस (एडेनोवायरस) का कमजोर वर्जन है, जो चिंपांज़ी में संक्रमण का कारण बनता है। इसे जेनेटिकली रूप से बदल दिया गया है, इसलिए यह मनुष्यों में संक्रमण का कारण नहीं बन सकता है।
2020 के अंत तक लॉन्च हो सकता है ऑक्सफोर्ड वैक्सीन
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन का अंतिम क्लिीनिकल ट्रायल ब्रिटेन में होना है, जहां यह वैक्सीन 10,260 वयस्कों और बच्चों को दी जाएगी। अगर यह परीक्षण कामयाब होता है, तो ऑक्सफोर्ड इस साल के आखिर तक कोविड -19 वैक्सीन लॉन्च कर सकता है। इसी सप्ताह में ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में भी परीक्षण शुरू हुए हैं।
भारतीय कंपनी ने भी 100 मिलियन डॉलर किया है निवेश
हिन्दुस्तान के लिए सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी भारी तादाद में वैक्सीन के निर्माण के लिए 100 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने 22 जून को कोविड-19 वैक्सीन्स का ड्राफ्ट जारी किया था। इसके अनुसार 13 वैक्सीन क्लिीनिकल ट्रायल की चरण में पहुंच चुके हैं, जिसमें दुनिया में कुछ संस्थान वैक्सीन निर्माण के काफी करीब पहुंच चुके हैं।
दुनिया में अलग-अलग वैक्सीन पर हो रहा है रिसर्च
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ता इंसानों पर इस वैक्सीन का ट्रायल पहले ही शुरू कर चुके हैं जबकि लंदन के इम्पीरियल कॉलेज में भी जल्द ही कोरोना वैक्सीन का मानव परीक्षण भी जल्द शुरू होने वाला है। इसके अलावा बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और कैनसिनो बायोलॉजिकल इंक के वैक्सीन का भी क्लिीनिकल ट्रायल दूसरे चरण में हैं। वहीं, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिजीजेज और बायोटेक कंपनी Moderna Inc के वैक्सीन का ट्रायल भी दूसरे स्टेज पर है।