दुनिया में लगातार सातवें साल हथियारों की बिक्री में जबरदस्त इजाफा, मौत के बाजार में बेअसर मंदी
दुनियाभर में हथियारों की खरीद-बिक्री पर SIPRI नजर रखती है और साल 1989 से सिप्री हर साल हथियारों की बिक्री पर जानकारी जारी करती है। सिप्री ने साल 2015 में चीन को भी अपनी लिस्ट में शामिल किया था।
Global Arms Sales Rise: दुनिया एक तरफ आर्थिक मंदी में फंस गई है और ज्यादातर देश आर्थिक मंदी या आर्थिक सुस्ती से गुजर रहे हैं, लेकिन दुनिया में 'मौत को बनाने वाले बाजार' पर इस मंदी का कोई असर नहीं है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के नए आंकड़ों के मुताबिक, सप्लाई चेन में आई गड़बड़ी के बावजूद लगातार सातवें साल हथियारों की बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, कि हथियारों के कारोबार पर ना तो कोरोना महामारी का कोई असर पड़ा, ना आर्थिक मंदी का और ना ही सप्लाई चेन में आई गड़बड़ी का।
जबरदस्त बढ़ा हथियारों का कारोबार
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया की 100 सबसे बड़ी हथियार और रक्षा कंपनियों ने साल 2021 में पिछले साल के मुकाबले 1.9 प्रतिशत ज्यादा हथियार बेचे हैं और साल 2021 में 592 अरब डॉलर का हथियारों का कारोबार किया गया है। SIPRI ने सोमवार को जारी अपने आर्म्स इंडस्ट्री डेटाबेस में कहा है कि, साल 2019 से 2020 में हथियारों के कारोबार में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी और 2021 में भी वैश्विक हथियारों की बिक्री में लगातार सातवें वर्ष बढ़ोतरी को दर्ज किया गया है। यानि, पिछले सात सालों में ग्लोबल आर्म्स ट्रेड में लगातार इजाफा ही हुआ है।
किसी भी बाधा का कोई असर नहीं
SIPRI ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधा की वजह से साल 2021 में वैश्विक बाजार पर काफी गंभीर असर पड़ा है सप्लाई चेन को अभी तक सही नहीं किया जा सका है। वहीं, यूक्रेन पर रूस, के आक्रमण के बाद सप्लाई चेन और खराब ही हुआ है। SIPRI मिलिट्री एक्सपेंडिचर एंड आर्म्स प्रोडक्शन प्रोग्राम के डायरेक्टर लूसी बेराउड-सुद्रेउ ने एक बयान में कहा कि, "हम 2021 में हथियारों की बिक्री में लगातार बिक्री को देख रहे हैं और आपूर्ति श्रृंखला में आया व्यवधान यहां बेअसर रहा है, हालांकि, हमें उम्मीद थी, कि हथियारों की बिक्री इससे कहीं ज्यादा बढ़ेगी, लेकिन वैसी बढ़ोतरी नहीं दिखी।" उन्होंने कहा कि, "बड़ी और छोटी, दोनों तरह की हथियार कंपनियों ने कहा कि, उनकी बिक्री इस साल प्रभावित हुई है और उन्हें इससे काफी ज्यादा अच्छे व्यापार की उम्मीद थी। कुछ कंपनियों, जैसे एयरबस और जनरल डायनेमिक्स ने भी उम्मीद के मुताबिक व्यापार नहीं होने की बात कही।" यानि, रिकॉर्ड आर्म्स सेल्स के बाद भी ये कंपनियां निराश हैं।
यूक्रेन युद्ध से थोड़ी मुश्किलें बढ़ीं
SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद दुनिया भर की हथियार कंपनियों के लिए आपूर्ति श्रृंखला की चुनौतियां बढ़ी हैं। पश्चिमी देशों में स्थित हथियार कंपनियों के लिए मुश्किल बात ये है, कि हथियार बनाने के लिए रॉ मैटेरियल्स की आपूर्ति रूस से ही होती थी और यूक्रेन युद्ध के बाद रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों की वजह से महत्वपूर्ण रॉ मेटेरियल्स की आपूर्ति बंद हो गई है, लिहाजा हथियारों के प्रोडक्शन पर गंभीर असर पड़ा है। सिप्री की रिपोर्ट में कहा गया है, कि रूसी रॉ मेटेरियल्स के नहीं आने का सबसे बड़ा प्रतिकूल असर अमेरिका पर ही पड़ेगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि यूक्रेन में अरबों डॉलर्स के हथियार भेजने के बाद अब अमेरिका का हथियार भंडार भी खाली हो रहा है और अमेरिका अपने हथियार भंडार को ज्यादा वक्त तक खाली नहीं रखना चाहेगा, लेकिन, रॉ मेटेरियल्स के आने में कमी की वजह से अमेरिका की ये कोशिश बाधित हो सकती है। वहीं, रूस के लिए दिक्कत ये है, कि प्रतिबंध लगने की वजह से उसने अपना प्रोडक्शन तो बढ़ाया है, लेकिन उसे सेमीकंडक्टर की आपूर्ति काफी कम हो पा रही है और भुगतान प्राप्त में भी रूस को दिक्कते आ रही हैं, जिससे उसके मैन्यूफैक्चरर को हथियारों के उत्पादन में परेशानी आ रही है।
अमेरिकी-चीनी कंपनियों की बल्ले-बल्ले
SIPRI के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका की हथियार कंपनियों ने 2021 में कुल 299 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं और इस लिस्ट में अमेरिका की 40 हथियार कंपनियां शामिल रही हैं। हथियार बेचने के मामले में पूरी दुनिया में अमेरिका सबसे आगे रहा है, हालांकि उच्च मुद्रास्फीति की वजह से हथियारों की बिक्री वास्तविक रूप से थोड़ी कम हुई है। 2018 के पैटर्न को ही जारी रखते हुए दुनिया में हथियार बेचने वाले शीर्ष पांच कंपनियों में पांचों अमेरिकन कंपनियां हैं और इनके नाम लॉकहीड मार्टिन, रेथियॉन टेक्नोलॉजीज, बोइंग, नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन और जनरल डायनेमिक्स हैं। वहीं, सिप्री की रिपोर्ट में चीनी निर्माताओं की बिक्री में भारी वृद्धि देखी गई है। हथियार उत्पादक देशों की लिस्ट में आठ चीनी हथियार कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने 109 अरब डॉलर का कारोबार किया है, जो पिछले साल की तुलना में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि है। चीन की चार हथियार कंपनियां टॉप-10 में शामिल हैं।
चीनी और दक्षिण कोरिया की लंबी छलांग
अमेरिका के बाद अब चीनी हथियारों ने बाजार पर कब्जा करना शुरू कर दिया है और SIPRI के एक शोधकर्ता जिओ लियांग ने एक बयान में कहा कि, "2010 के मध्य से चीनी हथियार उद्योग में लगातार उछाल की लहर चल रही है।" उन्होंने कहा कि, "2021 में इसने दो मौजूदा कंपनियों के बीच विलय किया है और 11.11 अरब डॉलर की हथियार बिक्री के साथ चीन की CSSC हथियार कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य जहाज निर्माता कंपनी बन गई है।" वहीं, दक्षिण कोरियाई निर्माताओं ने भी बिक्री में औसत से ऊपर की वृद्धि दर्ज की है। SIPRI की सूची में शामिल चार कंपनियों की संयुक्त बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 3.6 प्रतिशत बढ़कर 7.2 बिलियन डॉलर हो गई है, जिसका नेतृत्व इंजन निर्माता हनवा एयरोस्पेस ने किया। इसकी बिक्री 7.6 प्रतिशत बढ़कर 2.6 अरब डॉलर हो गई और इस साल की शुरुआत में पोलैंड के साथ एक प्रमुख हथियार सौदे पर हस्ताक्षर करने के बाद आने वाले वर्षों में दक्षिण कोरिया के हथियार व्यापार में तेजी से इजाफा होने की उम्मीद है।
हथियार बेचने में फ्रांस भी आगे
वहीं, फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन ग्रुप ने भी हथियार बेचने में मजबूत वृद्धि दर्ज की है और 2021 में बिक्री 59 प्रतिशत बढ़कर 6.3 अरब डॉलर हो गई। इसने 2021 में भारत को राफेल विमानों की सप्लाई की है, लिहाजा इसके व्यापार में तेजी से इजाफा हुआ है। वहीं, कई यूरोपीय देश हथियार बेचने में थोड़ा पिछड़ते भी नजर आए हैं और उन्हें सप्लाई चेन में आई गड़बड़ी के चलते नुकसान उठाना पड़ा है। यूरोप की ज्यादातर सैन्य एयरोस्पेस फर्मों ने नुकसान की सूचना दी है। शीर्ष 100 हथियार कंपनयों में यूरोप में मुख्यालय वाली 27 कंपनियां थीं और उनकी संयुक्त हथियारों की बिक्री 4.2 प्रतिशत बढ़कर 123 अरब डॉलर तक पहुंच गई है। वहीं, शीर्ष 100 में शामिल छह रूसी कंपनियों की बिक्री में 0.4 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई और उनकी कुल बिक्री 17.8 अरब डॉलर हो गई है। आपको बता दें कि, SIPRI आर्म्स इंडस्ट्री डेटाबेस 1989 में बनाया गया था और अभी जो रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है, वो 2022 की लेटेस्ट रिपोर्ट है। वहीं, इस लिस्ट में चीनी कंपनियों को साल 2015 से शामिल किया गया था।
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