IMF के मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद छोड़ेंगी गीता गोपीनाथ
वॉशिंगटन, 20 अक्टूबर। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुख्य आर्थिक सलाहकार गीता गोपीनाथ अगले साल जनवरी माह में अपने पद से हट जाएंगी और एक बार फिर से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी लौटेंगी। भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री गोपीनाथ ने जनवरी 2019 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुख्य आर्थिक सलाहकार की जिम्मेदारी संभाली थी। इससे पहले वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जॉन ज्वांस्त्रा प्रोफेसर ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज एंड इकोनॉमिक्स के पद पर थीं। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि जल्द ही गीता गोपीनाथ के उत्तराधिकारी के चयन की प्रक्रिय शुरू की जाएगी।
जॉर्जिवा ने कहा कि गीता गोपीनाथ का आईएमएफ के सदस्य के तौर पर बेहतरीन योगदान रहा है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान बेहतरीन छाप छोड़ी है। बता दें कि मैसूर की गीता गोपीनाथ आईएमएफ की पहली महहिला आर्थिक सलाहकार रही हैं। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने गीता गोपीनाथ की छुट्टी को एक साल के लिए बढ़ाया था, जिसके चलते गीता गोपीनाथ ने आईएमएफ को अपनी सेवाएं तीन साल तक दी।
आईएमएफ ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान गीता गोपीनाथ ने कई बेहतरीन योगदान दिए। इस दौरान वह महामारी पेपर की सह लेखिका रहीं। इस पेपर में कैसे कोरोना महामारी को खत्म किया जाए और वैश्विक स्तर पर किस तरह से कोरोना टीकाकरण के अभियान कोपूरा किया जाए की विस्तृत चर्चा की गई है। इसके साथ ही आईएमएफ में क्लाइमेट चेंज टीम के गठन और उसके विश्लेषण में भी गीता ने अहम भूमिका निभाई थी। जॉर्जिवा ने कहा कि मैं गीता के योगदान के लिए व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं, उनके सुझाव हमेशा ही बेहतरीन रहे, अपने मिशन और रिसर्च के प्रति वह हमेशा ही गंभीर थीं।
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बता दें कि गीता का जन्म दिसंबर 1971 में मलयाली परिवार में हुआ था, उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता से पूरी की और इसके बाद उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से अपना स्नातक पूरा किया। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से गीता ने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की, जिसके बाद यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन से भी उन्होंने शिक्षा हासिल की। गोपीनाथ ने अपनी पीएचडी प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी से 2001 में पूर की थी। 2001 में वह यूनिवर्सिटी और शिकागों में बतौर असिस्टैंट प्रोफेसर पहुंची और यहां से 2005 में वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पहुंची जहां 2010 में वह प्रोफेसर के पद पर पहुंच गईं। वह हार्वर्ड के इतिहास में तीसरी महिला हैं जोकि अर्थशास्त्र विभाग में पूर्णकालिक प्रोफेसर रहीं और अमर्त्य सेन के बाद पहली भारतीय हैं जिन्हें यहां प्रोफेसर का पद मिला