कोरोना के कारण स्कूल हुए बंद तो बच्चियां होने लगीं प्रेग्नेंट, परेशान सरकार ने किया बड़ा फैसला
हरारे, 28 मईः जिम्बाब्वे में सेक्स की सहमति की उम्र 16 वर्ष को असंवैधानिक करार दिया गया है। जिम्बाब्वे की संवैधानिक अदालत ने फैसला सुनाया है कि यौन सहमति की कानूनी उम्र 16 से बढ़ाकर 18 साल करने का आदेश दिया है। मामला दो महिलाओं द्वारा लाया गया था, कोरोना के बाद उनकी शादी कम उम्र में ही कर दी गयी थी। देश में इस फैसले का देश में कई लोगों ने स्वागत किया है।

कोरोना के बाद बढ़े मामले
सरकारी अधिकारियों और मानवाधिकार अधिवक्ताओं का कहना है कि COVID-19 के प्रकोप के बाद स्कूल-कॉलेज बंद हो गए। काम-काज ठप हो गए तो गरीबी भी बढ़ी। ऐसे में अभिवावकों ने कम उम्र में लड़कियों का ब्याह करना शुरू कर दिया। इस कारण कम उम्र की लड़कियां प्रेग्नेंट होने लगीं। इस फैसले के बाद लोग उम्मीद कर रहे हैं कि कोर्ट के ऐसे फैसले के बाद लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाने से लेकर किशोर गर्भधारण और बाल विवाह के मामलों में कमी लाई जा सकती है।

बच्चियों के शोषण पर लगाम
अदालत के फैसले के बाद, संसद और न्याय मंत्री के पास "संविधान के प्रावधानों के अनुसार सभी बच्चों को यौन शोषण से बचाने वाला कानून बनाने" के लिए एक साल का समय है। महिलाओं की वकीलत तेंदई बिटी ने अदालत के फैसले पर एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए कहा, 'ये जरूरी है कि हम बच्चों, विशेषकर लड़कियों की रक्षा करें। कोर्ट का यह फैसला बच्चों के शोषण को पूरी तरह तो नहीं रोक पाएगा, लेकिन ये उसे कम जरूर करेगा।'
लड़िकयों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने वाले टैलेंट जुमो ने कहा कि यह फैसला 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की सुरक्षा की गारंटी देता है। अतीत में हमारे देश के बूढ़े लोग कम उम्र की लड़कियों का खूब फायदा उठाते थे। बच्चों को शोषण करने से रोकने में मददगार यह कानून 'एक मील का पत्थर है'

सेक्स कंसेंट की उम्र पर विवाद
जिम्बाब्वे में सेक्स के लिए सहमति की उम्र लंबे समय से विवादास्पद रही है। सेक्स के लिए उम्र सीमा बढ़ाने वालों का तर्क है कि सहमति के लिए 16 साल की उम्र बहुत कम थी और इस उम्र में अक्सर नाबालिग लड़कियों का शोषण होता है। लेकिन न्याय मंत्री ज़ियांबी ज़ियांबी की राय इस फैसले के उलट है। उन्होंने कहा, "ज्यादातर बच्चे परिपक्व हैं, अपनी उम्र से आगे की सोच रखते हैं और पहले से ही यौन सक्रिय हैं।" उन्होंने दावा किया कि सहमति की उम्र को 18 तक बढ़ाने का मतलब है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों का यौन संबंध बनाना अपराध माना जाएगा और उनके नाम एक अवांछित आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा।

बनना चाहिए अलग प्रावधान
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानून में बच्चों को अपराधी होने से बचाने के लिए एख अलग से रोमियो एंड जूलियट प्रावधान होना चाहिए। यानि जो लड़का-लड़की 18 साल से पहले सहमति से प्रेम संबंध बनाते हैं उन्हें अपराधी न समझा जाए। उन पर कोई केस दर्ज न हो। इससे पहले जिम्बाब्वे में संवैधानिक न्यायालय ने विवाह कानून के प्रावधानों को चुनौती देने के बाद 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। इससे पहले वहां विवाह की न्यूतनम उम्र 16 वर्ष थी। लेकिन सेक्स के लिए सहमति की उम्र वहां 16 वर्ष ही थी। जिसके बाद लड़कियों संग दुर्व्यहार के कई मामले आने लगे।

कानून में बदलाव था जरूरी
इस मामले में विपक्षी सिटिजन्स कोएलिशन फॉर चेंज पार्टी की नेता बिटी ने कि "यह जरूरी था। अगर सहमित के लिए सेक्स की उम्र नहीं बढ़ती तो पुरुषों की मौज चलती ही रहती। एक आदमी कह सकता था 'मैं तुम्हारे साथ सोया था, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं लेकिन कानून कहता है कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता, क्योंकि तुम्हारी उम्र 18 साल नहीं है, लेकिन मैं तुम्हारे साथ यौन संबंध रख सकता हूं, क्योंकि तुम 16 की हो चुकी हो'।