इटली और स्पेन के मुकाबले जर्मनी में कम है कोरोना से मरने वालों की संख्या, जानिए क्या है वजह
नई दिल्ली। पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस नाम की महामारी से जूझ रही है। चीन के वुहान शहर से निकले कोरोना वायरस ने दुनिया के 200 से ज्यादा देशों के नागरिकों को प्रभावित किया है। इस महामारी से अब तक विश्व में 60 हजार से भी ज्यादा मौते हुई हैं, जबकि संक्रमित लोगों की संख्या 11 लाख तक पहुंच गई है। कोरोना वायरस से यूरोपीय देश भी काभी प्रभावित हुए हैं। इटली, स्पेन जैसे देशों ने मौत के मामले में चीन की भी पीछे छोड़ दिया है, जर्मनी में भी महामारी से 92000 लोग संक्रमित हुए हैं लेकिन यहां मौत का आंकड़ा बाकि देशों से कम है।
कोरोना वायरस ने जर्मनी को भी बुरी तरह प्रभावित किया है लेकिन कई पड़ोसी देशों की तुलना में वहां घातक मामलों की संख्या उल्लेखनीय रूप से कम रही है। जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के अनुसार देश में शनिवार की दोपहर तक 92,000 से अधिक संक्रमित मामले दर्ज किए गए थे जो अमेरिका, इटली को छोड़कर स्पेन से अधिक है। लेकिन जर्मनी में अब तक कुल 1,295 मौतें हुई हैं, यहां मृत्यु दर 1.4 प्रतिशत रही, जबकि इटली में 12 प्रतिशत, स्पेन में 10 प्रतिशत है। वहीं फ्रांस, ब्रिटेन और चीन में 4 प्रतिशत और अमेरिका में 2.5 प्रतिशत मृत्यु दर है।
एक इंटरव्यू में यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल बॉन में वायरोलॉजी संस्थान के निदेशक हेंड्रिक स्ट्रीक ने बताया कि उन्हें अमेरिका और अन्य जगहों के सहयोगियों से फोन आ रहे हैं। वह पूछ रहे हैं कि आप क्या कर रहे हैं जो जर्मनी में मृत्यु दर इतनी कम? कई विशेषज्ञों का मानना है कि किसी देश में कोरोना वायरस के प्रभाव का असर इस पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार से इस महामारी से डील करता है। कई अन्य देशों की तुलना में जर्मनी में संक्रमित लोगों की औसत आयु कम है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक जैसे-जैसे संक्रमण फैला है वैसे-वैसे अधिक उम्र के लोग प्रभावित हुए हैं और मृत्यु दर केवल दो सप्ताह पहले 0.2 प्रतिशत बढ़ी है। लेकिन बीमारी के अनुबंध की औसत आयु 49 वर्ष की है। फ्रांस में यह 62.5 है और इटली में 62 है। कम मृत्यु दर के लिए एक वजह यह भी है कि जर्मनी अधिकांश देशों की तुलना में कहीं अधिक लोगों का परीक्षण कर रहा है। इसका मतलब है कि यहां की सरकार थोड़े या उससे अधिक लक्षण होने पर लोगों को क्वारंटाइन कर रही है। जर्मनी में संक्रमित मामले तो बढ़ रहे हैं लेकिन मौत की रफ्तार काफी कम है।
यह भी पढ़ें: दुनिया को कोरोना देकर वैश्विक संकट का फायदा उठाते हुए अब चाइना कर रहा ये तैयारी