यूक्रेन पहुंची जर्मनी की विदेश मंत्री एनालिना बेरबॉक, युद्ध की भीषण तस्वीरों की बनी गवाह
कीव, 10 मईः जर्मनी की विदेश मंत्री एनालिना बेरबॉक मंगलवार को अचानक यूक्रेन पहुंची। 24 फरवरी को रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से यह पहली बार है जब बर्लिन सरकार के किसी सदस्य ने यूक्रेन की यात्रा की है। एनालिना बेरबॉक ने यूक्रेन यात्रा के दौरान राजधानी कीव के उपनगर बूचा का दौरा किया, जहां रूसी सैनिकों पर नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया लगाया गया है।

युद्ध से पहले फरवरी में किया था दौरा
रूस के आक्रमण शुरू होने से पहले, फरवरी की शुरुआत में, बैरबॉक ने एक बार विदेश मंत्री के रूप में यूक्रेन का दौरा किया था। विदेश मंत्री ने तब डोनबास क्षेत्र का दौरा भी किया था, जो 2014 से मास्को समर्थित अलगाववादियों और सरकारी बलों के बीच लड़ाई का क्षेत्र रहा है और अब रूस के सैन्य अभियानों का केंद्र बिंदु है। यूक्रेन की अपनी यात्रा के दौरान, बेरबॉक ने कीव में जर्मन दूतावास को फिर से खोलने की योजना बनाई है, जिसे फरवरी के मध्य से बंद कर दिया गया था। इसके साथ ही जर्मन विदेश मंत्री के यूक्रेनी समकक्ष, दिमित्रो कुलेबा के साथ भी दोपहर के लिए बातचीत निर्धारित की गयी है।

रूस को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे पश्चिमी देश
बता दें कि यूक्रेन पर रूस द्वार हमला करने के बाद उसपर शिंकजा कसने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है। इन देशों ने रूस के खिलाफ कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन इनका रूस पर फिलहाल कोई खास असर होता नहीं दिख रहा है। ऐसे में अब यूरोपीय संघ ने रूस के दोस्तों को तोड़ने की कोशिश तेज कर दी है। यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत जर्मनी के निशाने पर 'तटस्थ' चल रहा भारत है और जर्मन चांसलर ओलाफ स्चोल्ज ने पीएम मोदी को G-7 की बैठक में विशेष अतिथि के रूप में बुलाने की योजना बना रहे हैं।

पीएम मोदी को मनाने की कोशिश
जर्मनी का प्रयास है कि अगले महीने होने वाली जी-7 की शिखर बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाया जाए और यूक्रेन में तबाही मचा रहे रूस के खिलाफ एक व्यापक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाया जाए। बतादें कि जर्मनी इस समय जी-7 का अध्यक्ष है।
अमेरिकी
दबाव
का
असर!
रूस
से
कारोबार
समेटने
में
लगीं
लेनेवो,
श्याओमी
जैसी
चीनी
कंपनियां