
पाकिस्तान में इस्लामिक देशों का जमावड़ा क्यों लगने जा रहा है?
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हो रहे मुस्लिम देशों के इस सम्मेलन को इमरान ख़ान सरकार के मंत्री 'ऐतिहासिक" बता रहे हैं.
अफ़ग़ानिस्तान के मानवीय संकट और आर्थिक दिक़्क़तों पर चर्चा करने और उसे रोकने के रास्ते तलाशने के लिए पाकिस्तन में रविवार 19 दिसंबर को मुस्लिम देश जुटने वाले हैं.
ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के विदेश मंत्रियों के परिषद के इस 'असाधारण सत्र' में अमेरिका, जर्मनी, जापान, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, फ़्रांस समेत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों के शामिल होने की संभावना है.
माना जा रहा है कि इस साल अगस्त में अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद अफ़ग़ानिस्तान के हालात को लेकर यह सबसे बड़ी बैठक होगी.
तालिबान शासन के कार्यकारी विदेश मंत्री अफ़ग़ानिस्तान के प्रतिनिधिनमंडल का नेतृत्व कर सकते हैं.
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इस सम्मेलन के बहाने तालिबान अपने नज़रिए को इस संगठन के सामने खुलकर पेश कर पाएगा.
बीते महीने सऊदी अरब ने अफ़ग़ानिस्तान के हालात पर मुस्लिम देशों के संगठन OIC की बैठक का प्रस्ताव दिया था, जिसका पाकिस्तान ने स्वागत करते हुए उसकी ख़ुद मेज़बानी करने की इच्छा जताई थी.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने क्या कहा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने पत्रकारों से इस्लामाबाद में कहा कि इस सम्मेलन के लिए 90 प्रतिनिधिमंडलों को निमंत्रण भेजा गया था, जिनमें से अधिकतर आ चुके हैं और बाक़ी शनिवार को आने वाले हैं.
विदेश मंत्री क़ुरैशी ने OIC के महासचिव हुसैन ब्राहिम ताहा और शुक्रवार को हुई एक शुरुआती बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि "अफ़ग़ानिस्तान पर 17वें 'असाधारण सत्र' की सफलता को लेकर मैं आशा करता हूं. संस्थापक सदस्य होने के नाते हम OIC के मूल्यों और उद्देश्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं."
https://twitter.com/SMQureshiPTI/status/1471744028098146306
OIC सम्मेलन के बारे में चर्चा करते हुए शुक्रवार को दिन में विदेश मंत्री क़ुरैशी ने पत्रकारों से बात की.
उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अफ़ग़ानिस्तान का प्रतिनिधिमंडल विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी के नेतृत्व में सम्मेलन में भाग लेगा और अफ़ग़ानिस्तान के अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट भी सम्मेलन में भाग लेंगे.
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विदेश मंत्री क़ुरैशी ने कहा कि दुनिया को अफ़ग़ानिस्तान को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए. उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि युद्धग्रस्त देश में अगर मानवीय संकट नहीं रोका गया तो उसकी अर्थव्यवस्था ढह जाएगी.
उन्होंने कहा कि अगर अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय संकट पैदा होता है तो पाकिस्तान और यूरोपीय संघ के देश जो उसके पड़ोसी हैं उन्हें शरणार्थियों की एक ओर बाढ़ के लिए तैयार रहना चाहिए.
क़ुरैशी ने कहा कि अफ़गानिस्तान को मदद पहुंचाने के लिए अपनी भूमिका को पाकिस्तान अदा कर रहा है. उन्होंने दूसरे देशों से भी ऐसा ही करने का निवेदन किया.
'अफ़ग़ान महिलाएं और बच्चे क्यों भुगतें?'
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की 75 फ़ीसदी बजट की ज़रूरतें बाहरी समर्थन से हासिल होती हैं और अब अफ़ग़ान संपत्तियों पर रोक लगी हुई है, जिसे दुनिया को दोबारा देखना चाहिए.
उन्होंने कहा, "अफ़ग़ान महिलाएं और बच्चों को क्यों भुगतना चाहिए?"
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ान सरकार दोबारा स्कूल खोलने पर राज़ी है लेकिन उसके पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए संसाधन ही नहीं हैं.
उन्होंने कहा, "OIC के सदस्यों से वित्तीय समर्थन हासिल करने की हम उम्मीद कर रहे हैं."
क़ुरैशी ने घोषणा करते हुए कहा कि इस्लामाबाद पर होने वाली अफ़ग़ानिस्तान के हालात पर बैठक में ट्रोयका प्लस (पाकिस्तान, चीन, रूस और अमेरिका) के साथ-साथ जर्मनी, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल होंगे.
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस क्षेत्र के छह देशों के साथ मिलकर उसने एक मंच बनाया है, जिसकी पहली वर्चुअल बैठक इस्लामाबाद में दूसरी ईरान में और तीसरी बीजिंग में होगी.

तालिबान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक ही मंच पर
विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने चार दिसंबर को OIC के इस सम्मेलन की घोषण की थी.
एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में उन्होंने कहा था कि इस सत्र का उद्देश्य दुनिया के नेताओं को यह ध्यान दिलाने के लिए है कि अनदेखी के कारण अफ़ग़ानिस्तान में 2.28 करोड़ लोगों को खाने की कमी और 32 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार होने वाले हैं.
उन्होंने कहा था कि इस सम्मेलन के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान को संसाधन उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
विदेश मंत्री ने बताया कि OIC का 'असाधारण सत्र' 41 सालों के अंतराल के बाद पाकिस्तान में हो रहा है, जिसमें पी5 (अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस) देशों के प्रतिनिधियों के अलावा यूरोपीय संघ, संबंधित संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और विश्व बैंक के विशेष प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है.
उन्होंने कहा, "संकट से अफ़ग़ानिस्तान को निकालने में एक अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने के लिए जर्मनी, जापान, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को भी आमंत्रित किया गया है."
विदेश मंत्री ने बताया था कि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को भी आमंत्रित करेगा ताकि वो विश्व के नेताओं के साथ ज़मीनी हक़ीक़त के साथ उनके साथ बातचीत कर सके.
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गुरुवार को क़ुरैशी ने विदेशी प्रतिनिधिमंडलों के पहुंचने से पहले कहा था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और तालिबान एक ही मंच पर होंगे और अफ़ग़ानिस्तान के मानवीय संकट का हल निकालने में OIC की यह बैठक महत्वपूर्ण साबित होगी.
इस कार्यक्रम को लेकर उन्होंने कहा कि दुनिया और तालिबान के बीच बातचीत के एक अंतर को पाटने के लिए पाकिस्तान सकारात्मक भूमिका निभा रहा है.

विदेशी नेताओं का आना जारी
शुक्रवार को राजधानी इस्लामाबाद में सऊदी अरब का प्रतिनिधिमंडल पहुँचा. सऊदी अरब के अफ़ग़ान मामलों के विभाग के प्रमुख प्रिंस अब्दुल्ला बिन ख़ालिद बिन सऊद अल-कबीर और प्रिंस जिलूवी बिन तुर्की शुक्रवार की सुबह इस्लामाबाद पहुंचे.
इस प्रतिनिधिमंडल को पाकिस्तान में सऊदी अरब के राजदूत नवाफ़ बिन सईद अल मल्की और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी लेने पहुँचे.
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इस्लामाबाद पहुंचने वालों में इस्लामिक डिवेलपमेंट बैंक (IDB) के अध्यक्ष डॉक्टर मोहम्मद बिन सुलैमान अल जसेर भी शामिल हैं.
https://twitter.com/ForeignOfficePk/status/1471704698319249408
पाकिस्तान पहुँचने पर IDB के अध्यक्ष ने पाकिस्तान की इस बात की प्रशंसा की कि वो अफ़ग़ानिस्तान की स्थिरता के लिए OIC देशों को एक मंच पर ला रहा है.
रेडियो पाकिस्तान से बात करते हुए उन्होंने 'अफ़ग़ानिस्तान को हर संभव सहायता मुहैया कराने की पाकिस्तान की कोशिशों को स्वीकार किया.' साथ ही उन्होंने कहा कि इस दिशा में पाकिस्तान का योगदान उच्च सम्मान वाला है.
इस्लामाबाद में तीन दिन का अवकाश
पाकिस्तान में OIC के इस सम्मेलन के आयोजन को लेकर राजधानी इस्लामाबाद में शनिवार से लेकर सोमवार तक तीन दिन के अवकाश की घोषणा की गई है.
इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद हमज़ा शफ़क़ात ने ट्वीट करके बताया है कि राजधानी में तीन दिन का अवकाश रहेगा.
https://twitter.com/hamzashafqaat/status/1471758472769413122
वहीं देश के गृह मंत्री शेख रशीद ने पहले प्रेस कॉन्फ़्रेंस करते हुए कहा था कि 17-19 दिसंबर तक होने वाले इस सम्मेलन के दौरान मोबाइल सेवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा.
इस सम्मेलन को लेकर राजधानी इस्लामाबाद में सुरक्षा व्यवस्था काफ़ी कड़ी की गई है.
गृह मंत्री शेख़ रशीद ने अपने बयान में बताया है कि संसद में यह 'ऐतिहासिक सम्मेलन' आयोजित हो रहा है और सभी सुरक्षा इंतज़ाम पाकिस्तान सेना और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों को दिए गए हैं.
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