पहली बार नहीं हुआ है सीरिया में गैस अटैक, इससे पहले भी हो चुका है ऐसा हमला
पहली बार प्रथम विश्व युद्ध में हुआ था गैस अटैक और फिर वर्ष 1993 में सीरिया में सिविल वॉर के दौरान भी हुआ गैस अटैक। इसी वर्ष फिर यूनाइटेड नेशंस ने इसे ऐस्फिक्सीअन्ट यानी गला घोंटू घोषित किया।
दमिश्क। सीरिया में हुए गैस अटैक या केमिकल अटैक में अब तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है। सीरिया के शहर इदलिब में हुए इस हमले में सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हैं और इसे छह वर्षों के सिविल वॉर का सबसे बुरा अध्याय करार दिया जा रहा है। सीरिया में गैस अटैक को लेकर यह तीसरा दावा है और पहले दो बार सीरिया के हामा प्रांत में गैस अटैक होने की बातें कही गई थीं। वहीं वर्ष 2015 में अमेरिका ने दावा किया था कि आईएसआईएस ने सीरिया में केमिकल वेपंस का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। आइए आपको बताते हैं कि गैस अटैक क्या होता है और पहली बार कब इस तरह का हमला दुनिया में रिकॉर्ड किया गया था। इसके साथ ही जानिए सीरिया के सिविल वॉर से जुड़ी कुछ जानकारियां भी।
पहले विश्व युद्ध में पहला प्रयोग
गैस अटैक पहली बार प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रिकॉर्ड किया गया था। सीएन ट्रूमैन की किताब 'गैस अटैक इन द वर्ल्ड वॉर वन' में इसका जिक्र है। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान एक गैस अटैक की वजह से कई मौतें हुई थीं। गैस अटैक में जिन गैसों का प्रयोग होता है उनमें मस्टर्ड गैस, फाज्जीन और क्लोरीन तीन तरह की गैस प्रयोग में आती हैं और मस्टर्ड गैस सबसे खतरनाक गैस मानी गई है।
क्यों खतरनाक होती है मस्टर्ड गैस
मस्टर्ड गैस को सल्फर मस्टर्ड के नाम से भी जानते हैं। यह एक केमिकल है जो शरीर में सांस लेने से पहुंचता है। आंखों और स्कीन से भी शरीर में पहुंच जाता है। इस गैस को पहले वर्ल्ड वॉर में पहली बार प्रयोग किया गया था। उस समय इस गैस के प्रयोग का मकसद ज्यादा से ज्यादा दुश्मनों का सफाया करना था। जो भी व्यक्ति इस गैस के प्रभाव में आता है 12 घंटे के अंदर ही उसमें इसका असर दिखने लगता है। इससे इंसान पूरी तरह से मरता नहीं है लेकिन अपंग हो सकता है।
किसने किया मस्टर्ड गैस का आविष्कार
मस्टर्ड गैस को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मन आर्मी के खिलाफ ब्रिटिश और कनैडियन सैनिकों ने प्रयोग किया था। इसे बेल्जियम के निकट पहली बार प्रयोग किया गया और फिर वर्ष 1917 में भी इसके फ्रेंच आर्मी के खिलाफ प्रयोग करने की जानकारी मिली है। इस गैस को जब प्रयोग किया गया तो मास्क पहने सैनिकों के चेहरे और पूरे शरीर पर फफोले पड़ गए थे।
पहली बार सीरिया में गैस अटैक
यूनाइटेड नेशंस ने इसे वर्ष 1993 में एक ऐस्फिक्सीअन्ट यानी गला घोंटू घोषित किया था। इसका मतलब कि जहां पर भी इस गैस का प्रयोग होगा वहां पर ऑक्सीजन का लेवल सांस के लिए जरूरी ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाएगा। इसी वर्ष सीरिया में हुए सिविल वॉर छिड़ा था जिसमें मस्टर्ड गैस का प्रयोग हुआ था। इस वजह से ही यूनाइटेड नेशंस (यूएन) को एक प्रस्ताव पास करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यूएन के प्रस्ताव तहत युद्ध में केमिकल वेपेंस और मस्टर्ड गैस के प्रयोग को बैन किया गया।
आईएसआईएस पर शक
वर्ष 2015 में रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि इराक में मौजूद कुर्द फाइटर्स मस्टर्ड गैस का प्रयोग करने की खबरें आई थीं। वहीं कुर्द फाइटर्स ने दावा किया था कि वह आईएसआईएस आतंकियों पर मस्टर्ड गैस का ही प्रयोग कर रहे है। इससे अलग इसी वर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने भी कहा था कि मस्टर्ड गैस एक तरह का खतरनाक केमिकल वेपन है और आईएसआईएस ने इसे सीरिया से हासिल कर लिया है।
वर्ष 2011 में सिरिया में छिड़ा सिविल वॉर
18 मार्च 2011 को सीरिया के शासक बशर अल असद के खिलाफ विरोध प्रदशर्न शुरू हुए थे। असद ने वर्ष 2000 में अपने पिता की मौत के बाद शासन संभाला था। उनके पिता ने सीरिया पर 30 वर्ष तक शासन किया
अब तक 400,000 लोगों की मौत
यूनाइटेड नेशंस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2011 में शुरू हुए सिविल वॉर में अब तक 400,000 से ज्यादा सीरियन नागरिकों की मौत हो चुकी है।
6.3 मिलियन ने छोड़ा देश
सितंबर 2015 तक करीब 6.3 मिलियन लोगों ने अपना देश छोड़ दिया, 6.5 मिलियन लोगों को देश के अंदर ही कहीं विस्थापित किया गया। इस समय दुनिया हर पांच में से एक विस्थापित व्यक्ति सीरियन है।
कौन कौन से ग्रुप वॉर का हिस्सा
सीरिया में इस समय कुर्दिश सेना, आईएसआईएस, जैश अल फतह और असद की सेना वॉर में शामिल है।
अमेरिका ने लगाए प्रतिबंध
मई 2011 में अमेरिका ने सीरिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका में सीरिया की सरकार की संपत्ति को भी बैन कर दिया गया। साथ ही साीरिया में किसी भी तरह के अमेरिकी निवेश को भी रोक दिया। इसकी वजह से सीरिया में मुश्किलें बढ़ती ही गईं।
तेल को किया बैन
सीरिया में तेल का निर्यात इस देश की आय का सबसे बड़ा स्त्रोत है। लेकिन यूरोपियन यूनियन ने जब इसे बैन किया सीरिया में भूखमरी के हालात पैदा हो गए।
एक वर्ष में 8,000 की मौत
वर्ष 2012 में जब सीरिया के सिविल वॉर ने एक वर्ष पूरा कर लिया तो यूनाइटेड नेशंस की ओर से आंकड़ें जारी किए गए। इन आंकड़ों के मुताबिक सीरिया में जारी वॉर की वजह से करीब 8,000 लोगों की मौत एक वर्ष में हुई। वहीं एक्टिविस्ट्स का कहना था कि यह संख्या 10,000 से ज्यादा है।