लोकल चुनाव से पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति का बड़ा ऐलान, मदरसों और इमामों पर कसी लगाम
नई दिल्ली। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने कहा है कि उनके देश में 'पॉलिटिकल इस्लाम' की कोई जगह नहीं है। मैंक्रो ने विदेश से आने वाले इमामों, इस्लामिक टीचर्स के फ्रांस में प्रवेश पर रोक लगा दी है। इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को कहा कि फ्रांस में मौजूद सभी इमामों और इस्लाम की शिक्षा देने वाले शिक्षकों को फ्रेंच सीखना जरूरी होगा। फ्रांस में रहने वाले लोगों को यहां के कानूनों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा।
विदेश इमाम अलगाव पैदा कर रहे
फ्रांस के मलहाउस में मैक्रों ने कहा, हमारी सरकार इस्लाम मानने वालों की सोच पर 'विदेशी प्रभाव' बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारे देश के मुसलमान उनसे नहीं सीखेंगे कि इस्लाम का अनुसरण कैसे किया जाए। मैक्रों ने कहा धर्म के नाम पर कुछ अलगाववादी सोच के लोग निर्दोष लोगों को बहकाने का काम कर रहे हैं। ये ठीक नहीं है, यहां रहने वाले लोगों को फ्रांस के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।
इमामों, मदरसों पर नजर रखी जाएगी
मैक्रों ने कहा कि मेरी सरकार इस्लामिक कट्टरपंथ की विरोधी है और हमें बच्चों को इससे दूर रखना है। सरकार मस्जिदों को मिलने वाली आर्थिक मदद, शिक्षा और इमामों की गतिविधियों पर नर भी रखेगी। बता दें कि साल 2019 में फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी। इसमें करीब 65 लाख मुस्लिम आबादी है।
चार देशों से आते थे इमाम
फ्रांस ने 1977 में 4 देशों अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, मोरक्को और तुर्की से समझौता किया था। ये चारों देश फ्रांस में इमामों को भेज सकते हैं। अब में इमाम यहां भेज सकते हैं। जो यहां बच्चों को इस्लामी शिक्षा भी देते हैं। राष्ट्रपति की इमामों के प्रवेश पर रोक लगाने के बाद समझौता खत्म हो जाएगा। सरकार ने फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल को आदेश दिया है कि वह इमामों को स्थानीय भाषा सिखाए और किसी पर इस्लामिक विचार न थोपे जाएं।
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